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अपनी कलम से
सो गया चुपके से, खामखां रात जो आयी थी, किया गुफ्तगू तकिए से, तन्हाई साथ जो लायी थी। सूनापन था चारो ओर, गांव में भी सन्नाटा था, बेवजह - बेमौसम, बरसात जो आयी थी।। आंसू बरस रहें आंखों से, पर मुस्कुरा रहें थें लव, इन सूनी - सूनी रातों में, तेरी याद जो आयी थी। खालिपन सा दिल में भरा, मन भी रहने लगा था भारी, ऐसे इस एहसास में, सामने तेरी बात जो आयी थी।। कभी सुनने को जो कानें तरसे, चाहने से जो कभी न बरसे, उस बरसात की रात बदरी से, एक आवाज़ सी आयी थी। देखने को तरस गईं थीं आंखें, सामने अंधकार लिए, खुले आसमानों में बिजलियों ने, एक तस्वीर सी बनायी थी।। दिल रहा पुकार तुम्हें, पर सांसें अटकी - अटकी सी, आई थी जो उस रात, तू नहीं, तेरी परछाईं थी। सूनापन था चारो ओर, गांव में भी सन्नाटा था, बेवजह - बेमौसम, बरसात जो आयी थी।। @dashing_raaz ©dashing raaz सो गया चुपके से, खामखां रात जो आयी थी, किया गुफ्तगू तकिए से, तन्हाई साथ जो लायी थी। सूनापन था चारो ओर, गांव में भी सन्नाटा था, बेवजह - बेमौस
Bhawna Sharma
अनुशीर्षक में पढ़ें! #Intezar ❤ #Nojoto #BhawnaSharma..✍ सुनो.. हाँ तुमसे ही कह रही हूँ, जो पढ़ रहे हो इस वक़्त, सुनो मेरी बात ज़रा ध्यान से सुनना और गौर करना! ये ज
PrakHar Dixit
किसी ने क्या खूब कहा जब तक थी सांसें मेरे साथ कोई ना हुआ अपना ।। ओर जब छुटी सांस अपनी तो हुआ पूरा जग अपना ।।। सांसें
हरिशंकर काछी
घर में रहो-घर में रहो हो रहा है ऐलान सुन-सुनकर बेघर सब हैं बहुत हैरान एक-एक लम्हा बहुत भारी हो रहा है सांस बड़ी मुश्किल से आ-जा रही है गाँव से भागे थे भूखे रोटी की तलाश लेकर भूखे ही वे वापस भागे खुद की लाश लेकर शहर वालों से उनका शहर छिन गया भिखारी से उसका फुटपाथ छिन गया शुकून ही तो छिना है अभी सब्र करो सांस न छिन जाये कहीं दुआ करो सांसें
Ranjit Kumar
सांसे तो मै रोक लूँ अपनी वो मेरे बस में है.. पर तेरे एहसांसो को को कैसे रोकूं तू तो मेरी नस नस में है..!! ©Ranjit Kumar #सांसें
J P Lodhi.
थक सा गया जिंदगी से,चलते चलते रुकती सांसें। गम के मेलें में खुशियों को,रोते रोते तकती आँखें। सुनने वाला कोई नहीं,अब खुद से ही करता बातें। नजर आ चुकी है मंजिल,अब उखड़ रही है सांसें। JP lodhi 19May2023 ©J P Lodhi. #सांसें
kavi shubham shrivastava
कुछ है सांसे जो कि उदास हैं मुझे जीने की अब भी आस है दिल टूट गया सुनके तेरी दास्तां जो मोहब्बत के तेरे अल्फ़ाज़ हैं कुछ है सांसे ............. तेरा दर्द कैसे कम करू तुझे जीयुं या तुझमें मरू ले ले हर एक कतरा मेरे इश्क का जो वफा की धड़कने भी मेरे पास है कुछ है सांसे ........ औे सावन में भी ना मिला सुकूं क्या कम हुआ मेरे इश्क का जुनूं मैंने मांगी है समन्दर से दुआ क्योंकी मेरा यार भी तो कुछ खास है कुछ है सांसे ....... धडकनों ने छोड़ा है जब से साथ मेरा जैसे अपनों ने छोड़ा हो हाथ मेरा तो क्या में तुझसे इश्क़ ना करूं बस इतनी सी जो बात है कुछ है सांसे जो कि उदास है मुझे जीने की अब भी आस है ll # उदास सांसें....
Arshad Ayub
मुझे यकीन है रिश्तों की डोरी पल में टूट जाएगी मैं उसकी हर अदा से वाकिफ हूं फिर न मानेगी, इस कदर रूठ जाएगी #सांसें #रूठना