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Sarfaraj idrishi
#5LinePoetry 🥹एक ज़रूरी सूचना 🥹 आप लोगो से गुज़ारिश है कुंभ में हुई भगदड़ और उसके कारण हुई मौतों पर लिखने से बचें, ख़ासकर “मुसलमान”किसी तरह के हास्य व्यंग कमेंट या इमोजी देने से बचें। सिर्फ़ अल्लाह से सब की ख़ैरियत की दुवा करे स्थिति को पैनिक बनाने से बचें, यही आपके लिए सुरक्षित है , प्रशासन अपने प्रयास में लगा हुआ है , स्थिति नियंत्रण में है। ©Sarfaraj idrishi #5LinePoetry 🥹एक ज़रूरी सूचना 🥹 आप लोगो से गुज़ारिश है कुंभ में हुई भगदड़ और उसके कारण हुई मौतों पर लिखने से बचें,ख़ासकर “मुसलमान”किसी तरह
#5LinePoetry 🥹एक ज़रूरी सूचना 🥹 आप लोगो से गुज़ारिश है कुंभ में हुई भगदड़ और उसके कारण हुई मौतों पर लिखने से बचें,ख़ासकर “मुसलमान”किसी तरह
read moreManojkumar Srivastava
हास्य-व्यंग्य ©Manojkumar Srivastava #हास्य और व्यंग्य# हिंदी चुटकुले
#हास्य और व्यंग्य# हिंदी चुटकुले
read moreAndy Mann
Unsplash कालेज में इको के एक सर थे.. जब वो ब्लैक बोर्ड पर पढ़ाते, तो खूब सारी कलर्ड चाक का इस्तेमाल करते!! हर स्टेप को अलग अलग इंफेसाइज करने के लिए.. बड़ी स्टाइल से बोलते थे... वो. हर रोज एक नये पैंट शर्ट ,टाई के साथ आते.. मैंने कभी उनको रिपीटेड कपड़े पहने हुए नहीं देखा था.. जो वो पहले कभी पहन कर आये हों उस जमानें में वो येज्डी मोटरसाइकिल से आते थे, गजब भौकाल था कालेज में.. छात्रों की जुबान पर उन्हीं की चर्चा रहती.. सर के कपड़े, सर का स्टाइल, सर की बाइक, सर का बोलनें का अंदाज़!! सर की भावभंगिमा!! मगर इन सबमें..जो एक बात उनमें एकदम अलग थी ..वो ये कि वो कभी स्टूडेंट्स से क्रास क्वेस्चन्स नहीं लेते थे क्लास में!! ना ही बुक से हटकर को कोई सवाल बताते थे जो पिछले वर्षों में आलरेडी में पूछा गया था अनसोल्ड पेपर में!! कुलमिलाकर कालेज उनको तबतक झेलता रहा जबतक उन्होंने संस्था के कुल 100 प्रतिशत आने वाले रिजल्ट को दस प्रतिशत से गिरा ना दिया!! ©Andy Mann #व्यंग्य Ak.writer_2.0 Rakesh Srivastava अदनासा- Dr Udayver Singh Arshad Siddiqui
#व्यंग्य Ak.writer_2.0 Rakesh Srivastava अदनासा- Dr Udayver Singh Arshad Siddiqui
read moreवरुण तिवारी
सर्द रातों की हवाओं ने सताया इस तरह। मैं ठिठुरता रह गया बिस्तर कंटीले हो गए॥ बर्फ से कुछ बात करती चल रही थी ये हवाएं, फिर अचानक सायं से कम्बल के अंदर आ गई। पांव को कितना सिकोड़ूं पांव बाहर ही रहा, अवसर मिला ये फेफड़ों से जाने' कब टकरा गई॥ खाँसियां रुकती नहीं सब अंग ढीले हो गए। कपकपाती ठंड में फैशन हमारा था चरम पर कान के दरवाजों से ये वायु घुसती ही गई। सनसनाती घुस चुकी थी कुछ हवाएं इस बदन में मेरे तन की हड्डियां हर पल अकड़ती ही गई॥ पूस की इस रात सब मंजर रंगीले हो गए। कर्ण में धारण किए श्रुति यंत्र को घर की तरफ, ठंड से छुपते छुपाते गीत सुनते जा रहे थे। पेट में मेरे अचानक दर्द ने आहट दिया, साथ ही संगीत सारे सुर में सहसा बज उठे थे॥ अंततः चुपके से' अंतर्वस्त्र पीले हो गए॥ ©वरुण तिवारी #snow हास्य रचना
#snow हास्य रचना
read moreVilas Bhoir
green-leaves बंदिस्त या खोक्यामध्ये तु दिलेली आठवण अजुनही जपून ठेवली आहे... ©Vilas Bhoir #GreenLeaves मराठी हास्य विनोदी कविता राजकीय टोलेबाजी
#GreenLeaves मराठी हास्य विनोदी कविता राजकीय टोलेबाजी
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