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नित्यानंद गुप्ता
छल कपट से कमाया हुआ धन और नाहक़ के हिस्से का धन लाभ तुम्हें दुःख के सारे दरवाजे खोल देते हैं। इसलिए धन अर्जित करने में सदैव सावधान रहना चाहिए। जीवन में सच की राह से ही सच्चा सुख मिलता है।
नित्यानंद गुप्ता
जिस मनुष्यों में क्रोध रूपी असुर का वास हो जाता है,वो नर तन में भी दानव ही कहलाता है। वो चाहे दिखने में भले ही मानव जैसा ही हो। आपकी वाणी और व्यवहार ही आपको मानव या फिर दानव बनाता है। सच्चा सुख तो आत्म सुख में ही है।
Rajik K
White जिंदगी का सबसे बड़ा जुआ विवाह है!! अगर हमसफ़र सही मिल जाता है तो आप सब कुछ जीत लेते हो और अगर ग़लत मिल जाए तो आप जीतें जी सब कुछ हार जाते हो !!🥀🥀🥀🥀🥀🙏 ©Rajik Khan दुनिया में भी सच्चा प्यार मिलता है
pramod malakar
**!!** तुम्हारे चरणों में **!!** !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! मैं बिंदास हूं तुम्हारे दिल के जज्बातों से, आशिक जो ठहरा तुम्हारे आशीर्वाद का ! मैं ढूंढता चला आया तुम्हारे इतने करीब, फर्क तनिक भी नहीं पड़ा , कड़वाहट भरे मुलाकातों का!! जिसने भी बनाया है " मां " फुर्सत में तुम्हें, अपने नजरों में छुपा लूंगा हर पल उन्हें। तुम्हारे परछाइयों को बसा लूंगा, अपने धड़कते दिल में। मैं फना हुआ हूं तुम्हारे बेतरतीब प्यार का, खाक होकर भी मैं इस चमन में, रहूंगा तुम्हारे चरणों के करीब। मैं बिंदास हूं तुम्हारे जज्बातों से, आशिक जो ठहरा तुम्हारे आशीर्वाद का!! """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""" प्रमोद मालाकार की कलम से """"""""""""""""""""""""""""""" ©pramod malakar #रहूंगा तुम्हारे चरणों में!
Mahadev Son
सौंप दिया मैंने इस जीवन को अब तुम्हारे हाथों में तेरी चाह में प्यार पाने को सौंप दिया खुद को तेरे हाथों मे सब गुण दोष समर्पित मेरे अब करतार सब तेरे हाथों में लाडले की हर रग की तार अब तेरे हाथों में अंत समय जब भी प्राण त्यागु निरंकार शिश तुम्हारे चरणों में मैं नर हूँ संसार के हाथों में तुम नारायण हो सारा संसार जगत का सिर्जन तुम्हारे हाथों में . ©Mahadev Son समर्पित शिव तुम्हारे चरणों में
Pradyumn awsthi
कोई तन दुखी ,कोई मन दुखी , कोई धन बिन रहत उदास। थोड़े थोड़े सब दुखी , सुखी राम के दास।। ©"pradyuman awasthi" #सुख बसा है इनके चरणों मैं
shaun simlai
#Pehlealfaaz "व्यवहार" घर का शुभ कलश है। और "इंसानियत" घर की "तिजोरी"। "मधुर वाणी" घर की "धन-दौलत" है। और "शांति" घर की "महा लक्ष्मी"। "पैसा" घर का "मेहमान" है। और "एकता" घर की "ममता। "व्यवस्था" घर की "शोभा" है और समाधान "सच्चा सुख"। "सच्चा सुख"।
नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
सच्चा सुख सवाल यह है कि जीवन में सच्चा कहां मिलता है। हर इन्सान का अलग अलग बंटा हुआ है।किसी को अर्थ सुख चाहिए, किसी को भोग विलास का सुख चाहिए, किसी को सांसारिक सुख से जुड़ा हर सुख चाहिए।लेकिन जहां तक मेरा विचार है, मनुज लोक में सच्चा सुख वहां मिलता है जहां विचारों का मेल होता है,जहां एक दूसरे की भावना की कद्र की जाती हो। जहां विचारो का मेल हो और भावना की कद्र हो वही प्रेम का माहौल तैयार होता है और जीवन सरस होता है। उसे ही ईश्वर का वरदान भी माना जाता है। धन दौलत, महल ,ऐसो आराम हो लेकिन विचार न मिले वहां सबकुछ होते हुए भी जीवन सुखमय नहीं होता। आजकल इंसान भाग ही तो रहा है लेकिन चेहरे पर सुख की मुस्कुराहट नदारत है। क्या जीना इसी को कहते हैं? उत्तर है-नहीं। सबसे दुखदाई जीवन वह होता है जब जीवन साथी ,चाहे नर हो या नारी, उसे समझने वाला ही न हो। फिर जीवन दर्द का साज बन जाता है जिस पर इन्सान दर्द के नगमे तन्हाई में गाता है और आहें भरते हुए दुनिया को अलविदा कह देता है। ©नागेंद्र किशोर सिंह # सच्चा सुख