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Mahesh

#इतवार है

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हदें सब्र की आज मुझे पार करना है
आज इतवार है उससे बात करना है #इतवार है

Haseeb Anwer

इतवार जैसी है । nojoto #OpenPoetry

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तेरी यादें भी बिल्कुल इस इतवार जैसी है
ना चाह कर भी तुझे चाहना बेकार जैसी है ।
अब तो हर लफ्ज़ में तुम्हें ही समेटता हु मैं
ये पहली दफा नही अब हर बार जैसी है ।

लगाना आंखों में काजल ये ख़ुमार जैसी है
नज़र से फिर नज़र मिलाना बेकरार जैसी है
अपने बदन से यू दुपट्टा ना सरकने देना तुम
ये अदा भी तुम्हारी बेसुमार जैसी है ।

तुमसे मिलना और बिछड़ जाना त्यौहार जैसी है
हर शाम उसी राह पर भटकना इंतजार जैसी है
तुम्हें पाने की चाहत में सौ बार सजदा किया
तुम्हारा मिलना भी कोई तलबगार जैसी है ।

इश्क़ में हर एक कि हालत भी बीमार जैसी है
सब कुछ धुंधला सा है या फिर अंधकार जैसी है ।
अपने नज़रों से वार करना छोड़ भी दो अब तुम
इस शहर में इश्क़ अब तो व्यापार जैसी है ।

ये दुनिया अब अकेली नही पुरी बाजार जैसी है
कदम जहा भी रखो सारे घर बार जैसी है ।
इश्क़ करने के अलावा और कुछ हो नही सकता
यहाँ के सारे लड़के अब लाचार जैसे है ।

-हसीब अनवर इतवार जैसी है । #nojoto #openpoetry

Anand Mishra

आज कोई इतवार थोड़ी है!

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उनसे कहो,की जरा रुकें,थोड़ा सब्र करें,
ये उनकी दुकान थोड़ी है,
अरे ये मेरा दफ्तर है
कोई इतवार थोड़ी है!

there will be no allowed anyone in my 
work time!! आज कोई इतवार थोड़ी है!

Saudagar Mastud

#Holi होली कब है, कब है होली, कब... #Poetry

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Balram Bathra

बस इतवार को हो पाती है, खुद से मुलाकात.,
अपने लिए मैंने, इतना - सा वक्त बचा रक्खा है..

©Balram Bathra #इतवार

Balram Bathra

आशियाना छूटा तो, समझ आया साहिब.,
इक इतवार कम पड़ता है, अपनों के लिए.,

©Balram Bathra #इतवार

Rajnish Sharma

इतवार

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आज तो अपनी यादों  को बोले कि छुट्टी  ले  ले
इतवार का दिन ,फिर भी सुबह-सुबह दस्तक दे दी  इतवार

Gurdeep Kanheri

इतवार #लव

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Ankit Raj

इतवार

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एक इतवार आया है,,

आओ लंबे लटके मिजाज़ी कपड़ो आज तुम्हे जमकर धोना है,,
नही सहन होता वजन तुम्हारा, उस हैंगर का रोज ये रोना है,,

कल आएगा नंबर मुंह बिगाड़े बैठे बर्तनों का,,
चमक जायगा भाग्य हफ्ते से पड़े इन दर्जनों का,,

फर्श बिचारी लेटी सी, सहमी व दबी हुई है,,
मेरे संवारने के  इंतजार में कुछ रूठी  हुई  है,,

खिड़कियों के सुस्त परदे मुझे यूं झाक रहे है,,
मानो अपनी बारी आने का क्रम भांप रहे है,,

पंखा अपनी अकड़ में ऊपर ही धंस कर रह गया,,
और दीवार लगे जालों में इतवार मेरा फंस कर ढह गया,,, इतवार

Rupesh Soni

इतवार #Life_experience

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