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Jindeshna
किसी एक वक्ता को मुख्य मानना, उन्हीं को सुनना, अन्य को ना सुनना और अन्य को सुनना तो गौणपने से सुनना इत्यादि एकांत मिथ्यात्व भाव है। - भावदीपिका पेज नम्बर 36 आगम #HopeMessage
Jay Hindutv
ना तलवार की धार से.. ना गोलियों की बौछार से.. अबकी बार मंदिर.. हिन्दुओं की दहाड़ से.. 🚩🚩🚩 आज हमारे आप के आदर्श श्री राम जी का आगम हुआ जय जय श्री राम🚩🚩🚩🚩🚩
Srinivas
मेरी नज़र में योग दर्शन, आत्मा का चिंतन है। योग की सरल प्रक्रिया का अभ्यास करके जीवन, तन और मन को शाक्त, संतुलित और सहज बनाकर, एक सामान्य व्यक्ति, एक बेहतर इंसान बन सकता है। Yoga करो Young बनो Happy Yoga Day २०२१ ©Srinivas Mishra मेरी नज़र में योग दर्शन, आत्मा का चिंतन है। योग की सरल प्रक्रिया का अभ्यास करके जीवन, तन और मन को शाक्त, संतुलित और सहज बनाकर, एक सामान्य
Srinivas
#GuruNanakJayanti खुद में गुरु हो जाना: जब मैं एक बच्चा था, तो मैं एक बड़े लोगों के तरह शाक्त होने की कोशिश कर रहा था, जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गई, मैंने एक बच्चे की तरह कोमल बनना सीखा। ©Srinivas Mishra I was trying to be as strong as an adult when I was a kid, as I grew older, I learned to be as gentle as a child. खुद में गुरु हो जाना: ज
vishnu prabhakar singh
माँ दुर्गे एकाकी शक्ति आदि शक्ति ,गुणवती धर्म रक्षिका ,भवानी प्रधान प्रकृति, साध्वी जन शाक्त पूजें जया शीशनमित,मांगे दया नमूद कर, तार माते बुद्धि तत्व,कुल सजा माँ दुर्गे विकार रहित सती, साध्वी, आध्या भवमोचनी, भवप्रीता केवल देवी आराध्या जय मातादी जयकार ख्याति देवी अपरंपार देवी कवच,सूक्त दात्री माँ पूरंजनी मोक्ष द्वार माँ दुर्गे गुणवती माया आर्या पाटला,बलप्रदा सत्यास्वरूपी अनन्ता ब्राह्मी ही भजो सर्वदा ॐ दुर्गा देव्यै नमः। माँ दुर्गे एकाकी शक्ति आदि शक्ति ,गुणवती धर्म रक्षिका ,भवानी प्रधान प्रकृति, साध्वी जन शाक्त पूजें जया शीशनमित,मांगे
राजेश कुशवाहा 'राज'
------!! बसंत बहार !!------ लो आ गई बसंत बहार, प्यार का लेकर रंग हजार। मुस्काई हर पेड़ की डार,भर के प्यार का रंग हजार।। पतझड़ की हुई है भरमार, लो आ गई बसंत बहार। दिया बसंत ने पंख पसार, पड़ गई रंगों की फुहार।। है लाल हरा पीला तरुवर,है लग गई रंगों की अंबार। ये तो रंगो का है उपहार,है आगम होली का त्यौहार।। बढ़ रही मधुमास रफ्तार, तरूवर लिए यौवनाकार। चटकी कलियाँ हुई तैयार,भवरों को करती अंगीकार।। टपके फूलन रस चहुँओर, महके बाग बगीचा पोर। पशु पंक्षी हर्षित भें सुन्दर, धरती रूप धरी है मनहर।। ये मधुमास बना सुखकर, देता है नवजीवन का वर। सूरज की मद्धिम रफ्तार, करे सुहावन ऊष्म बौछार।। जब चलती है सुघर बयार, तन मन करती तार तार। लो आ गई बसंत बहार, प्यार का लेकर रंग हजार।। ✍राजेश कुमार कुशवाहा "राज" ©राजेश कुशवाहा ------!! बसंत बहार !!------ लो आ गई बसंत बहार, प्यार का लेकर रंग हजार। मुस्काई हर पेड़ की डार,भर के प्यार का रंग हजार।। पतझड़ की हुई है भरमा
saurabh
