Nojoto: Largest Storytelling Platform

New खड़े हैं मुझको ख़रीदार देखने के लिए मैं घर से निकला था बाज़ार देखने के लिए Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about खड़े हैं मुझको ख़रीदार देखने के लिए मैं घर से निकला था बाज़ार देखने के लिए from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, खड़े हैं मुझको ख़रीदार देखने के लिए मैं घर से निकला था बाज़ार देखने के लिए.

    LatestPopularVideo

Anuj Ray

# रेत के घर बनाते रहते हैं" #शायरी

read more

Shashi Bhushan Mishra

#रेत के घर बनाते रहते हैं# #शायरी

read more
रेत  के  घर  बनाते  रहते हैं, 
स्वप्न दिल में सजाते रहते हैं,

टूट जाए  नहीं  कोई सपना, 
नींद पलकों पे लाते रहते हैं, 

रहे रौशन सदा  अरमान मेरे, 
एक दीपक  जलाके रहते हैं,

अंधेरी रात में  डर का साया, 
राम  धुन  गुनगुनाते  रहते हैं,

बड़ी  दुश्वारियां  भरा जीवन, 
राग  भैरव   सुनाते   रहते हैं,

दरीचा-ए-दिल में  रहे रौनक, 
रूठे  रहबर  मनाते   रहते हैं,

रहे मदहोश न दुनिया गुंजन, 
यहाँ सब आते-जाते रहते हैं,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #रेत के घर बनाते रहते हैं#

ABRAR

चाह कर कौन छोड़ता है घर अपना हम मुहाजिर हैं इक नौकरी के लिए - अबरार Reeda #Shayari

read more

( prahlad Singh )( feeling writer)

हाथ से निकला नहीTulips #Shayari

read more

omkar432

#ArabianNight देखने बालों के लिए नज़ारा बन जायेंगे। #शायरी

read more

Ashraf Fani【असर】

निकला जेल से पेंशन ऐंठ के माफीवीर बुलबुल पर बैठ के #शायरी

read more

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल #शायरी

read more
ग़ज़ल :-
घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ ।
माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।।

दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ ।
धूल में फूल खिलाने के लिए रहता हूँ ।।

शहर में मैं नही जाता कमाने को पैसे ।
हाथ बापू का  बटाने के लिए रहता हूँ ।।

जानता हूँ दूरियों से खत्म होगें रिश्ते ।
मैं उन्हें आज बचाने के लिए रहता हूँ ।।

हर जगह जल रहे देखो आस्था के दीपक ।
मैं उन्हीं में घी बढ़ाने के लिए रहता हूँ ।।

कितने कमजोर हुए हैं आजकल के रिश्ते ।
उनको आईना दिखाने के लिए रहता हूँ ।।

कुछ न मिलता है प्रखर आज यहाँ पे हमको ।
फिर भी इनको मैं हँसाने के लिए रहता हूँ ।
११/०३/२०२४    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ ।
माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।।

दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ ।
धूल में फूल

Bulbul varshney

#woaurmain वो और मैं सिर्फ एक दूसरे के लिए ही बने हैं। #लव

read more

Sanoj Bhaskar Sir

कॉमेडी देखने के लिए हमे फॉलो करें।। #Reels #reelsinstagram #reelitfeelit #Comedy

read more

Saurabh pal 85

वो गाड़ी से इलाहाबाद शहर देख रही थी! मैं कनखियो से , उसे देख रहा था। वो अपना घर देख रही थी। मैं अपना घर देख रहा था!! #Quotes

read more
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile