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Rajkumar pal

#Sad_Status सबसे रिश्ता निभा रहे हो, चुतिया हो ! या बना रहे हो ?

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White सबसे रिश्ता निभा रहे हो,
 चुतिया हो ! या बना रहे हो ?®️

©Rajkumar pal #Sad_Status सबसे रिश्ता निभा रहे हो, चुतिया हो ! या बना रहे हो ?

संजय जालिम " आज़मगढी"

# बेकार हो गया #

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White पहली झलक मे मुझे प्यार हो गया
जब मुलाकात हुई उनसे दिल बेकरार हो गया
कभी लायक होशियार था, मै घरवालो के लिए
आज प्यार के चक्कर मे नालायक बेकार हो गया

©संजय जालिम " आज़मगढी" # बेकार हो गया #

gaTTubaba

#Thinking सबसे बड़ा झूठ निकला ये तो की "तुम्हारी नहीं हैं तलाश हमें"

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White सबसे बड़ा झूठ निकला ये तो की


"तुम्हारी नहीं हैं तलाश हमें"

©gaTTubaba #Thinking सबसे बड़ा झूठ निकला ये तो की


"तुम्हारी नहीं हैं तलाश हमें"

लेखक ओझा

#SunSet चांद हो

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset तसव्वुर की चांद हो तुम
सुबह की मेरी पहली बात हो तुम
दोपहर की छाव हो तुम,
ढलती शाम की लालिमा हो तुम
तुम्हे क्या पता की मेरी जान हो तुम।।

©लेखक ओझा #SunSet चांद हो

हिमांशु Kulshreshtha

कौन हो तुम..

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White मेरे मन आँगन में
सुनहरे सपनों को
सजाती कौन हो तुम
मेरे दिल की धड़कन में
पल पल समा रही
कौन हो तुम
मेरे कानों में घोल रही
अमृत सा अपनी बातों से
कौन हो तुम..
एक खूबसूरत ख्वाब
मृगतृष्णा या हक़ीक़त
सच बोलो, कौन हो तुम

©हिमांशु Kulshreshtha कौन हो तुम..

Dr. Nishi Ras (Nawabi kudi)

जय हो

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Parasram Arora

कैसे तय हो?

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White ये बात कित्नी अजीब है 
कि सांसे मेरी धीमी 
और मंद होती जा रहीं 
जबकि मेरी  नब्ज़ ने 
फड़कना बन्द कर  दिया है 


अब ये कैसे तय हो 
कि मै कितनी 
देर या  कितने दिन और  
जीता रहूगा ?
और मानलो मरना ही पढ़ा 
तो मेरा अंतिम क्षण कौनसा होगा

©Parasram Arora  कैसे तय हो?

Rameshkumar Mehra Mehra

# रिश्ता हो तो ऐसा हो.....💕

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नवनीत ठाकुर

#नवनीतठाकुर इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक, दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला। जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता, जैसे का

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इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक,
दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला।

जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता,
जैसे काग़ज़ पर गिरा, पानी का असर निकला।

अरमान सजे थे जिनसे रोशन मेरी दुनिया,
वो चिराग़ जला लेकिन हवा का असर निकला।

मिलन की घड़ी आई तो जुदाई के साए थे,
जिसे चाहा था अपना, वो भी बेख़बर निकला।

ख़्वाबों की हक़ीक़त में जो देखा था कभी हमने,
आईना दिखाया तो हर शक्ल बदल निकला।

©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर 
इक उमर की चाहत थी, इक लम्हे की दस्तक,
दरवाज़ा खुला तो ख्वाबों का सफर निकला।

जो दिन था मुक़द्दर का, वो भी कुछ यूँ बीता,
जैसे का

neha rajput

इतना बड़ा अजगर सांप रूम से निकला

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