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vksrivastav
Unsplash क्या नया और क्या पुराना है छोड़ो जाने भी दो ज़माना है ज़िंदगी के तमाम लम्हों से चार पल खुशियों का चुराना है ©Vk srivastav क्या नया और क्या पुराना है #Quotes #Shayari #Trending #viral #poem #vksrivastav
हिमांशु Kulshreshtha
नहीं जानता क्या रिश्ता है मेरी रूह से तुम्हारी रूह का जो भी है ये, मगर खूब है ये अधूरा सा रिश्ता हमारा तन के रिश्ते, ना थे पहचान कभी मेरे इश्क की…. रूहों के मिलन से से होगा नायाब ये अधूरा सा रिश्ता हमारा ©हिमांशु Kulshreshtha क्या रिश्ता है..
क्या रिश्ता है..
read moreParasram Arora
White धर्म! आखिर ये धर्म है क्या? मैंने तो सिर्फ जीवन को ही जाना है जीवन के अलावा मैंने किसी को नहीं जाना है. और मेरी दृष्टि मे जीवन का अर्थ है. खेत हल कुवा और लहल्हाती फसल जीवन का अर्थ है पत्नी बच्चे और सुखद सफल दाम्पत्य ©Parasram Arora आखिर ये धर्म है क्या?
आखिर ये धर्म है क्या?
read moreMatangi Upadhyay( चिंका )
प्रेम क्या है..? मन की व्यथा जब कहनी ना पड़े, तन की पीड़ा जब बतानी ना पड़े, आँसू गिरे तो किसी की हथेली नर्म कर दे, निगाहें उठे तो गुस्सा शांत कर दे, मन जब उस मुकाम पर किसी के कंधे पर सर रख कर मुस्कुराए और आँखें भीग जाए, वो एहसास वो मुकाम प्रेम है..! ©Matangi Upadhyay( चिंका ) प्रेम क्या है?? #matangiupadhyay #Nojoto
प्रेम क्या है?? #matangiupadhyay
read moreRohan Roy
White आस्था पवित्र है, लेकिन आस्था से जुड़ी एक-एक तथ्य, पाखंड के पथ पर अग्रसर है। जो आस्था की अस्तित्व को मिटा रहा है। आस्था में विचारशील ऊर्जा का संचार होता तो है। किंतु यह बनावटी लिबास में लिपटा जीवन, आस्था के शाश्वत अनुभवों से ओझल हो रहा है। ©Rohan Roy आस्था पवित्र है, लेकिन आस्था से जुड़ी एक-एक तथ्य, पाखंड के पथ पर अग्रसर है | #RohanRoy | #dailymotivation | #motivation_for_life | #rohanroy
आस्था पवित्र है, लेकिन आस्था से जुड़ी एक-एक तथ्य, पाखंड के पथ पर अग्रसर है | #RohanRoy | #dailymotivation | #motivation_for_life | #RohanRoy
read moreनवनीत ठाकुर
वो शौक, वो जोश, वो किस्से पुराने, सब दब गए हैं वक्त के तहखाने में। अब तो जाम भी लगता है बेअसर सा, ना वो तासीर है, ना वो दीवाने में। मस्ती थी कभी खुद को भुलाने में, अब ग़म छुपते हैं हंसने के बहाने में। खुशबू थी कभी हर बहार के तराने में, अब वो यादें भी उलझीं हैं अफसाने में। जिंदगी के रंग अब स्याह लगने लगे, जैसे खुशियां कहीं खो गईं इस ज़माने में। सवाल हजारों हैं दिल के आईने में, बस धुंधली तस्वीर सी फसाने में। गुज़री हुई बातों की सदा आती है, जैसे कोई पुकार हो वीराने में। जो मिल ना सके, वो याद बहुत आते हैं, ना जाने क्या जादू है बेगाने में। ©नवनीत ठाकुर ना क्या जादू है बेगाने में
ना क्या जादू है बेगाने में
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