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Sunil Kumar Maurya Bekhud
सपना पता नहीं चलता है कैसे कट जाती है रात सुबह भूल जातें हैं हम सपनों की बात लेकिन कुछ सपनों को भूल नहीं पाते हम दिन भर करते याद मन में दुहराते हम चले गए दुनिया से दूर बहुत जो अपने हमें मिला देते हैं उन अपनों को सपने कभी डराते हमको कभी बांटते खुशियाँ कभी रुलाते जी भर थक जाती हैं अँखियाँ जो कुछ खो देते हम या फिर जो कुछ पाते बेखुद सब मिट जाता जब हम हैं उठ जाते ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #DREAMING
Imran Khan
White ye kosa mountain hai ©Imran Khan #sad_quotes videos maker #Sapna
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read moreImran Khan
Unsplash kampin kana kis kis ka sapna hai ©Imran Khan #camping youtube videos #Sapna
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read moreSchizology
Daydreaming at night Daydreaming , night dreaming What is it you have me feeling? You are glowing and beaming You have me spinning and reeling At night I am quiet and silent Thinking of you and your smile Imagining ,cherishing the moment Your beauty goes for many miles My mind is preoccupied with you My thoughts go crazy and wild Do you know what you construe? Easily you have my number dialed My brain goes on a rollercoaster Moving in each and every direction You should be on a pin-up poster You'd get my vote in any election ©Schizology Daydreaming at night #dreaming #love❤ #poem✍🧡🧡💛
Riyanka Alok Madeshiya
White कभी-कभी -------------- कभी-कभी बस यूँ ही बैठे-बैठे मैं गुम हो जाती हूँ एहसासों की एक अनोखी दुनियाँ में अन्त से भयहीन- मैं खड़ी होती हूँ; आरम्भ पर एक अस्तब्ध नदी होती हूँ जो ऊंचे शिखर से निकाल कर, विशालकाय समुद्र में मिल कर, अपना आकार दोगुना कर रही होती है एक पंछी होती हूंँ जो निर्बाध हवाओं को चीरती हुई, अपने परों से आसमान को खुरच रही होती है वहाँ की अन्तहीन हरियाली तो जैसे ऊपर के नीले रंग को अपनी रंगत से फीका कर रही होती हैं उस हरियाली के सबसे ऊँचे हिस्से पर लगे हुए झूले में; झूलते समय मेरे पैरों के अंगूठे बादल छू रहे होते हैं जिसके कारण बादलों में छुपा , जल- कण नीचे आ कर के हरे रंग की गहराई बढ़ा रहा होता है उन रम्य क्षणों में मैं- मैं अपने सारे गुनाहों से मुक्त और दर्द से बेसुध होती हूँ जीवन के सारे संघर्ष लापता होते हैं उस अनोखी दुनियाँ के शब्दकोश में, असम्भव शब्द ही अनुपस्थित होता है सौंदर्य युक्त उन क्षणों से- मुझे इतना मोह हो आता है कि- इच्छा होती है ; पिघल जाऊँ और रम जाऊॅं ;उस सागर में, उस हरियाली में ,उन बादलों में और बस वही की होकर रह जाऊँ बस यूँ ही बैठे-बैठे कभी-कभी मैं.... रियंका आलोक मदेशिया ©Riyanka Alok Madeshiya #Kabhi #Sapna