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ADITYA GAURAW
दूसरे का गुस्सा दूसरे पर उतारना, मतलब हर रिश्ते को धीरे -धीरे खो देना। ©ADITYA GAURAW #रिश्ते
01Chauhan1
दुनिया में कुछ भी नहीं यार जब पास में पैसा ना हो रिश्ते खत्म हो जाते हैं मेरे यार जब घर में बेटा पैदा हो ©01Chauhan1 रिश्ते
चारण गोविन्द
Vote मूछो आळा बाळ देख, काठी केड़ी खाळ देख काढ़े कैनो गाळ देख, दब देखें वोट दै, आगा पाछा हाल देख, बीजो माथै भाल देख, रैण सेण चाल देख, ढब देखें वोट दै, पाणी बिन ताळ देख, अभावों रा काळ देख, जीव रा जंजाळ देख, सब देखें वोट दै, भू रो रखवाळ देख, हीमत कमाळ देख, आँख्यो मैली झाळ देख, अब देखें वोट दै। चारण गोविन्द #चारण_गोविन्द की #advice #loksabha #election के लिए, सब ध्यान दें, #Vote #सच के लिए, #Vote #Future के लिए। #voting
Arun Mahra
अपने हौसले को मजबूत रखोगे तो किस्मत भी सलाम करेगी और अपने हांथ को मजबूत रखोगे तो दोस्त भी आकर सलाम करगी इसलिए अपना कभी हौसला और दिल टूटने नहीं देना और कभी टूट जाए तो अपना प्यार खोने नहीं देना क्योंकि प्यार एक सबसे बड़ा दिल होता है एक दिल से दूसरा दिल अपना हो जाता है ©Arun Mahra प्यार के लिए खोना नहीं जिंदगी में दोस्ती के लिए रोना नहीं
Rahul Ratnakar
ऑंखों में कैद,एक मंजर देखा है.. मैं प्यासा रहा,मगर संमदर देखा है। मुझे ना दिखाना खेल दुनिया के... मेनें हरियाली में भी,पेड़ों को बजंर देखा है। बड़े अजीब है,यहां रिश्ते निभाने के तौर-तरीके... एक हाथ में प्यार,तो दूजे हाथ में खंजर देखा है। मुझे ना दुआ देना,इन बारिशों में... फिर से जवां हो जाने की। मेनें बारिशों के बाद भी ज़मी को बजंर देखा है.. ©Rahul Ratnakar मेरी प्रियतमा के लिए।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल खिलाने के लिए रहता हूँ ।। शहर में मैं नही जाता कमाने को पैसे । हाथ बापू का बटाने के लिए रहता हूँ ।। जानता हूँ दूरियों से खत्म होगें रिश्ते । मैं उन्हें आज बचाने के लिए रहता हूँ ।। हर जगह जल रहे देखो आस्था के दीपक । मैं उन्हीं में घी बढ़ाने के लिए रहता हूँ ।। कितने कमजोर हुए हैं आजकल के रिश्ते । उनको आईना दिखाने के लिए रहता हूँ ।। कुछ न मिलता है प्रखर आज यहाँ पे हमको । फिर भी इनको मैं हँसाने के लिए रहता हूँ । ११/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- घर में ही पुन्य कमाने के लिए रहता हूँ । माँ के मैं पाँव दबाने के लिए रहता हूँ ।। दुश्मनी दिल से मिटाने के लिए रहता हूँ । धूल में फूल
Kuldeep Shrivastava
पिण्ड दान कीजिए उन रिश्तों का, जो आपके होकर भी आपके नहीं है।। ©Kuldeep Shrivastava #रिश्ते
M@nsi Bisht
अच्छा है कि मुड़ गया रिश्ते की डोर से नंही तो इस कदर तोड़ती कि जख्म का तोड़ मुख्तलिफ होता ।। ©M@nsi Bisht #रिश्ते
paritosh@run
दूर जाने के लिए समंदर पार जाना जरुरी नहीं होता, कोई खलिश ठहर जाये मन में बस यही काफ़ी है l ©paritosh@run दूर जाने के लिए..