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Tausif

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White zindagi ek safar hi suhana...yahan kal kya kisne jaana

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साँस लेती hui lash

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White ये सूरज कितना भी गर्म हो,
चांद से बढ़ के थोड़ी हैं ।
और मेरी जान,मेरा गुस्सा, 
तेरी मुस्कान से बढ़ के थोड़ी है ।
ये आसमान, ये हवा, ये हरियाली, भले मुझे सुकून देते है ।
पर मेरी जान, ये सब तेरी बाहों से बढ़ के थोड़ी है ।
जो दुनियां में खुली आंखों से देखता हू ,
मेरी जान वो दुनियां तुम्हारे ख्वाबों से बढ़ के थोड़ी है ।
तुम्हारे खूबसूरती को बताने के लिए इस जहान में कोई शब्द नहीं।
मेरी जान ये फूल–परिंदे, शाम–सवेरा, सूरज–चांद, तुम्हारे खूबसूरती को बताने के लायक थोड़ी है ।
तुम्हारे जाने के बाद भले ही मैं मर जाऊ,
मेरी उस मौत का कारण मेरी पागल तू थोड़ी है ।
वो अगर खुश है किसी और के साथ तो उसे खुश रहने दो ।
यारों मेरा दर्द उसकी खुशी से बढ़ के थोड़ी है ।
वो लोग जो जिंदगी को खूबसूरत बताते है ,
जरा कोई बताओ उनको ये जिंदगी मौत से खूबसूरत थोड़ी है ।
जो दर्द तुम अपने आशुओं मैं लिए फिरते हो अनजान,
वो दर्द मेरी खामोशी से बढ़ के थोड़ी है ।
चलो मान लिया मैने ये दुनियां तुम्हारी है ,
पर याद रखना ये मुझसे बढ़ के थोड़ी है । 
✍️✍️

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Khalil Siddiqui

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Khalil Siddiqui

Aarish

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White ऐ मेरे हमनशीं चल कहीं और चल...,
इस चमन में अब अपना गुज़ारा नहीं..!

बात होती गुलों तक तो सह लेते हम..,
अब तो कांटों पर भी हक़ हमारा नहीं..!

जाने किसकी लगन किसकी धुन में मगन..,
जा रहे थे हमें मुड़ के देखा तक नहीं...,

हमने आवाज़ पर उनको आवाज़ दी...,
और वो कहते हैं हमको पुकारा नहीं..!

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