Find the Latest Status about बगिया के अमरूद कहे from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बगिया के अमरूद कहे.
हिमांशु Kulshreshtha
White बिन कुछ कहे बिन कुछ सुने चलो छोड़ो रहने देते हैं .... ये नाम लेने और पहचान वाली रस्में ये मंज़िल तक साथ पहुँचने की क़समें बिन कहे बिन सुने ऐसे ही ख़ामोशी से कुछ कदम. बस हाथ थामे एक दूजे के संग चलते हैं… बिन कुछ कहे चंद पल जिन्दगी के बिन जाने बिन पहचाने साथ बसर करते हैं ©हिमांशु Kulshreshtha बिन कहे...
बिन कहे...
read moretripathi
White तू कहे तो तेरी हो जाऊं त उम्र के लिए शर्त ये है की तू सिर्फ मेरा होगा ©tripathi #Sad_Status तू कहे तो तेरी हो जाऊं त उम्र के लिए शर्त ये है की तू सिर्फ मेरा होगा
#Sad_Status तू कहे तो तेरी हो जाऊं त उम्र के लिए शर्त ये है की तू सिर्फ मेरा होगा
read moretripathi
क्या ऐसा हो सकता है मेरे मन की पीड़ा समझ पाओ तुम बिना कहे एक गले लगा लो ©tripathi क्या ऐसा हो सकता है मेरे मन की पीड़ा समझ पाओ तुम बिना कहे एक गले लगा लो
क्या ऐसा हो सकता है मेरे मन की पीड़ा समझ पाओ तुम बिना कहे एक गले लगा लो
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White लोगों के फरेबी चेहरे देख कर, जज़्बातों से रिस रहा हूँ , दिल और दिमाग की इस रस्साकशी में, मैं पिस रहा हूँ ...!!!! ©हिमांशु Kulshreshtha लोगों के
लोगों के
read moreहिमांशु Kulshreshtha
Unsplash कर के मोहब्बत भरपूर तुमसे .. हिस्से में सिर्फ तेरी बेरुखी के हक़दार हुए .. ख़बर भी ना लगी कब दिल खो गया कब तेरी चाहतों के शिद्दत से तलबगार हुए .. ©हिमांशु Kulshreshtha कर के..
कर के..
read moreGhanshyam Ratre
जंगल उपवन के छेड़छाड़ पेड़ -पौधों की कटाई कर रहें हैं। वन्य प्राणी पशु-पक्षियों का जीवन संकटों से प्रभावित हो रहें हैं।। जंगल में रहने वाले पशु-पक्षियां गांवों- शहरों में आ रहें हैं। खेती-बाड़ी फसल को उजाड़ कर बर्बाद कर रहे हैं।। ©Ghanshyam Ratre जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
जंगलों के पशुओं पक्षियों के जीवन
read moreF M POETRY
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset समंदर के किनारे आ के अक्सर बैठ जाता हूँ.. सुना है दिल के दर्द-ओ-ग़म समंदर सोख लेता है.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #समंदर के किनारे आ के अक्सर..
#समंदर के किनारे आ के अक्सर..
read morePraveen Jain "पल्लव"
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset पल्लव की डायरी बस्तुओं के साथ साथ कीमत अपनी सब आँक रहे है कर्तव्यों की कुर्बानी देकर लाभ हानि का गणित लगा रहे है रिश्ते सब स्वाहा हो गये इस बाजारवाद के दौर में घुटन भरी है सुबह और शाम अवसाद में सब जा रहे है हद हो गयी पागलपन की धनकुबेर बनकर भी उत्साह उमंग जीवन में नही पा रहे है अपनेपन की चाहत ही दिलो को जिंदा रखती है एक दुसरो पर मर मिटने से ही बगिया जीवन की खिलती है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #SunSet बगिया जीवन की खिलती है
#SunSet बगिया जीवन की खिलती है
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क ओले राशन पानी पर गिराकर महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है मानक सफ़लता के सरकारों के पास है गफलत में हम, दम तोड़े जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
#sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
read more