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Vhora Muskan

आत्मा मन और शरीर #standAlone

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लोग सिर्फ शरीर को ही गुलाम बना सकते है l 
आत्मा और मन को नहीं
आत्मा अमर है शरीर नही
जिस दिन आत्मा ने शरीर का साथ छोड़ दिया उस दिन से कोई शरीर नामक इंसान को बंदी नही बना सकता l

©Vhora Muskan आत्मा मन और शरीर

#standAlone

Hasanand Chhatwani

 #शरीर #आत्मा #

Writer Amar Nain

शरीर और आत्मा ।

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शरीर भाज्य है , खन्डित है 
और आत्मा परिपूर्ण 
ये समावेश अतुल्य है । शरीर और आत्मा ।

Diversity channel

आत्मा और शरीर

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तेरी सांसो से मेरी सांसे जुड़ी हैं
फिर भी तुम परिंदे की तरह उड़ जाती हो......... आत्मा और शरीर

Pushpendra Pankaj

शरीर और आत्मा --------------------- #कविता

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bholu

आत्मा निकल गयी, शरीर छोड़कर #कॉमेडी

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Parasram Arora

शरीर औऱ आत्मा का ध्वंद

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जिनकी आत्मा 
तन्द्रित हैँ 
औऱ शरीर लय  परिधि से  बाह्य 
वो  नहीं  समझ पाता  फर्क  
शांति  औऱ  दैहिक  सुख के  
बीच का    ध्वंद शरीर   औऱ   आत्मा  का ध्वंद

Drjagriti

# आत्मा और शरीर का संबंध #विचार

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Ujjawal Abhishek

मन में वासना  के छिद्र है,
और शरीर खँडहर ।
आत्मा बीच मझधार में है,
और कश्ती जर्जर।। #मन #आत्मा  #कश्ती

HP

अपने को ‘शरीर’ नहीं, ‘आत्मा’ मानिए।

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आप अपने को आत्मा माना कीजिए। ‘मैं’ या ‘हम’, शब्द का अर्थ ‘आत्मा’ है, यह बात अन्तःकरण में बहुत गहराई तक उतार लीजिए, उसे भली प्रकार हृदयंगम कर लीजिए। आपके मस्तिष्क में जो विचार उठते हैं, आपके मन में जो विश्वास जमे हुए हैं उनका सावधानी से निरीक्षण कीजिए और देखिए कि वे “आत्मा” जैसे महान तत्व के गौरव के अनुरूप हैं या नहीं? आप जो काम करते हैं या करना चाहते हैं, विचार कीजिए कि वे परमात्मा के राजकुमार के करने योग्य हैं, उचित हैं तब तो उन्हें प्रसन्नता-पूर्वक ग्रहण करते रहिए। यदि आपका अन्तःकरण कहे कि यह विचार और कार्य तुच्छ हैं, निष्कृष्ट हैं ओछे हैं, आत्म सम्मान के विरुद्ध हैं तो उन्हें साहसपूर्वक परित्याग कर दीजिए, दूध में से मक्खी की तरह निकाल कर दूर फेंक दीजिए। जिस विचार या कार्य को करने से आपको भय, झिझक, लज्जा, अधर्म, असन्तोष पश्चात्ताप का अनुभव होता हो उसे एक क्षण के लिए भी मत अपनाइये, भले ही उसके द्वारा साँसारिक बड़े से बड़ा लाभ होने वाला हो। जिस विचार या कार्य के करने से आपको प्रसन्नता, आनन्द, उल्लास, सन्तोष, गर्व, महत्व, सम्मान उन्नति, पुण्य का अनुभव होता है। उसे अपनाने में एक क्षण के लिए भी विलम्ब मत कीजिए, भले ही उसके द्वारा कोई साँसारिक घाटा, हानि दिखाई देती हो, यही आत्म-ज्ञान का सीधा सा मार्ग है। अपने को ‘शरीर’ नहीं, ‘आत्मा’ मानिए।
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