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Parul Sharma
दूध, दही, रोटी, सब्जी, दाल,भात और सलाद हर दिन लें समय-समय पर पूर्ण पौष्टिक आहार शुद्ध मन,स्वच्छ तन, और व्यायाम करो प्रतिदिन स्वस्थ्य जन जीवन का एक मात्र यही है आधार ©Parul Sharma दूध, दही, रोटी, सब्जी, दाल,भात और सलाद हर दिन लें समय-समय पर पूर्ण पौष्टिक आहार शुद्ध मन,स्वच्छ तन, और व्यायाम करो प्रतिदिन स्वस्थ्य जन जी
दूध, दही, रोटी, सब्जी, दाल,भात और सलाद हर दिन लें समय-समय पर पूर्ण पौष्टिक आहार शुद्ध मन,स्वच्छ तन, और व्यायाम करो प्रतिदिन स्वस्थ्य जन जी
read moreKrishnaYadavNews
मकान मालिक ने सड़क पर फेंक दिया किराएदार का सामान... बल्लभगढ़ जेसीबी चौक, संजय कॉलोनी नजदीक रेलवे पावर हाउस.. #FaridabadNews #Ballabhgarh J
read moreParasram Arora
Unsplash उसकी तारीफ़ भी क़ी और कई बार उसकी शान मे तालिया भी बजाई इसके बावजूद किसी का दर्द तुमने कम होते हुए कभी देखा है क्या,=? ©Parasram Arora तारीफ और तालिया
तारीफ और तालिया
read moreParasram Arora
Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora आदम और ईव
आदम और ईव
read moreParasram Arora
White हमारे आदर्शी को पस्तझनी देने मे समर्थ है हमानी विचलित चेतनाये तभी तों रेत मे मुंह छुपा कर रहती है हमारी अनसुलझी समस्याएं जबकि अंतकाल तक हम फेरते रहते है मुर्ख सपनो की मालाये शायद इसीलीये डूब चुके है हमारे भाव और ख़ो चुकी है संवेदनाये ©Parasram Arora आदर्श और संवेदनाये
आदर्श और संवेदनाये
read moreShivkumar barman
White कच्चे मकान् तेरे ©Shivkumar barman #कच्चे_मकान #मकान #घर #Nojoto #कविता #हिन्दीकविता #कविता95 #बेजुबानशायर143 #Poetry Kshitija Abhishek Kumar Pandey Sudha Tripathi बेजु
कच्चे_मकान मकान घर कविता हिन्दीकविता कविता95 बेजुबानशायर143 Poetry Kshitija Abhishek Kumar Pandey Sudha Tripathi बेजु
read morekevat pk
White "मैं हूँ और वह है, मिलना चाहते हैं, पर दूरी इतनी है, जैसे धरती और आसमान।" "कभी लगता है, चूर-चूर हो जाऊँ, फिर लगता है, मिलना तो तय ही है।" ©kevat pk #मैं और वो
#मैं और वो
read moreShashi Goutam
White रोजी रोटी की तलाश में घरों से दूर हैं हम, मुश्किल वक्त में पता चलता है,कितने मजबूर हैं हम। Roji roti ki talaash me gharon se door hain hun, muskil waqt me pata chalta hai,kitne mazboor hain hum. ©Shashi Goutam #वक्त #रोटी #घर #मजबूर #अपने #दोस्ती #परिवार #जरूरत
Mohan Sardarshahari
White काम करना तो वही है जो करते हैं हम शौक से बाकी तो बस चलता है जिम्मेदारियों के खौफ से।। ©Mohan Sardarshahari # शौक और खौफ
# शौक और खौफ
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