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Akarsh Mishra
हनुमान - सूर्य संवाद (प्रसंग - संजीवनी बूटी) हे सूरज! इतना याद रहे, संकट एक सूरज वंश पे है, लंका के नीच राहु द्वारा, आघात दिनेश अंश पर है। इसीलिए छिपे रहना भगवन, जब तक न जड़ी पंहुचा दूं मैं, बस तभी प्रकट होना दिनकर, जब संकट निशा मिटा दूं मैं। मेरे आने से पहले यदि किरणों का चमत्कार होगा, तो सूर्य वंश में सूर्यदेव निश्चित ही अंधकार होगा। आशा है स्वल्प प्रार्थना ये, सच्चे जी से स्वीकरोगे, आतुर की आर्थ अवस्था को, होकर करुणार्ध निहारोगे। अन्यथा छमा करना दिनकर, अंजनी तनय से पाला है, बचपन से जान रहे हो तुम, हनुमत कितना मतवाला है। मुख में तुमको धर रखने का, फिर वही क्रूर साधन होगा, बंदी मोचन तब होगा, जब लक्ष्मण का दुःख मोचन होगा। - राधेश्याम रामायण ©Akarsh Mishra हनुमान - सूर्य संवाद
Vivek Singh rajawat
"रावण संवाद" कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब एक था,अब हर घर मे छाया हैं, मर के भी पुनः दशानन आया हैं, इस कलियुग में तुझे समझाने आया हैं, सतयुग में होंगे तुम मर्यादा परुषोत्तम राम, कलियुग में काल सौगंध न होगा अब विराम, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तेरे शर से आघात हुआ, मृत्यु को मैं प्राप्त हुआ, फिर पुनः कलियुग में भयंकर मैं व्याप्त हुआ, कहीं पुत्र बन अपने माँ-बाप को सताया, तो कहीं पति बन पत्नी पर जोर जताया, तब एक अपहरण कर मृत्यु को पाया, अब अनगिनत अपहरण कर भी जोर दिखाया, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, छल कपट का ये कलयुगी सम्राज्य बनाया, इस बार कोई विभीषण न होगा, जिसने मेरा भेद बताया, मृत्यु के भय को भी भयंकर भयभीत किया, लंकापति की उपाधि से खुद को पुनः मनोनीत किया, अबकी जो ये नाश बढेगा चाह कर भी तू न रोक सकेगा, तेरे शर में वो शक्ति नही जो मुझको तू रोक सकेगा, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब तू वास्तविक था,तेरे सत्य पुरुषत्व से मैं घबराया, अब तेरे भेष में अज्ञानी मनुष्य ने खुद को राम बतलाया, मैं जल रहा फिर भी असमंजस में सोच रहा था, मैं मेरा जलता शरीर तुझे ही इस कलियुग में खोज रहा था, कह दो राम से रावण पुनः वापस आया हैं, तब एक था अब हर घर मे छाया हैं। धन्यवाद। विवेक सिंह राजावत। रावण का संवाद
Balram Kashyap
Vivek Kumar Singh
न तो किसी और को पता होगा, और न ही उनका तन जानता होगा। मेरे बिना क्या हालत होगी उनकी, ये केवल उनका मन जानता होगा। लो ये चूड़ामणि हनुमान, जाकर प्रभु को दिखा देना। फिर भी न विश्वास हो ग़र उनको, जयंत का प्रसंग सुना देना। कहना बुरा हाल है जानकी का, लंका में पल-पल ही मर रही है। सह रही है अत्याचार राक्षसों के, प्रभु-मिलन की प्रार्थना कर रही है।। सीता-हनुमान संवाद #vks #yqbaba #yqhindi #yqdidi #yqmuzaffarpur
Juhi Grover
मैंने तो सीता का अपहरण ही किया था। आज समाज में तो स्त्री की इज्ज़त तार तार करने वाले बैठे हैं। कब तक मुझे पापी का दर्जा देते रहोगे? जाओ पहले उन पापियों का वध करो। हाँ, तुम सही कह रहे हो। आज कितने भी राम हों, सब कम पड़ जायेंगे।मगर पापियों का विनाश नही हो पायेगा। विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। एक आधुनिक रावण और राम का संवाद लिखें। #रावण #संवाद #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
KRUNAL JADAV
प्रभु, एक बार तो आपने मार दिया, ये लोग हर साल क्यों जलाते है? केवल आपके भक़्त है इसलिए? मै भी शिव भक़्त था, ख़ौला मेरा भी रक्त था, जब नाक बहन की काटी गई, मेरी प्रतिष्ठा बाटी गई। त्रिलोक विजेता था, चार वेद-छह शास्त्रो का ज्ञाता था। बहन के लिए लड़ना तुम्हारा फर्ज़ था, पर अपहरण करना अपराध था। माना कि तुम बड़े ज्ञानी थे, पर साथ में अभिमानी थे। तुमने सम्मान नहीं अपमान किया। इसलिए तुम्हारा हर साल जलना फरमान किया। विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। एक आधुनिक रावण और राम का संवाद लिखें। #रावण #संवाद #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
Shiwalika_SSS
ये कलियुग है राम। यहां सत्य और धर्म नष्ट हो चुका है।अब तुम्हारी मेरे ऊपर विजय असंभव है।अब इस संसार पर केवल मेरा वर्चस्व होगा।केवल मेरा। हा हा हा हा...🤣🤣🤣🤣 तुम भूल रहे हो रावण।ये संसार अब भी टिका हुआ है।केवल इसलिए क्योंकि सत्य और धर्म अब भी संसार में शेष है।अगर धर्म का नाश हो चुका होता तो ये धरती भी समाप्त हो चुकी होती।और ऐसा कोई नहीं युग जहां पाप धर्म को नष्ट कर सके। हाँ ये कलियुग है, इसलिए पाप का पलड़ा वर्तमान में भारी है किंतु ये इस युग का अंत नहीं है।मैं इस कलियुग में भी जन्म अवश्य लूंगा।तुम्हारा और पाप का अंत करूँगा। सत्य की विजय पुनः होगी और अवश्य होगी। मेरी प्रतीक्षा करो। मैं आ रहा हूँ रावण......🏹🏹 विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। एक आधुनिक रावण और राम का संवाद लिखें। #रावण #संवाद #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine
Vibha Katare
हर तरफ मैं ही मैं हूँ। श्री राम आप क्यों कहीं नजर नहीं आते। लौट आओ श्री राम अब इस दशहरे मुझको जलाने। मैं ही मुझको जला रहा। मुझको ही मैं राख कर खुद को श्री राम दर्शा रहा। हे लंकेश्वर, कैसे लौट पाऊं मैं , सीता और लक्ष्मण के बिना, मेरे प्रिय हनुमान बिना। विभीषण सम भ्रातृ संग तुम भी न जीत पाए महाबलशाली, तो मैं कैसे तुम्हे जलाऊँ यहाँ , घरभेदियों की विषात जहाँ । विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। एक आधुनिक रावण और राम का संवाद लिखें। #रावण #संवाद #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine