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Bye Bye ........!
इश्क के नाम पर दर्द देने वाली अब तुमसे दूर जा रहा हूं दुबारा हमसे मिलने की कोशिश नहीं करना ! जाते-जाते एक अपील है तुझसे पैसों के खातिर अपने पति के प्यार को और सर्मसार नहीं करना !! ©AD Kiran #अब मैं दूर जा रहा हूं... SabitaVerma
लेखक ओझा
सत्य को इस हद तक मरोड़ा जा सकता है की वह झूठ सा दिखने लगे लेकिन मरोड़ने वाले कतिपय इस बात से अनभिज्ञ है की सत्य को तोड़ा नही जा सकता।। ©लेखक ओझा #sunrisesunset सत्य को तोड़ा नही जा सकता
ਸੀਰਿਯਸ jatt
White आज के ज़माने ने उल्फतो के मयीने बदल दिए, जो सनम जीने मरने की कसमें खाते थे आज वो हमारी मौत की दुआ करते है ! ©ਸੀਰਿਯਸ jatt #Romantic वाह रे जमाने तेरी क्या मिसाल दूं!
दूध नाथ वरुण
ओ मां मत जा हमे छोड़कर, तेरे भक्तों से यूं रूठकर। बिन तेरे अब ओ मैया,जायेंगें बिखर हम टूटकर।। ©दूध नाथ वरुण #ओ #मां #मत #जा
Rajni Vijay singla
वोट डालने के बाद पता चलता उल्लू नेता नहीं उल्लू बने हम फिर भी बार-बार बनते हैं इस बात का गम ©Rajni Vijay singla #बच के रहना रे बाबा
Rajni Vijay singla
वोट डालने के बाद पता चलता उल्लू नेता नहीं उल्लू बने हम फिर भी बार-बार बनते हैं इस बात का गम ©Rajni Vijay singla #बच के रहना रे बाबा
Ganesh Din Pal
गरीब आदमी इस आशा में जिंदा रहता है कि एक न एक दिन उसके दिन भी जरूर बहुरेंगे, पर अमीर आदमी इस खौफ में मरता रहता है कि कहीं बुरा वक्त ना आ जाए। ©Ganesh Din Pal #सब बस जिए जा रहे हैं
Rishika Srivastava "Rishnit"
शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...! थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना.. लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस, एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान, तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे.. आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!! ©Rishika Srivastava "Rishnit" शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ
Arora PR
चल चल रे मुसाफिर चल तू उस दुनिया मे चल जहा न हो कोई फ़िक् जहा न हो मौत का कोई डर ©Arora PR चल चल रे मुसाफिर चल