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Ravendra
Experiment Solution
Sk Jit
✨हजारों प्यारों के बीच में मेरा रंग थोड़ा पीला हो सकता है, अगर आपके पास समय हो तो मुझे देखिये🥰❤️🩹😍✨ ©Sk Jit हजारों प्यारों के बीच में मेरा रंग थोड़ा पीला हो सकता है, अगर आपके पास समय हो तो मुझे देखिये#motivational #short_video #hindi_quotes #motavi
Rajkumar Sahni
आजा जानी पीला दे पानी, कुयेंं से पानी निकालर कर | हम आशिको का फटा कलेजा, दुप्पटा ओढ़ो सम्भलकर || ©Rajkumar Sahni #Kundan&Zoya आजा जानी पीला दे पानी #Romantic #shayari
Rakesh Dwivedi
गर्मियों के मौसम में ठंडा मीठा और रसीला ऋतुफल "शहतूत".. शहतूत सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. यह स्वादिष्ट और शीतल फल है. आयुर्वेद में शहतूत के कई फायदों के बारे में बताया गया है. शहतूत में मौजूद गुण शरीर में पानी की कमी को दूर करके प्यास को बुझाते हैं. साथ ही साथ यह पेट की जलन और पेट के कीड़ों कों खत्म करता है. शहतूत में मौजूद पोटेशियम, विटामिन ए और फास्फोरस शरीर के कई रोगों जैसे जोड़ों के दर्द, गले की बीमारी और आमवात को ठीक करते हैं. शहतूत के स्वास्थ्यवर्धक फायदे: * शहतूत खाने से पाचनशक्ति बढ़ती है. और जुकाम भी ठीक होता है. * कब्ज और पेशाब संबंधी रोग शहतूत खाने से ठीक होते हैं. * शहतूत खाने से आंखों की रोशनी बढ़ती है और इसमें मौजूद गुण इंसान की त्वचा को हमेशा जवां और चमकदार बनाए रखते हैं. * गर्मियों में शहतूत आपको लू से बचाता है. लू से बचने के लिए हमेशा शहतूत खाएं. * शहतूत सेवन करने से लीवर की बीमारी, पेशाब में जलन और गुर्दों की बीमारी भी ठीक होती है. अब पके हुए शेतुर यानी शहतूत को ऐसे ही कोरा ठंडा करके खाएं या इसका जूस बनाकर पियें या इसका जैम बनाकर खाएं या इसकी चटपटी लौंजी बनाकर खायें... गर्मियों में आनेवाले इन फलों का सेवन कर सेहतमंद रहिए... राजस्थान में शहतूत हरे या हल्का पीलापन लिये हुए रंग में आती है... कई अन्य प्रदेश में काली या गहरे भूरे रंग में आती है.. ©Rakesh Dwivedi गर्मियों के मौसम में ठंडा मीठा और रसीला ऋतुफल "शहतूत".. शहतूत सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होता है. यह स्वादिष्ट और शीतल फल है. आयुर्वेद में शह
N S Yadav GoldMine
माता सीता को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है, आइये विस्तार से जानिए !!🍀🍀 {Bolo Ji Radhey Radhey} सीता नवमी :- 🌹जब महाराजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए हल से भूमि जोत रहे हैं तो उस समय धरती से एक बच्ची प्राकट्य हुई। जिन्हें सीता नाम से जाना जाता है। इसी कारण हर साल सीता माता के जन्मोत्सव के रूप में इस दिन को सीता नवमी या फिर जानकी जयंती के नाम से जाना जाता है। इस दिन का महत्व काफी अधिक है। माना जाता है कि सीता नवमी के दिन पूजा पाठ और दान पुण्य करने स हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है. सीता नवमी पूजा विधि :- 🌹सीता नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ कपड़े धारण कर लें। अब पूजा घर या फिर साफ जगह पर एक लकड़ी की चौकी रखकर लाल या फिर पीले रंग का कपड़ा बिछा दें। इसके बाद इसमें माता सीता-रात की मूर्ति या फिर राम दरबार की तस्वीर विराजित कर दें। इसके बाद पूजन शुरू करें। सबसे पहले फूल के माध्यम से जल अर्पित करें। 