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abhay singhaniya
New Year 2024-25 Social science file ©abhay singhaniya Class 10th
Class 10th
read moreSchizology
I want to I want to Get tongue tied Between your thighs I want to Get a rise Staring at your eyes I want to Get inside You can be my guide I want to Go and hide Right next to your side I want to Be yours and you mine Far beyond this life ©Schizology I want to #want #love❤ #poem✍🧡🧡💛
Schizology
I forgot I must have forgotten About trying to forget you ©Schizology I forgot #poem✍🧡🧡💛
I forgot poem✍🧡🧡💛
read moreJunaid Pinjari
کہانی ٹھیک بنتی ہیں نظارے ٹھیک ملتے ہیں امومن وقت اچھا ہو تو سارے ٹھیک ملتے ہیں ہمیں تو جو ملا اپنا وہی ڈھسنے میں ماہر تھا نہ جانے کیسے لوگوں کو سہارے ٹھیک ملتے ہیں ©Junaid Pinjari #peace
C2
इन दिनों कुछ शब्द है जो गूंज रहे है देश में असल में चुभ रहे है भविष्य के कानों में मॉब लिंचिंग से मौत और दंगे,अब हैरान नहीं करते खौंफ जगाते हैं बहुतों को अपने आज और कल के होने में कभी संभल तो कभी अजमेर, मणिपुर का तो अभी जिक्र भी नहीं आग की लपटें, चारों और धुआं ही धुआं और पथराव ये तस्वीरे हर रोज की खबर है, जिसे मैं देखना नहीं चाहता मैं भविष्य आज खड़ा हूं इस असीम शोर-नहीं-बवाल में शिमला कितना ठंडा है... फिर उसमें ऊबाल क्यों कुछ तो गलत है शायद सही सुझाव सोच से परे है क्या किसी को शांति पसंद नहीं जिस पर अमल हो क्या कोई सुलगती आग को बुझाना नहीं चाहता मैं भविष्य, ऐसा भविष्य बिल्कुल नहीं चाहता वक्त रहते इसका अंत हो, समस्या का निदान हो ये सूरज की लालिमा का रंग सूरज से ही निकले तो अच्छा है धरती से सूरज को जाएगा तो सब कुछ जलना ही है मुझे तो कल में जीना है और ज्वलंत लपटें चुभ रही है मैं भविष्य, ऐसा भविष्य बिल्कुल नहीं चाहता क्या कोई सुलगती आग को बुझाना नहीं जानता।। -C2 . ©C2 #protest #peace #justice #harmony #poem
Roshani Thakur
तुम काबिल थे इसलिए उत्तर दिया l नहीं तो हर ऐरे-गैरे को मैं उत्तर देती नहीं फिरती l ©Roshani Thakur Attitude #class #women
neelu
White I want to like you ...not because you like me, but because ©neelu #GoodMorning I #want to #like you not #because you like #me, #but because
Lili Dey
ଗଛ ଟିଏ ମୁହିଁ ଶୁଣ ମୋ କାହାଣୀ, ମୋ ପାଇଁ ଯେ ଚାଲେ ଏ ଧରଣୀ । ମୁଁ ନିଜେ କହୁଛି ମୋର ବ୍ୟଥା, ଶୁଣ ଥରେ ମନ ଦେଇ ମୋ ଅକୁହା କଥା । ନିଜ ପାଇଁ ଚାହେଁନା ମୁଁ କିଛି, ପରୋପକାର ପାଇଁ ତୋ ଦୁନିଆ ରେ ଅଛି । ନିଷ୍ଠୁର ମାନବ ଜାତି ମୋତେ କେତେ ଯନ୍ତ୍ରଣା ଦଉଛି, ମୋତେ ଯେ ସେ ହାଣି ଜାଳି ନିତି ମାରୁଛି । ମୋର ଚେର ଠୁ ନେଇ ପତ୍ର ଫୁଲ, ଫଳ ଓ ଛାଇ ସବୁ ତୋ ପର ପାଇଁ, ତଥାବି ଏ ମାନବ ମୋ ନିଷ୍ଠାପରତା କୁ ଦେଖୁ ତୋ ନାହିଁ । ©Lili Dey #peace