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Stories related to त्रिलोचन की काव्यगत विशेषताएँ

Indian Kanoon In Hindi

न्यायपालिका की विशेषताएँ :-

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न्यायपालिका की विशेषताएँ :- 

* स्वतंत्र न्यायपालिका :- भारत एक प्रजातंत्रात्मक देश है. प्रजातंत्रात्मक देश में स्वतंत्र न्यायपालिका का होना आवश्यक है. भारत की न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया स्वतंत्र है. यह जरुर है कि न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा की जाती है पर एक बार निर्वाचित होने के बाद न्यायाधीश बिना महाभियोग लगाए अपने पद से हटाये नहीं जा सकते. उनके कार्यकाल में उनका वेतन भी कम नहीं किया जा सकता और इस प्रकार वे व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया मुक्त रहते हैं

* संगठित न्यायपालिका :- भारत की न्यायपालिका अत्यंत सुगठित है. ऊपर से लेकर नीचे तक के न्यायलाय एक दूसरे से पूर्णतया सम्बंधित हैं. अमेरिका में न्यायपालिका के दो पृथक अंग हैं अर्थात् वहाँ न्यायालयों की दोहरी व्यवस्था के दर्शन होते हैं. अमेरिका में संघीय कानून लागू करने के लिए संघीय न्यायालय होते हैं और राज्यों के कानूनों को लागू करने के लिए राज्यों के अलग न्यायालय होते हैं और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायलाय भी होते हैं. संघीय न्यायालयों में चोटी पर एक सर्वोच्च न्यायालय होता है और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायालय भी होते हैं.

* दो प्रकार के न्यायालय :- भारतीय न्याय-व्यवस्था की एक अन्य विशेषता यह है कि यहाँ विभिन्न प्रकार के न्यायालयों के अलग-अलग दर्शन नहीं होते. यहाँ प्रमुख रूप से दो प्रकार के न्यायालय हैं – दीवानी और फौजदारी इसके अतिरिक्त भूमि-कर से सम्बंधित मामलों के लिए रेवेन्यू कोर्ट्स की व्यवस्था अवश्य ही अलग की गई है. पर कुछ अन्य देशों की तरह भारत में विशिष्ट न्यायालयों; जैसे सैनिक, तलाक, वसीयत से सम्बंधित न्यायालयों आदि का अभाव है.

* न्यायपालिका की सर्वोच्चता :- भारत में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सभी का अपना अलग-अलग महत्त्व है परन्तु कुछ क्षेत्रों में न्यायपालिका अन्य दो की अपेक्षा विशिष्ट महत्त्व रखता है. भारत में संविधान को ही सर्वोपरि माना गया है. संविधान के उल्लंघन का अधिकार किसी को भी नहीं है. यहाँ की न्यायपालिका ही संविधान की संरक्षक है. न्यायालय व्यवस्थापिका द्वारा पारित किए गए किसी भी क़ानून को संविधान विरोधी कहकर अवैध कर सकते हैं. इस प्रकार व्यवस्थापिका और कार्यपालिका न्यायपालिका की इच्छा के विरुद्ध कोई भी कार्य नहीं कर सकती

©Indian Kanoon In Hindi न्यायपालिका की विशेषताएँ :-

Bhupendra Uikey

बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में

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बारिश की एक
 बूंद सागर की तलाश में
🌺👰

©Bhupendra Uikey बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में

Indian Kanoon In Hindi

न्यायपालिका की विशेषताएँ :-

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न्यायपालिका की विशेषताएँ :- 

* स्वतंत्र न्यायपालिका :- भारत एक प्रजातंत्रात्मक देश है. प्रजातंत्रात्मक देश में स्वतंत्र न्यायपालिका का होना आवश्यक है. भारत की न्यायपालिका, व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया स्वतंत्र है. यह जरुर है कि न्यायधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा की जाती है पर एक बार निर्वाचित होने के बाद न्यायाधीश बिना महाभियोग लगाए अपने पद से हटाये नहीं जा सकते. उनके कार्यकाल में उनका वेतन भी कम नहीं किया जा सकता और इस प्रकार वे व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के प्रभाव से पूर्णतया मुक्त रहते हैं

