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Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️. #Jazzbaat साकीं बन पयमानें चलते रहे। कबक्तं रात ख़तम हुए। आवाम में ज़लज़ले की शुरुवात हुई। दिल में छिपी उन बातों को रुंक्सती ले ली। नए सवेरें के साथ ज़िन्दगी फिर से शुरूं करदी। नए जजबों के साथ। #morning #dreams #words #yqbaba #yqquotes #uqbhaijan Written by Harshita ✍️✍️. #Jazzbaat साकीं बन पयमानें चलते रहे। कबक्तं रात ख़तम हुए।
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat जंगल जलाने से यादों के ज़लज़ले मिटा नहीं करते, मोहब्बत के फसाने तनहाई में खिला नहीं करते। बेकुसूर दिल को सम्भाल लो जनाब । इस दिल के अरमानों एहसासों से ना जलाओ। कुछ थाम लो कुछ थम से जाओ। #cinemagraph #deepthoughts #feelings #yqbaba #yqhindi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat जंगल जलाने से यादों के ज़लज़ले मिटा नहीं करते, मोह
Ramandeep Kaur
इंतज़ार ------------- वो अनकही सी क़ैफ़ियत, और अनकहा सा ख़ौफ है, या खुदाया क्यों हवा में ज़लज़ले सा रोष है। खुद ही छेड़ता है इन्सां, कुदरत के कायदे यहां, फिर भटकता है दरो-दर, कि अब भला जाऊं कहां। आज कुर्बत है जहां में, कोई दवा बरपा नहीं, कब फ़ना होगा कोरोना है यही अब इंतजार।। ©Raman क़ैफ़ियत= कारण रोष= कुढ़न बरपा= उजागर होना कुर्बत= नजदीकी इंतज़ार ------------- वो अनकही सी क़ैफ़ियत, और अनकहा सा ख़ौफ है, या खुदाया क्यों हवा में ज़लज़ले सा रोष है। खुद ही छेड़ता
Shree
हम कहाॅं अपनी किस्मत फिर से तुम संग लिख रहे...! तुम भी ना! कहते हो, इस स्याही का रंग पसंद नहीं...! यह ऊब नही है, कह दो ना... आज साफ-साफ सही-सही..! शब भर बेसब्र उसी गली में हम... एक तुम्हारी, 'जान!' राह तकते खड़े। हर आग, हर ज़लज़ले से बहुत बड़ा है तुम्हारा मौन, तौबा! जो यूॅं चुप रहे! हम कहाॅं अपनी किस्मत फिर से तुम संग लिख रहे...! तुम भी ना! कहते हो, इस स्याही का रंग पसंद नहीं...! यह ऊब नही है, कह दो ना... आज साफ-सा
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat ज़िन्दगी में भी एक मुशायरा हुआ, जहां बेइंतेहा लोगों का दाखिंला हुआ। दिल को क्या क्या समझते, जिसने जैसा जाना वैसा ब्यान ए ख़ास किया। किरदारों में नज़र आते रंजिशो के ज़लज़ले, जूबां पर प्यार दिल में मलाल नज़र आया। क्या माहौंल है दुनियां में साहब शक्लं पर , नहीं लिखा होता कोन किस कदर हावीं होने लगता है। #feelings #deepthoughts #lifequotes #yqbaba #yqtales Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat ज़िन्दगी में भी एक मुशायरा हुआ, जहां बेइंतेहा लोगों
{¶पारसमणी¶}
तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं कैसे मिलता कहीं पे था ही नहीं घर के मलबे से घर बना ही नहीं ज़लज़ले का असर गया ही नहीं मुझ पे हो कर गुज़र गई दुनिया मैं तेरी राह से हटा ही नहीं कल से मसरूफ़-ए-ख़ैरियत मैं हूं शेर ताज़ा कोई हुआ ही नहीं ++ रात भी हम ने ही सदारत की बज़्म में और कोई था ही नहीं यार तुम को कहां कहां ढूंढ़ा जाओ तुम से मैं बोलता ही नहीं याद है जो उसी को याद करो हिज्र की दूसरी दवा ही नहीं...❤️ शायर शुभ;/¡! तेरे जैसा कोई मिला ही नहीं कैसे मिलता कहीं पे था ही नहीं घर के मलबे से घर बना ही नहीं ज़लज़ले का असर गया ही नहीं मुझ पे हो कर गुज़र गई दुन
अशेष_शून्य
