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Rajni Vijay singla
वोट डालने के बाद पता चलता उल्लू नेता नहीं उल्लू बने हम फिर भी बार-बार बनते हैं इस बात का गम ©Rajni Vijay singla #बच के रहना रे बाबा
Rajni Vijay singla
वोट डालने के बाद पता चलता उल्लू नेता नहीं उल्लू बने हम फिर भी बार-बार बनते हैं इस बात का गम ©Rajni Vijay singla #बच के रहना रे बाबा
nisha Kharatshinde
धनगराची जात माझी धनगराची जात माझी गाव माझं कोकणात माय माझी धरती ही बाप माझा जेजुरीत श्यात माझं पिकलेलं हवेमंधी डुलतं हे भात पिक वरसभर पाॅट भरी त्यावर हे गाय,म्हैस,आणि बैल इस्टेट तिच माझी एक शेळी-मेंढरं,कोंबड्या ही पोरं माझी अनेक कोकणात गाव माझं घर-पुणे मुंबईत चाकरमानी म्हणत्यात रोजगार हॉटेलात एका धाग्यात विणलेली धनगाराची जात माझी प्रेम-मायेचा डोंगर तो ती वाडी माझी धनगराची ✍️काव्यनिश ©nisha Kharatshinde धनगराची जात माझी
Saurabh Raj Sauri
White मोहब्बत को बेकसूर अब मै सरेआम लिखूंगा तड़पती रूह पर हँसते जमाने का मै आराम लिखूंगा तोड़ दिया कई रिश्तो को जुबाँ से "राज" जात पात की इस दुनियां को,बेदर्द मै बदनाम लिखूंगा ©Saurabh Raj Sauri जात पात की दुनियां
Shivam Sahu singer
vidushi MISHRA
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. कितने रंग होली पर चढ़े और होली में ही उतर भी गये और एक आपकी यादों और वादो का रंग है जो आज तक उतरा ही नहीं और भी गहरा होता चला गया... ©vidushi MISHRA बाबा
Nik JAT
वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मुस्कान इतनी प्यारी, जैसे-फूलों की सुंदर सी फुलवारी, स्वभाव इतना शीतल, जैसे-कड़ी धूप में इकलौता हरा -भरा पीपल, वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, नादान से बच्चे की तरह करते थे बातें, कभी -कभी बातें ऐसी, जैसे - नासमझी से ज़िंदगी की कहानी सुना रहे हों, रूठना तो उन्हें,क्या खूब आता था, कहीं उनकी तबियत खराब ना हो जाएं, ये सोच कर जब पापा, घर से बाहर जाने को मना करते थे, फिर देखो उनका ड्रामा - कैसे गुस्से से मुंह फूला कर नाक सुकड़ते थे। रूठना तो उन्हें, क्या खूब आता था, जब वो कहीं जाते तो घर सुना कर जाते, हर शक्श की नज़रे उन्हीं को तलाश करती, याद उन्हीं को करके, बस उन्हीं की बात करती। वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं, उदासी का मंजर,काले बादलों को तरह छा रहा था। बुरे विचारो का सैलाब, तेजी से आ रहा था, और घर हर शक्श झूठा सा मुस्कुरा रहा था। जब पता चला,उनकी तबीयत खराब हैं वो समुद्र की तरह थे, गहरे और शांत, मेरी कविता के हर किस्से, उन्हीं की जिंदगी के हैं हिस्से। ©Nik JAT #प्यारे बाबा