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Eron (Neha Sharma)
एक अतुकांत कविता अपंग कौन ◆◆◆◆◆◆◆ मैं सहानुभूति नही दिखाती हूँ उनके साथ जो कमजोर हैं सिर्फ हाथ पैरों से मुझे हमदर्दी भी नही है उनके साथ जो चल देख नही सकते। मुझे हमदर्दी और सहानुभूति उनसे ज्यादा होती है जो अपंग हैं दिमाग से। सोच जिनकी अपंगता है। मुझे मालूम है शारीरिक रूप से कमजोर इंसान खुद को होंसला दे ही देगा मंजिल भी वह पा ही लेगा जैसे तैसे आज नही तो कल या फिर देरी से ही सही, क्योंकि कुछ भी ह्रदय तो उसका शुद्ध हो ही जाता है समाज की सच्चाई को देखकर, पर उनका क्या जो सही सलामत होकर भी दिल पत्थर का बना बैठे हैं। उनकी सोच में लगे जंग को साफ करने वालों के हाथ घिस जाते हैं। पर फिर भी रहते हैं वो वैसे ही, उनका क्या शायद उन अपंग लोगो से कमजोर तो वो लोग हैं, सहानुभूति की जरूरत उन्हें ज्यादा महसूस होती होगी। इसलिये मैं हमेशा उन्ही को हमदर्दी दिखाती हूँ। उन्ही से मेरी सहानुभूति है। मैं जानती हूँ वो नही सुधरेंगे अंत समय तक उनकी सोच की अपंगता उन्हें जलाकर राख कर देगी एक दिन, पर फिर भी मैं सहानुभूति उन्ही से रखती हूँ क्योंकि मुझे उन शारीरिक रूप से कमजोर लोगों से सहानुभूति नही है। मुझे उन पर विश्वास है पूरा विश्वास जीत लेंगे वो दुनिया को, अपने दम पर, अपने शरीर के दम पर नही, होंसले के दम पर। अब तुम्ही सोचो कि आखिर अपंग कौन है आखिर - नेहा शर्मा #NojotoQuote आखिर कौन है अपंग
Arun kumar
आगे है अंधी गुफा पीछे खुली सुरंग नेताओं ने है बना दिया हमारा देश अपंग (कुछ अल्फाज़ ) writer : Arun kumar कुछ शब्द देश के नाम हमारा देश अपंग #farmersprotest
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी दावों में बहका कर जुर्म किया गया है खुशहाल बनाने का दावा था मगर महँगाई की मार से तंग किया गया है अस्सी करोड़ को खैरात बाट अपंग लोकतंत्र किया गया है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho अपंग लोकतंत्र किया गया है #nojotohindi
सुसि ग़ाफ़िल
कभी-कभी अपंग भावनाओं को मिलती नहीं बैसाखियाँ ! कभी-कभी अपंग भावनाओं को मिलती नहीं बैसाखियाँ !
Agraj
dsp motivation
ज्यांच्याजवळ आपली माणसे असतात ते त्यांच्यासाठी भांडतात ज्यांच कोणी नाही, ते आपल्या लोकांसाठी तडफडतात.... ज्यांच्याजवळ आपली माणसे असतात ते त्यांच्यासाठी भांडतात ज्यांच कोणी नाही, ते आपल्या लोकांसाठी तडफडतात....
BADNAM SHAYAR K ALFAZ
समय अपंग हो तो अपने आँख दिखाने लगते हैं, चंद किताबों की अक्ल वाले समझाने लगते हैं, पैसे की दीवारों से बने घर बहुत मजबूत हैं साहब, इसके वासिंदे हम गरीबों के घर गिराने लगते हैं।। ©Guddu Gautam समय अपंग हो तो अपने आँख दिखाने लगते हैं। #Shayar #Shayari #foryou #Dussehra
Disuvjha
Nanda Karande Recipes