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Stories related to इंडियन मटका समाज सेवा

Praveen Jain "पल्लव"

#covidindia धंधे की लत सेवा की आड़ में पालो ना

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पल्लव की डायरी
पेशा नही सेवा है
जहन में दर्द उतारो जरा
दवा सिर्फ मर्ज की हो
जाँचो से जान निकालो ना
फीस कितनी में लेलो
मगर लालच में मौत के घाट उतारो ना
और भी है कमाने के साधन
धंधे की लत सेवा की आड़ में पालो ना
भगवान के बाद मसीहा डॉक्टर ही है
छवि अपनी बिगाड़ो ना
                                   प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #covidindia धंधे की लत सेवा की आड़ में पालो ना

Indian Kanoon In Hindi

संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून

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संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून :- 

* अनुच्छेद 315 के द्वारा संघ में संघीय सेवा आयोग की स्थापना की गई है। इसमें एक अध्यक्ष और सात अन्य सदस्य होते हैं। अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इनका कार्यकाल, पदभार ग्रहण करने की तिथि से छह साल तक अथवा 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक होता है। इसमें कम-से-कम आधे सदस्य (वर्किंग और रिटायर्ड) ऐसे अवश्य हो जो कम-से-कम 10 वर्षों तक सरकारी सेवा का अनुभव प्राप्त कर चुके हैं।

* आयोग का कोई भी सदस्य उसी पर दुबारा नियुक्त नहीं किया जा सकता। संघ लोक सेवा आयोग (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) का अध्यक्ष संघ या राज्यों में अन्य किसी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है। आयोग के सदस्यों का वेतन राष्ट्रपति द्वारा विनियमित होता है। आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के उपरान्त उनकी सेवा की शर्तों को उनके हित के विरुद्ध बदला नहीं जा सकता। इस समय अध्यक्ष का वेतन (7वा पे कमीशन के बाद) 2।5 लाख और सदस्यों का वेतन 2।25 लाख है, जो भारत सरकार की संचित निधि (कंसोलिडेटेड फण्ड) से दिया जाता है।

* आयोग के सदस्यों की उनके दुराचार के लिए राष्ट्रपति आवेश द्वारा हटाया भी जा सकता है। यदि राष्ट्रपति को किसी भी सदस्य के खिलाफ दुराचार की रिपोर्ट मिले तो वह विषय न्यायालय के पास विचारार्थ प्रस्तुत होगा। न्यायालय की सम्मति मिलने पर उस सदस्य को पदच्युत किया जायेगा।

* निम्नलिखित कारणों के उपस्थित होने पर राष्ट्रपति आयोग के किसी भी सदस्य को हटा सकता है।

* यदि वह व्यक्ति दिवालिया सिद्ध हो। यदि अपने कार्यकाल में वह कोई दूसरा पद स्वीकार कर ले। शारीरिक अस्वस्थता के कारण कार्य करने के लिए अक्षम हो गया हो। यदि भारत या राज्य-सरकार के साथ करार किये गये किसी कॉन्ट्रैक्ट के साथ उसका सम्बन्ध हो या उससे कोई लाभ प्राप्त हो रहा हो।

©Indian Kanoon In Hindi संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून

काली स्याही डिटेक्टिव

गौ सेवा..

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Matangi Upadhyay( चिंका )

समाज की हकीकत 🤔 #matangiupadhyay #हिंदी #thought

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समाज इन लोगों को कभी स्वीकार नही करता है...

किन्नर को, 
लड़की को, विधवा स्त्री को, 
प्रेम विवाह को, गरीब पुरुष को, 
बेरोजगार व्यक्ति को, 
तलाकशुदा स्त्री को 
विकलांग लोगों को, 
बूढे माता पिता को, 
बाँझ स्त्री को..!

©Matangi Upadhyay( चिंका ) समाज की हकीकत 🤔
#matangiupadhyay #Nojoto #हिंदी #thought

Indian Kanoon In Hindi

संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून

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संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून :- 

* अनुच्छेद 315 के द्वारा संघ में संघीय सेवा आयोग की स्थापना की गई है। इसमें एक अध्यक्ष और सात अन्य सदस्य होते हैं। अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इनका कार्यकाल, पदभार ग्रहण करने की तिथि से छह साल तक अथवा 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक होता है। इसमें कम-से-कम आधे सदस्य (वर्किंग और रिटायर्ड) ऐसे अवश्य हो जो कम-से-कम 10 वर्षों तक सरकारी सेवा का अनुभव प्राप्त कर चुके हैं।

* आयोग का कोई भी सदस्य उसी पर दुबारा नियुक्त नहीं किया जा सकता। संघ लोक सेवा आयोग (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) का अध्यक्ष संघ या राज्यों में अन्य किसी पद पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है। आयोग के सदस्यों का वेतन राष्ट्रपति द्वारा विनियमित होता है। आयोग के सदस्यों की नियुक्ति के उपरान्त उनकी सेवा की शर्तों को उनके हित के विरुद्ध बदला नहीं जा सकता। इस समय अध्यक्ष का वेतन (7वा पे कमीशन के बाद) 2।5 लाख और सदस्यों का वेतन 2।25 लाख है, जो भारत सरकार की संचित निधि (कंसोलिडेटेड फण्ड) से दिया जाता है।

* आयोग के सदस्यों की उनके दुराचार के लिए राष्ट्रपति आवेश द्वारा हटाया भी जा सकता है। यदि राष्ट्रपति को किसी भी सदस्य के खिलाफ दुराचार की रिपोर्ट मिले तो वह विषय न्यायालय के पास विचारार्थ प्रस्तुत होगा। न्यायालय की सम्मति मिलने पर उस सदस्य को पदच्युत किया जायेगा।