* संगठित न्यायपालिका :- भारत की न्यायपालिका अत्यंत सुगठित है. ऊपर से लेकर नीचे तक के न्यायलाय एक दूसरे से पूर्णतया सम्बंधित हैं. अमेरिका में न्यायपालिका के दो पृथक अंग हैं अर्थात् वहाँ न्यायालयों की दोहरी व्यवस्था के दर्शन होते हैं. अमेरिका में संघीय कानून लागू करने के लिए संघीय न्यायालय होते हैं और राज्यों के कानूनों को लागू करने के लिए राज्यों के अलग न्यायालय होते हैं और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायलाय भी होते हैं. संघीय न्यायालयों में चोटी पर एक सर्वोच्च न्यायालय होता है और उसके नीचे अन्य प्रादेशिक एवं जिला न्यायालय भी होते हैं.

* दो प्रकार के न्यायालय :- भारतीय न्याय-व्यवस्था की एक अन्य विशेषता यह है कि यहाँ विभिन्न प्रकार के न्यायालयों के अलग-अलग दर्शन नहीं होते. यहाँ प्रमुख रूप से दो प्रकार के न्यायालय हैं – दीवानी और फौजदारी इसके अतिरिक्त भूमि-कर से सम्बंधित मामलों के लिए रेवेन्यू कोर्ट्स की व्यवस्था अवश्य ही अलग की गई है. पर कुछ अन्य देशों की तरह भारत में विशिष्ट न्यायालयों; जैसे सैनिक, तलाक, वसीयत से सम्बंधित न्यायालयों आदि का अभाव है.

* न्यायपालिका की सर्वोच्चता :- भारत में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सभी का अपना अलग-अलग महत्त्व है परन्तु कुछ क्षेत्रों में न्यायपालिका अन्य दो की अपेक्षा विशिष्ट महत्त्व रखता है. भारत में संविधान को ही सर्वोपरि माना गया है. संविधान के उल्लंघन का अधिकार किसी को भी नहीं है. यहाँ की न्यायपालिका ही संविधान की संरक्षक है. न्यायालय व्यवस्थापिका द्वारा पारित किए गए किसी भी क़ानून को संविधान विरोधी कहकर अवैध कर सकते हैं. इस प्रकार व्यवस्थापिका और कार्यपालिका न्यायपालिका की इच्छा के विरुद्ध कोई भी कार्य नहीं कर सकती

©Indian Kanoon In Hindi न्यायपालिका की विशेषताएँ :-

RJ VAIRAGYA

#sad_qoute त्रिलोचन जी की कविता है #rjharshsharma #rjvairagyasharma

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White आंख अपनी उम्र भर रोती रही

रोज दाने खेत में बोती रही,
आश के दीपक सदा ढोती रही।।

फेर नजरें वक्त है चलता बना,
आंख अपनी उम्र भर रोती रही।।

हाथ में मद से भरा प्याला लिए,
दौलतें मां बाप की सोती रही।।

दोस्ती हमसे सभी करते चले,
दुश्मनी है मीत गल जोती रही।।

थे बिना पूंजी हर्ष दिन भले,
बिछ गई बिस्तर तले थोती रही।।

©RJ VAIRAGYA #sad_qoute त्रिलोचन जी की कविता है 
#rjharshsharma #rjvairagyasharma

काली स्याही डिटेक्टिव

रसोई की सफाई.. उम्र की बड़ाई..

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chadni dahiya

पापा की पारियों की शादी वीडियो कॉमेडी

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RUPESH Kr SINHA

#बुलनदी की कहानी खुद की

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Ravendra

पूर्व शिक्षा मंत्री ने बने मॉडल की की सराहना

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Mayuri Bhosale

दिल की कहानी की

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❣️.......शायरी दिल की कहानी .......❣️

         हर दिल मे छूपी है एक कहानी💌
         पहले हमे लगती है ओ अपनी सहेली 👭
                       पर दिल के गहराई के समंदर तक जाकर 🌊🌊
                    देख लो ओ बन जाती है एक नई पहेली.....!!❓

©Mayuri Bhosale दिल की कहानी की

अनिल कसेर "उजाला"

धड़कन की

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