टूट कर काँच सा बिखर जाऊँ इससे अच्छा है मैं सुधर जाऊँ 🌸🌺🌺🌸🌺🌸🌺🌺🌸 यू अगम प्रणय के आगम से एक कोश कोष सा बन बैठा कुछ कोस दूर अंतस रोए कुछ कोस दूर है मन बैठा इस अधर दुष्ट ने तेरे उन अधरों को छूक
Dr Jayanti Pandey
जिंदगी का फ़लसफ़ा आसानी से कहां समझ आता है हर दिन,कुछ नया कायदा सीखने को रह ही जाता है।। (कृपया पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) जिंदगी..... जिंदगी ओसारे में जमा कर रखी जांत सी है वैसे तो एकाकीपन है पर उसकी गति के अपने नियम हैं कभी तेज कभी धीरे धीरे नेह का गेहूं पीस
Vikas Sharma Shivaaya'
positive thinking (सकारात्मक सोच) जीवन को सकारात्मकता की तरफ लेकर जाती है , वही नकारात्मक सोच जीवन में आगे बढ़ने में अनेक समस्याओ को जन्म देती हैं..., विचार हमारे मन मे उठने वाला एक वो हथियार है जो हमे आबाद भी कर सकता है और बर्बाद भी-विचारो में इस सृष्टि की सबसे ताकतवर अदृश्य शक्ति निवास करती हैं..., थोड़े से प्रयास से दृष्टिकोण को बदलकर हम सकारात्मकता के प्रकाश की ओर बढ़ सकते हैं-नकारात्मक सोच के अंधेरे से बाहर निकलने के लिए हमें अपने मस्तिष्क को प्रशिक्षित करना होता है..., मात्र सकारात्मक सोच ही हमें इस संसार में खुशियां दे सकती है, नकारात्मक सोच सिर्फ दु:ख ही नहीं देती, वह हमारी भविष्य की सोच और परिस्थितियों के बीज भी बोती है- तो क्यों ना हम सकारात्मक सोच रखें। यदि हम सकारात्मक रहें तो दु:खदायी परिस्थिति भी सुखदायी बन जाती है...! सकारात्मकता का अर्थ है कि व्यक्ति विषम परिस्थितियों में भी अपना संयम बनाए रखता है। चाहे कितना भी कठिन परिस्थिति क्यों ना हो, अगर सोच पॉजिटिव हो तो हमें यह विश्वास होता है कि हम इस परिस्थितियों से पार लग जाएंगे। ज्यादातर व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में अपना धैर्य खो देते हैं। वह अपने आप को दृढ़ महसूस करते हैं। विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 646 से 657 नाम 646 त्रिलोकात्मा तीनों लोकों की आत्मा हैं 647 त्रिलोकेशः जिनकी आज्ञा से तीनों लोक अपना कार्य करते हैं 648 केशवः ब्रह्मा,विष्णु और शिव नाम की शक्तियां केश हैं उनसे युक्त होने वाले 649 केशिहा केशी नामक असुर को मारने वाले 650 हरिः अविद्यारूप कारण सहित संसार को हर लेते हैं 651 कामदेवः कामना किये जाते हैं इसलिए काम हैं और देव भी हैं 652 कामपालः कामियों की कामनाओं का पालन करने वाले हैं 653 कामी पूर्णकाम हैं 654 कान्तः परम सुन्दर देह वाले हैं 655 कृतागमः जिन्होंने श्रुति,स्मृति आदि आगम(शास्त्र) रचे हैं 656 अनिर्देश्यवपुः जिनका रूप निर्दिष्ट नहीं किया जा सकता 657 विष्णुः जिनकी प्रचुर कांति पृथ्वी और आकाश को व्याप्त करके स्थित है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' positive thinking (सकारात्मक सोच) जीवन को सकारात्मकता की तरफ लेकर जाती है , वही नकारात्मक सोच जीवन में आगे बढ़ने में अनेक समस्याओ को जन्म दे
आयुष पंचोली
"राष्ट्रवाद के आगे सब बेकार हैं, प्रलोभन मत दो युवाओ को, यह नये भारत के नव स्वाभिमान के मूलाधार हैं।" आयुष पंचोली भारत के इतिहास मे आज का दिन स्वर्णिम अक्षरो मे लिखा जायेगा। जब दुसरी बार भारत की जनता ने सभी खोखले वादों को नकार राष्ट्रवाद को चुना। एक ऐसे