* निम्नलिखित कारणों के उपस्थित होने पर राष्ट्रपति आयोग के किसी भी सदस्य को हटा सकता है।

* यदि वह व्यक्ति दिवालिया सिद्ध हो। यदि अपने कार्यकाल में वह कोई दूसरा पद स्वीकार कर ले। शारीरिक अस्वस्थता के कारण कार्य करने के लिए अक्षम हो गया हो। यदि भारत या राज्य-सरकार के साथ करार किये गये किसी कॉन्ट्रैक्ट के साथ उसका सम्बन्ध हो या उससे कोई लाभ प्राप्त हो रहा हो।

©Indian Kanoon In Hindi संघ लोक सेवा आयोग के गठन पर कानून

Parasram Arora

आग और समाज सुधारक

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White ज़ब एक दिन घर मे 
आग लगी तो 
एक समाज सुधारक ने 
आकर आग बुझाने मे 
सहायता का आश्वासन  दिया  

लेकिन वो स्नाजसेवी 
उस लगी आग को बुझाने 
के बजाय उसे 
हवा देकर आग को 
और भी बड़ा गया था

©Parasram Arora आग और समाज सुधारक

Praveen Jain "पल्लव"

#lonely बौना पूरा देश समाज कर दिया

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पल्लव की डायरी
खिड़कियां सब बंद मदद की
हरण नैतिकता का हो रहा है
आवाजे और हक हमारे लुप्पत हो गये
टाइमपास देश कर रहा है
सन सैतालीस में ले जाने का प्रयास हो रहा है
लगान प्रथा जीएसटी ने चालू कर दी
घाटा हो या मुनाफा दायरे में सब आयेगे
बधुआ मजदूरी फिर से लागू हो गयी
अठारह घण्टे काम करो,वेतन नही बढ़ायेगे
साहूकारी प्रथा बैंको ने ले ली
बात बात पर चार्ज और जुर्माने लगायेंगे
राजशाही की प्रथा सत्ता ने ले ली
कोई भी आंकड़े नही बतायेगे
बौना पूरा देश समाज कर दिया
गुणगान अपना विज्ञापनों से गायेगे
                                                     प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #lonely बौना पूरा देश समाज कर दिया

Abhimanyu Dwivedi

सेवा परमो धर्म

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White 🙏 *सेवा अमृत बूंद जान*🙏


मानव सेवा,जीव सेवा, प्राणि के अहंकार को जलवाष्प की तरह हर लेती है
तथा ह्वदय की झील में शीतलता एवम् सौहार्द्य का दिव्य अमृत भर देती है


🙏 मोक्षाअरिहंत🙏

©Abhimanyu Dwivedi सेवा परमो धर्म

पूर्वार्थ

#समाज

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White आधुनिक समाज का सच

आज के इस आधुनिक युग में, देखो कैसा हाल हुआ,
रिश्तों का मोल घटा, हर रिश्ता बस सवाल हुआ।
दिल के बंधन अब कमजोर, स्वार्थ की दीवारें ऊँची,
भावनाएँ रह गईं पीछे, आगे दौड़ी इच्छाएँ दूषित।

रिश्ते अब खेल बन गए, बस पल भर की बात,
जहाँ प्यार की गहराई थी, वहाँ दिखावा है रात।
दिखावे की इस दुनिया में, सच्चाई गुमनाम हुई,
दिलों के जुड़ने की जगह, बस सौदे की बात हुई।

शादियाँ अब तमाशा हैं, बस एक आयोजन भव्य,
जहाँ सादगी थी पहले, अब दिखावे का पर्व।
सात फेरे, सात वचन, अब रस्में बन गईं,
जहाँ प्रेम था कभी गहरा, वहाँ रिवाजें सिमट गईं।

तलाक अब मजाक है, बंधन को तोड़ना आसान,
जहाँ समझौता था पहले, अब बस अभिमान।
साथ चलने की जगह, अलग राहें चुन ली जातीं,
प्यार की जगह नफरत, हर रिश्ते को खा जाती।

प्रोग्रेसिव इस समाज का, ये कैसा सच है भाई,
जहाँ रिश्तों की कीमत नहीं, बस स्वार्थ की भरपाई।
कहाँ गए वो दिन पुराने, जहाँ प्रेम था आधार,
आज तो सब बन गया है, बस एक व्यापार।

सोचो, समझो, और बदलो, रिश्तों को मोल दो,
जहाँ दिलों की बातें हों, वहाँ मत स्वार्थ जोड़ो।
इस आधुनिकता में कहीं, रिश्तों का सम्मान न खो दो,
वरना ये समाज एक दिन, बस खाली नाम रह जाएगा।

©पूर्वार्थ #समाज

Praveen Jain "पल्लव"

#Likho नीयत और सेवा का भाव हो तो

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पल्लव की डायरी
हर युग मे चलन व्यवस्था का बदला है
कभी समाजिक व्यवस्था का चलन
कभी पंचायते न्याय करती थी
राजा रजवाड़े सब आये और गये
मगर नैतिकता मूल रूप से सर्वोपरि रहती थी
अब लोकतंत्र और संसदीय परम्परा है
प्रतिनिधि सब जनता के होते है
नीयत और सेवा का भाव हो तो
कोई भी व्यवस्था सफल हो सकती है
                                      प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Likho नीयत और सेवा का भाव हो तो
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