🌹इसके बाद लाल या पीले रंग के फूल और माला चढ़ाएं। माता सीता को सिंदूर और भगवान राम को पीला चंदन लगा दें। इसके बाद अपने अनुसार भोग लगाकर घी का दीपक और धूप जलाएं। अब मां सीता का स्मरण करते हुए श्री सीतायै नमः और श्री सीता-रामाय नम: मंत्र का जाप करें। अंत में विधिवत तरीके से आरती करते हुए भूल-चूक के लिए माफी मांग लें। सीता नवमी का महत्व :- 🌹माता सीता को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है. इसलिए माता सीता की पूजा करने से मां लक्ष्मी खुद-ब-खुद प्रसन्न हो जाती हैं, जिन्हें धन की देवी भी कहा जाता है. सीता नवमी पर सच्चे मन से मां सीता की उपासना करने वालों के घर में कभी धन की कमी नहीं रहती है. ऐसी भी मान्यताएं हैं कि माता सीता की पूजा-पाठ से रोग और पारिवारिक कलह से मुक्ति मिल सकती है। सीता नवमी कथा :- 🌹भगवान राम को विष्णुजी का अवतार माना जाता है। इसी तरह मां सीता को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। वाल्मीकि रामायण में मां सीता के धरती पर प्रकट होने का जिक्र मिलता है। कहते हैं कि एक बार मिथिला देश में भयंकर अकाल पड़ा। उस समय देश के राजा जनक हुआ करते थे। अकाल से मिथिला की प्रजा भूखी मरने लगी। राजा जनक इससे व्यथित हो गए। 🌹वे एक महान ऋषि के पास गए। उन्होंने अकाल से छुटकारा पाने के लिए उपाय बताने को कहा। ऋषि ने राजा जनक से कहा कि वे यज्ञ कराएं और यज्ञ भूमि पर हल जोतें। उनकी समस्या का निवारण हो जाएगा। ऋषि के कहे अनुसार राजा जनक ने यज्ञ भूमि पर हल चलाया। 🌹जैसे ही हल की नोक जमीन में गई, तो कुछ बजने की आवाज आई। राजा जनक ने मिट्टी हटाई तो जमीन से आकर्षक संदूक निकली। राजा ने जब संदूक खोली तो उसमें एक छोटी बच्ची नजर आई। राजा जनक के कोई संतान नहीं थी। वह लंबे समय से संतान प्राप्ति के लिए कई बार देवों की पूजा-अर्चना की थी। उन्होंने संदूक से निकली बच्ची को अपनी पुत्री के रूप में अपना लिया। 🌹हल से जोती हुई जमीन को सीता कहते हैं, इसलिए राजा जनक ने बच्ची का नाम सीता रखा। वही सीता आगे चलकर श्रीराम की पत्नी बनीं। जिस दिन सीता का प्राकट्य हुआ था, उसे सीता नवमी के रूप में मनाया जाता है। इसे जानकी नवमी भी कहते हैं। ©N S Yadav GoldMine #You&Me माता सीता को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है, आइये विस्तार से जानिए !!🍀🍀 {Bolo Ji Radhey Radhey} सीता नवमी :- 🌹जब महाराजा जनक
Alpesh sen
Vedantika
रख़्शाँ हुई हैं गलियाँ जो जल उठे चिराग़, आहट लौटने वाले की मिलने लगी दिलों को। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "रख़्शाँ" "raKHshaa.n" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है प्रकाशमय, चमकीला, दीप्त, प्रका
SWARN_LEKHIKA_rumann_manchnda
चेहरा तस्वीर मे देखा तो तकता ही रह गया, रख्शाँ नूर था ऐसा कि दिल मेरा अपना ना रह गया❤️ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ आज का शब्द है "रख़्शाँ" "raKHshaa.n" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है प्रकाशमय, चमकीला, दीप्त, प्रका
Rajiv R Srivastava
रंगों की भी इक अपनी खूबी। अपने रंग सब को रंगे बखूबी॥ रंग गुलाबी कर देता मदहोश। जैसे प्रेयसी का मधु आग़ोश॥ लाल रंग करता विजय घोष। मन में बढ़ाता हर पल जोश॥ हरा हरियाली हर्षित तन मन। नीला रंग जैसे अंतहीन गगन॥ पीला रंग मन महकाने वाला। माँ जैसा स्नेह बरसाने वाला॥ भगवा रंग की अपनी ही माया। त्याग तपस्या स्वच्छ हो काया॥ सबसे जुदा एक है रंग सफ़ेद। कभी ना करता किसी से भेद॥ सभी रंगों को अपने में समाये। कभी रुलाये तो कभी हंसाये॥ सब रंगों का रासि रखवाला। सादा रंग पिता जैसा निराला॥ ऐसे ही प्यार के होते रंग हजार। जिससे होता पुलकित ये संसार॥ ✍🏻@raj_sri #yqbaba #yqdidi #yqholi #holi #colours #rang #festivalofcolors