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N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} व्यक्ति को अपनी आलोचना करते रहना चाहिए, किसी सच को कहने के लिए 2 लोगों की जरूरत पड़ती है, एक वो जो सच बोल सकता है, दूसरा वो जो सच सुन सकता है। यही जिंदगी की कड़ी है, जो अब तक सबकी उलझी पड़ी है।। जय श्री राधेकृष्ण जी!! N S Yadav GoldMine. ©N S Yadav GoldMine #sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} व्यक्ति को अपनी आलोचना करते रहना चाहिए, किसी सच को कहने के लिए 2 लोगों की जरूरत पड़ती है, एक वो जो सच
#sad_quotes {Bolo Ji Radhey Radhey} व्यक्ति को अपनी आलोचना करते रहना चाहिए, किसी सच को कहने के लिए 2 लोगों की जरूरत पड़ती है, एक वो जो सच
read moreसूर्यप्रताप स्वतंत्र
White थोड़ा बहुत अगर बोलोगे, तो इसका अंदाज़ा होगा। कौन कहाँ पर जाग रहा है, कौन कहाँ पर सोता है। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #Sad_Status #कविता_संगम kavita ranjan दिनेश कुशभुवनपुरी सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
#Sad_Status #कविता_संगम kavita ranjan दिनेश कुशभुवनपुरी सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी &039;स्मित&039;
read moreAbhiJaunpur
विश्व हिन्दी दिवस को अंग्रेजी मे लिखकर बधाई देने वालो को भी विश्व हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं ©AbhiJaunpur #AbhiJaunpur सुरेश अनजान अदनासा- शिवम् सिंह भूमि कवि आलोक मिश्र "दीपक" अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर
#AbhiJaunpur सुरेश अनजान अदनासा- शिवम् सिंह भूमि कवि आलोक मिश्र "दीपक" अभिलाष द्विवेदी (अकेला ) एक अनपढ़ शायर
read moreसूर्यप्रताप स्वतंत्र
New Year 2025 नए वर्ष में प्रेम से, ऐसे करो प्रवेश। सभी बुराई त्याग दो, गढो नया संदेश। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #Newyear2025 #कविता_संगम दिनेश कुशभुवनपुरी kavita ranjan सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित'
#Newyear2025 #कविता_संगम दिनेश कुशभुवनपुरी kavita ranjan सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी &039;स्मित&039;
read moreRV Chittrangad Mishra
Unsplash ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है ©RV Chittrangad Mishra #camping ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन
#camping ना प्रशंसा सुनने का शौक है ना आलोचना होने का डर क्योंकि आजकल बिना स्वार्थ प्रशंसा बिना ईर्ष्या के आलोचना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन
read moreParasram Arora
Unsplash ग़ज़ल पारखी ने एक बार मेरी ग़ज़ल का ज़ायज़ा लेने के बाद अलोचना यह कर दीं कि मुझे गज़ल लिखने का हुनर नहीं आता और मेरी ग़ज़ल को पद कर न किसी के दर्द ने इज़ाफ़ा हैता है न किसी का दर्द कम होता है ©Parasram Arora आलोचना
आलोचना
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