कितनी शिद्दत से वो, सुर्ख़ नज़रें चुराता है ... इक- इक सांस गिरवी रख , मक़ाम-ए-सुकूँ अपनी चौखट तक लाता है....। छुपा लो पलकों की ओट में चाहे कैद कर लो रूह में ... बड़ा बेसब्र है वो, जाने खातिर ही आता है .....। मुझे पूछना है कि उसकी तपिश का राज़ क्या है ... क्यूं ख़ुद जलकर भी वो ख़ुदा को रौशन कर जाता है ....। फ़कत तब्दीलियों के सिवा यहां कौन ठहर पाता है ... ना जाने क्यूं हर ज़लज़ला इतनी ख़ामोशी से आता है.....। मुझे देखना है ,उसके होठों पर साज़ क्या है ... जो मेरी बुझती मुंडेर रौशन करने , हर रोज़ छजे पर उतर आता है ....।।-Anjali Rai (शेरनी ❤️) मक़ाम-ए-सुकूँ -place of peace सुर्ख - Red ज़लज़ले (زلزلہ)- Earthquake साज़ (ساز)- to build relationship/ musical instrument मुंडेर -a kind
Kanwalpreet Singh
कितना कुछ अनकहा रह गया, मैं जहां था वहीं रह गया! छोड़ दे उम्मीद उसके लौट आने की, मेरे इंतज़ार का आखरी दीया बुझते बुझते मुझसे कह गया! कोई और होता तेरी जगह तो ना होता दिल ज़ख्मी, तेरी खुशी के लिए ही हर धोखा मैं सह गया! महफ़िल में तो सबको लग रहा था खुश मैं, जब खुद को देखा आईने में तो आंख से आंसू बह गया! यूं तो कई भूचाल सहे थे मैने ज़िंदगी में, तूने गले क्या लगाया मैं एक पल में ढय गया! So much remained untold, I stayed where I was! Leave the hope of her return, When it was about to extinguished, The last lamp of my wait said to me! If someone else would have been in your place, the heart would not have been hurt, For your happiness, I have endured every deception! Everyone in the gathering thought I'm happy, When I saw myself in the mirror, tears flowed from my eyes. Although, I had suffered many earthquakes in my life, What did you hug, I collapsed in an instant! ©Kanwalpreet Singh कितना कुछ अनकहा रह गया, मैं जहां था वहीं रह गया! छोड़ दे उम्मीद उसके लौट आने की, मेरे इंतज़ार का आखरी दीया बुझते बुझते मुझसे कह गया! कोई और
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat आवारां सी कश म कश सी लगी ज़िन्दगी। तूफ़ान उठता रहा। हल चल दिखाता रहा। रंजो गम में गुम सी थी।तूफ़ान था आंखो में। लाल सुर्ख गुलाबी रंगो में बादल नज़र आते रहे। यादें पुरानी ताज़ा करती रही। तूफानों में कशितिया डुबाती रही। सात समुद्र पार जाते रहे। उमड़ घुमड़ लहरों में उछलते रहे।मचलते रहे। बगैरअनुमति अपनी आंखो में बसाते रहे। बहाते रहे।कुछ पुराने किस्से बंद किताबों से। निकल कर सवाल करने लगे। तू कण कण में मौजूद है। मेरी आंगन की तुलसी की परिक्रमा में भी तुम थे। मेरे तांबे के लोटे के जल में भी परछाई थी तुम्हारी। द्वार पर बने स्वास्तिक चिन्ह के कुमकुम ने तुम थे। कहां थे तुम। कहां थे तुम। मेरे हाथों की लकीरों में थे क्या तुम। बहुत देर तक पढ़ती रही ।मिलाती रही। कभी उल्टा करती।कभी सीधा करती। बस हाथों को निहारती। और सोचती । तुम हो या नहीं। हो तो कहा हो। होती साथ क्यूं नहीं। नाम था तो दिखता क्यूं नही। लकीरों कुछ धुलने लगी थी। बसी लकीरों को मिटाती रही। नई किरदारों को परखती रही। क्या हुआ अगर ज़िंदगी की सच्चाई। नज़र आने लगी। वक़्त रहते आंखे खुल गई। तबांही के ज़लज़ले जोंरे पर थे। कुछ नए कुछ पुराने। बस किस्से कुछ कहानियां । बनती रही। राहीं बन कर चलते रहे। चलते रहे।चलते रहे। #quote #mythoughts #feelings #yqbaba #yqquotes Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat आवारां सी कश म कश सी लगी ज़िन्दगी। तूफ़ान उठता रहा। हल चल
Jiyalal Meena ( Official )