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Usha Dravid Bhatt
कैसे होगा यह मधुर संयोग मैं वात्सल्यमयी प्रकृति , नहीं उद्धात वेग सरिता सी चंचल शान्त विरह रागिनी शक्ति हूँ , मधुरिमा अम्बर सी अविचल , तुम पथिक अधरों के शब्द समान , भ्रमरों सा करते मधुर पान , त्याग नहीं बस अनुराग भरा है , लेकर प्रपात सी चंचल मृदु मुस्कान । । तुम पोरुष लिए मदमस्त श्रृंग हो सागर की नौका का उन्माद लिए चपलता दामिनी की ओङ् व्यग्र रहते चितकबरे आंसुओं में डूब जाने के लिए । मैं छन्द हूँ कोमल स्वरों की आवाहन तुम्हारे प्यार के हर गीत का, काया हूँ तुम्हारे अकिंचन प्राण की अटल काव्य बन गयी वियोग की वर्षों से बीते बिछडे वियोगी तरुण कैसे होगा मिलन का यह मधुर संयोग ।। #wada विपरीत ध्रुवों का प्रभूत प्यार
vivek
सोचो तो सही आखिर कौन सी मंज़िल हासिल करना चाहते हो , सोचो, और बाकी काम तुम अपनी "मेहनत,, पर छोड़ दो, तुम्हे मंज़िल मिल जाएगी। मंज़िल की ओर,।।।
Tej Prakash Tiwari
प्यार मोहब्बत सब धोखा है। बेटा गेँहू काट लो अभी मौका है।। #NojotoQuote गाँव की ओर
मयंक चाहार 'नारी'
आपको मिली हर वस्तु हँसती है, जब आप हँसते हैं, आप रोते हैं तो आपकी सारी संपदा रोती हैं । कभी कोई वस्तु-व्यक्ति उस इंसान के पास रहना पसंद नहीं करते जो उन्हें रुलाने लगे, अतः इससे पहले कि आप सब गवां बैठें, मुस्कराइए.. रो कर दरवाज़े बन्द मत कीजिये, इससे नकारात्मकता के जाले आपको नष्ट कर देंगे । अध्यात्म की ओर...
Rajesh Kumar
आंखें भी खोलनी पड़ती है उजाले के लिए केवल सूरज के निकलने से ही अंधेरा नहीं जाता । ©Rajesh Kumar उजाले की ओर .....
Vishal Chaudhary
एक पल में बिखरता है सब फिर पल में ही सम्भल जाता है है कौन वो जो मरने के बाद भी जीवन दिखलाता है। ©Vishal Chaudhary अन्त की ओर
HARSH369
संन्ध्या हो चुकी है अब लौट जाना चाहिये अपने कार्य से नहि,विश्राम के लिये, कल सुबह फिर लौटेंगे कार्य करने के लिये.. क्युकी संन्ध्या होती हि है आराम के लिये.. थोड़ी शरीर कि थकान,थोड़ी पेट का विरान मिटाने के लिये वैसे हर कार्य मे थोड़ा- थोदा विराम लेते रहना चाहिये और कार्य को बेहतर कैसे बनाया जाये इस पर सोच विचार करते रहना चाहिये..!! ©Shreehari Adhikari369 #विराम की ओर
Dev Rishi
गुजर गये है गांव से शहर की ओर.... तनख़ा दो से चार हुई है हां शहर की ओर... अपनी मंजिल अक्सर शहर में क्यों मिलती है गांवों की रौनक धुंधली हो चुकी है क्योंकि कि ... सब जा रहा है शहर की ओर ©Dev Rishi #शहर की ओर