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Shubhangi Sutar
कत्ल-ये-दिल का सरेआम बीच बाजार मैं हुआ था पर किसी को दिखा ही नहीं इस जमीं ने ही समेट लिया अपनी गोद मैं...... बिना किसी शिकायत से ©Shubhangi Sutar कत्ल-ए-दिल का....
Pagal
"करेंगे नशा छक के हम भी उस रोज जब जाएँगे वो किसी गैरो की बाहों में"| पागल सुमित कोरी #NojotoQuote नशा ए मोहब्बत का..
MADHUKAR BILGE
😢लोकतंत्र का कत्ल-ए-आम😪 आज लोकतंत्र का कत्ल-ए-आम कर दिया गया। लोकतंत्र ने घूँट घूँट कर अपने जान छोड़ दी.... इस पूर्ण वारदात का चश्मदित गवाहों में से शामिल मैं भी एक शक्श हूँ....! मतदारों ने अपने वोट की नीलामी कर दी।किसी ने शराब, किसी ने मांस तो किसी ने कागज के पन्नो के ख़ातिर अपने वोट को बेच दिया।घर से निकलते वक्त अपनी दरिद्री, गरीबी, बेरोजगारी,और घर के अंधेरो को झूटी तसल्ली यह देकर मतदार निकला था कि,मैं जाऊँगा और समृद्धि,विकास,प्रगति,रौशनी, और अपने उज्वल भविष्य को मिलूँगा और उन्हें सही सलामत अपना वोट सोप दूँगा। मगर रास्ते मे उसने अपना वोट सत्ता के भूखे दलालो को बेच दीया और पूरे 5 सालों के लिए उसने अपने घर की दहलीज को फिर एक बार विकास और प्रगति के दीदार के लिए प्यास छोड़ दिया..। यह सब देखकर विकास और प्रगति यह दोनों भाई बहन ख़फ़ा होकर मायूस होकर वापिस लौट गए... एक 5 साल का लंबा इंतजार देश की आँखों मे छोड़कर...... आखिर अपने बच्चो से बिछड़कर कौन सी माँ सुकून से रह पायेगी, और इसलिए लोकतंत्र ने अपने दोनों बच्चों- विकास और प्रगति के दीदार के खातिर अपने प्राण त्याग दिए....वो भी घूँट घूँट कर1 छोड़ दिया... और लोकतंत्र के वो दो बच्चे-विकास और प्रगति उनको खबर तक नही....... पता नही जब खबर होगी तब उनके आंखों में से कितने समंदर बहेंगे.....! और न जाने कबतक ए लोकतंत्र की लाश आबाद फिजा में ऐसेही सड़ती रहेंगी। लोकतंत्र का इस तरह से घूँट घूँट कर मरना मैं लोकतंत्र का कत्ल समझता हूँ... जिसके क़ातिल वो सब मतदार हैं जो बिके हुए है....चंग कागज के टुकड़ों के ख़ातिर...! -article by- बिलगेसाहब(MADhukar Bilge) लोकतंत्र का कत्ल ए आम
Dewansh Sharma
तेरे कहे हर अल्फ़ाज़ को शायरी कर दूं अपने दिल के हर एहसास को ग़ज़ल कर दूं #NojotoQuote ज़िक्र हाल ए दिल का
Narendra Sonkar
गमे जिंदगी का इंतकाल जिंदगी के इंतकाल में है ©Narendra Sonkar "ग़म ए जिंदगी का इंतकाल"