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बेजुबान शायर shivkumar
Unsplash // खुद को निखार लेना // छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग में हम सोना बन ही कर आते हैं मजबूरी जब ,अपने सर पे जिम्मेदारी आई तो समझ आ आती है इस जिंदगी की दौड़ भी यु बढ़ती ही जाती है वो अनाड़ी भी एक खिलाड़ी बन जाते हैं जब गिर-गिर कर और ठोकर पर ठोकर यु खाते हैं बारिश में भीग कर कड़ी धूप में यु जल कर भी वो बढ़ जाते हैं न भाग कर ,अपने मुश्किलों से लड़ कर वो जीत कर दिखाते हैं वो भी अपने वक्त के साथ साथ चलना भी सीख आता है उसे अपने मेहनत का फल लेना भी आता है अपने इन हाथों की लकीरों को भी बदल देते हैं मेहनत करने वाले तूफान का रुख भी यु मोड़ देते हैं ये दुनिया रोकती ही रहेगी मगर तुम चलते ही रहना न सुनना किसी की बात को तुम अपनी मंजिल को ही देखना कर हौसला बुलंद तू , तुमने तो इतिहास रचा कदम बड़ा हंसने वालो को एक दिन चुप करा देना , तुम इतिहास बना देना ©बेजुबान शायर shivkumar छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग
छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White बार-बार कोशिशें की मैंने, हर बार चोट मैं खाता हूँ। फिर भी हिम्मत है इतनी, जीत की कसम मैं खाता हूँ। लक्ष्य नए नहीं, ये संकल्प है, मेहनत से मैं ना घबराता हूँ। हुंकार भरूंगा फिर से मैं, संकल्प का फल मैं पाता हूँ। वचन ही मेरा शस्त्र बना, हर कदम पर धार लगाता हूँ। हिम्मत मेरी कभी ना टूटे, महादेव का ध्यान लगाता हूँ। पक्की करती जीत मेरी, जब ईश्वर का गुण गाता हूँ। लक्ष्य से परे नहीं अस्तित्व मेरा, संघर्षों का मैं आदि हूँ। थकूंगा नहीं बिना जीत के, विजयी विश्व का वासी हूँ। ©theABHAYSINGH_BIPIN #बार-बार कोशिशें की मैंने, हर बार चोट मैं खाता हूँ। फिर भी हिम्मत है इतनी, जीत की कसम मैं खाता हूँ। लक्ष्य नए नहीं, ये संकल्प है, मेहनत से
#बार-बार कोशिशें की मैंने, हर बार चोट मैं खाता हूँ। फिर भी हिम्मत है इतनी, जीत की कसम मैं खाता हूँ। लक्ष्य नए नहीं, ये संकल्प है, मेहनत से
read moreIG @kavi_neetesh
Unsplash हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। बोल पड़े हम घर में भाई फिर खींचातानी हो गई। मुंह फेर लिया अपनों ने रिश्तेदार भी रूठ गए। बड़े जतन से बांध रखा वो प्रेम के मोती टूट गए। घर में दीवारें खिंच गई मकान बिकाऊ हो गया। समझदार थे उनका अब पुत्र कमाऊ हो गया। कैसे बांध सके वो डोरी जलन पड़ी थी पांवों में। तुच्छ स्वार्थ से शूल बिछाए सूनी सी इन राहों में। संभल संभलके चलते फिर भी धोखा मिलता है। पांव से जमी खिसकती कभी फैसला हिलता है। जिसका पलड़ा भारी होता लोग उधर हो जाते हैं। सलाह मशवरे आकर हमको रोज देकर जाते हैं। रिश्तेदारों को भी जाने क्यों ये परेशानी हो गई। हमने जब अपना हक मांगा तो हैरानी हो गई। अपनी मेहनत हक का खाना बेईमानी हो गई। न्याय की खातिर टूट पड़े तो खींचातानी हो गई। ©IG @kavi_neetesh #camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
#camping Extraterrestrial life Entrance examination Hinduism Aaj Ka Panchang Kalki हमने जब अपना हक मांगा हमने जब भी अपना हक मांगा तो हैरान
read moreनवनीत ठाकुर
White मरण नहीं है अंत, ये तो एक नई है शुरुआत, जिसमें रूह का मिलन, उस परम से है मुलाकात। मृत्यु नहीं है खात्मा, बस रूप बदलने की है बात, उसके दर पर समर्पण ही, इस जीवन की सबसे बड़ी है राहत। ©नवनीत ठाकुर #मरण नहीं है अंत, ये तो एक नई है शुरुआत, जिसमें रूह का मिलन, उस परम से है मुलाकात। मृत्यु नहीं है खात्मा, बस रूप बदलने की है बात, उसके दर प
#मरण नहीं है अंत, ये तो एक नई है शुरुआत, जिसमें रूह का मिलन, उस परम से है मुलाकात। मृत्यु नहीं है खात्मा, बस रूप बदलने की है बात, उसके दर प
read morepuja udeshi
एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर बनने वो दुबारा घर भी नहीं बसाती बच्ची की देखभाल और carrier की खातिर कठिन मेहनत करती हैं मर्द समाज क़ो देखता हैं पर औरत के प्यार क़ो नहीं पहचान पाता हाथ उठा कर मर्द बनता हैं ऐसे मर्द एकाकी जीवन जीते हैं.... ©puja udeshi एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर बनने वो दुबारा घर भी नहीं
एक औरत घर तब छोड़ती हैं जब उसके आत्मसम्मान क़ो ठेस पहुँचती हैं वो बच्ची के साथ वो घर छोड देती हैं खुद आत्म निर्भर बनने वो दुबारा घर भी नहीं
read moreSarfaraj idrishi
हमेशा अपनी छोटी-छोटी गलतियों से बचने की कोशिश करो क्योंकि इंसान पहाड़ों से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है ©Sarfaraj idrishi #solotraveller हमेशा अपनी छोटी-छोटी गलतियों से बचने की कोशिश करो क्योंकि इंसान पहाड़ों से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है Islam Ankita Tantuway
#solotraveller हमेशा अपनी छोटी-छोटी गलतियों से बचने की कोशिश करो क्योंकि इंसान पहाड़ों से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है Islam Ankita Tantuway
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