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मोहन लाल सींवर
सत्तर वर्ष तुमने गरीबी मिटाई। भारती को खूब दी ऊंचाई। आज ऐसी दीन तस्वीर दिखाई। कोरोना मंजर ने खोल दी कलाई।।। ************************* बहुत दिया करते नेता सफाई। हमने वो बनाई, ये भी बनाई। झूठ से लबरेज,तुम्हारी बेवफाई। कोरोना मंजर ने खोल दी कलाई।। ************************* गरीबी बहाने,राजनीति चमकाई। तुमने अब तक बातें की हवाई। इस गरीब ने खूब सरकारे बनाई। कोरोना मंजर ने खोल दी कलाई।। **************************** नेता गण बातें किया करते हवाई।। तुमने गरीब की झोपड़ी नहीं बनाई। सत्तर साल तक खाते रहे मलाई। कोरोना मंजर ने खोल दी कलाई।। ******************************* यदि की होती, गरीब की सुनवाई। दूसरे शहर क्यों जाते लोग-लुगाई। राजनीति ने गरीब पर छुरी चलाई। कोरोना मंजर ने खोल दी कलाई।। ******************************* आज तक,इन पर तरस नहीं आई। झूठी देते हो गरीबी हटाने की दुहाई। देख ऊंचे महलों को,झोपड़ी लज्जाई। कोरोना मंजर ने खोल दी कलाई।। ******************************* अमीरी-गरीबी के बीच खोदी खाई। गरीब को नसीब नहीं रोटी-रजाई। तुम्हारी अर्थ नीति की यही सच्चाई। कोरोना मंजर ने खोल दी कलाई।।। *************************************************************************************************************************************************************?******************************* कोरोना मंजर ने खोल दी कलई karam vir Brar Narayan singh Rathore sakshi CHAUHAN khan perfect💞 The Sensation
Manjeet Sharma 'Meera'
Atul Sharma
*📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“10/11/2021”*📝 ✨ *“बुधवार”*🌟 “संसार” के सबसे “कठोर धातु” में से एक है “लोहा”, “लोहे” से हम “अस्त्र-शस्त्र” प्राप्त कर सकते है, “अनेक वस्तुएं” प्राप्त कर सकते है, अब इस “लोहे” को प्राप्त करने के लिए, इस “लोहे” को प्राप्त करने के लिए किसका उपयोग किया जाता है ? “लोहे” का ही...ये बात हम सभी जानते है कि “लोहे” से ही “लोहे को काटा” जाता है, इसके आगे एक बहुत बड़ा “प्रश्न” आ जाता है, जो बहुत बड़ी “सीख” दे जाता है,ऐसा क्यों होता है ? कि हम “लोहे” से ही “प्रहार” कर रहे है “लोहे” पर किन्तु जिस “लोहे से प्रहार” कर रहे है उस “लोहे का आकार” नहीं बदल रहा, जिस पर “प्रहार” कर रहे है उस “लोहे का आकार” बदल रहा है, इसमें “अंतर” क्या है...इसमें अंतर है “तापमान” का,जिस “लोहे” को हमें बढ़ाना है और “काटना” है उस “लोहे को गर्म” किया जाता है और जिस “लोहे” से हमें “प्रहार” करना है उस “लोहे को ठंडा” रखा जाता है, अर्थात “ठंडा” लोहा “गर्म” लोहे को काटता है,अब देखिए हमारे “जीवन” में भी “समस्याएं” भी आती है हमें इस बात पर ध्यान रखना चाहिए कि हमें हमारे मन को “शांत” रखना है यदि हम “क्रोध” और “ईष्र्या” की “अग्नि” में जलते रहें,“द्वेष की अग्नि” में जलते है तो हम भी उस “लोहे की भांति” हो जाएंगे जिसका “तापमान” कई अधिक है,तब कोई भी आके हमें “क्षति” पहुंचा सकता है,याद रखिए जिसकी सबसे अधिक “स्थिर बुद्धि” है,जो सबसे “शांत व्यक्ति” है वो सबसे अधिक “बलशाली” है... *“अतुल शर्मा”🖋️📝* ©Atul Sharma *📚 *“सुविचार"*🖋️ 📘 *“10/11/2021”*📝 ✨ *“बुधवार”*🌟 *#“कठोर धातु”* *#“लोहा”*
Kailash Kumar
🌺फूलों में गुलाब 🌹 🥂नशे मे शराब 👏प्रोग्राम में ताली मजाक में साली धातु मे सोना दु:ख में रोना😭😭 प्यार में घम और ♥️आपके दिल में है हम
Lila Bora
#CTK -Funny 0r Die
इश्क़ का अंजाम -------------- हाँ दिल पत्थर है मेरा तभी जो टूटा फिर जुड़ा नहीं ☘️🍀☘️ भाव:- धातु (metal) वेल्डिंग कर जोड़ी जा सकती है, मांस-पेशियों को स्टीच (टाँका) दिया जा सकता है, हड्डी को प्लास्टर किया जा सकता है बस एक पत्थर
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा दीपक जैसा ही सुनो , देना सदा प्रकाश । शशि जैसे ही तुम कभी , करना नही निराश ।।१ दीपों का त्यौहार है , सुन दीपों का मान । दीपक जिनके हाथ में , राहें हो आसान ।।२ दीपक तो दीपक रहे , मिट्टी या हो धातु । जिसको जग है पूजता, कहके लक्ष्मी मातु ।।३ मिट्टी हो या धातु के , देते दीप प्रकाश । भटके राही को नहीं , करते कभी निराश ।।४ घर से पहले मन करो ,तुम सब अपना साफ । वरना लक्ष्मी माँ कभी , नही करेगीं माफ ।।५ पहले मन को स्वच्छ कर , जग कर लेना बाद । खुद में इतने पाप है , कर ले उनको याद ।।६ २०/१०/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Relationship दोहा दीपक जैसा ही सुनो , देना सदा प्रकाश । शशि जैसे ही तुम कभी , करना नही निराश ।।१ दीपों का त्यौहार है , सुन दीपों का मान ।
Ravi Shankar Kumar Akela
इस शब्द की व्युत्पत्ति 'पा' धातु से हुई है, जिसका अर्थ होता है, 'रक्षा करना' तथा पालन करना।, अत: पिता का कार्य है अपने परिवार के सदस्यों की रक्षा करना तथा पालन करना। यह रक्षा वह दो दृष्टियों से करता है, सामाजिक मर्यादा तथा शारीरिक विकास के सम्बन्ध में ©Ravi Shankar Kumar Akela #TereHaathMein इस शब्द की व्युत्पत्ति 'पा' धातु से हुई है, जिसका अर्थ होता है, 'रक्षा करना' तथा पालन करना।, अत: पिता का कार्य है अपने परिवार