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Bhupendra Uikey
White बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में ©Bhupendra Uikey #Thinking बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में life quotes in hindi
#Thinking बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में life quotes in hindi
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बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में 🌺👰 ©Bhupendra Uikey बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में
बारिश की एक बूंद सागर की तलाश में
read moreParasram Arora
White कई बार कर चुका हूँ कोशिश अपनी उमर को बुखार नापने वाले थर्मामीटर से नापने क़ी लेकिन उस यंत्र का पारा शून्य पर अटका रहा उसे कई बार झटकने के बाद भी ©Parasram Arora उम्र और थर्मामीटर
उम्र और थर्मामीटर
read moreV S
White बूंद सा जीवन इंसान का और अहंकार सागर से भी बड़ा ©V S #sad_quotes #बूंद #जीवन #सागर #इंसान innocent girl vineetapanchal Bhavana kmishra Deewani Bholenath ki Anshu writer
#sad_quotes #बूंद #जीवन #सागर #इंसान innocent girl vineetapanchal Bhavana kmishra Deewani Bholenath ki Anshu writer
read moreJAGAT HITKARNI 274
• हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद किसी पर जाहीर नहीहुआ कि क्या भेदहै फिर मेंरी जबानसे इश्वर परमात्माकी तारीफ अदा नहीहोसक्ती और दूसरा मजमुन बतौर समुद्र केहै सो कलमसे लिखा जाताह कि जो२करतब मैने इन सौदागर महाजनान-के देखे वोह अजब तरहके नजर आये जिससे मुझ गरीब साध अनुपदासको तमांम जहांनके हिंन्दु मुसलमान और साध संत और पण्डित फकीर और मुल्कों मुल्कोंके राजा महाराजा और सातों आठों और सब-विलायतोंके बादशाह और दीगर अंग्रेज वगैराकी खिदमतमें हाथ जोङकर अरज;करना लाजिम आया कि जिसको जादूचाला और राक्षस विधा और काफिर विधा और इन्द्रजाल कहतेहैं वोह एक किसमका पापहै कि जिस्तरहसे रावणने चलायाथा और मेह और मौतको कबजेमें करलीथी पापके सबबसे याने होम करा२के बुद्धी भी भ्रष्ट करदीथी इन्द्रजालके पापसे और काल वगैरा, पङा२करके लक्षमी अपने काबूमें करके लंकामें लेगयाथा और उसीतरहसे- हिरनाकश राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कंन्स राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कारुन बादशाहनेभी चलायाथा और रावण हिरनाकश कंस कारुन वगैराकी तरहसे बल राजाके बादसे इन सौदागर महाजनाननेभी-राक्षस विधाका पाप चलायाहै सोइन बनियोंनेभी मेहको और मोतको सहारे करलीहै और बुद्धी भ्रष्ट करदीहै ..... • सोइस.बातका.इन्साफकीया चाहीये क्युंकि इन्साफके-करनेसे,खुद,मालुम,होजावेगा- ... ( २२९ ) साध अनुपदास- लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) पढ़ें छावणी ऐरनपुरा, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) संपर्क :- 02976-273024 , 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274 • हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद कि
• हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद कि
read moreParasram Arora
White मै जिस घर मे रहता हूं अक्सर यही कहता हैँ मुझे कभी मत कजोड़ना क्योंकि मै तुम्हारा अतित हूँ जो तुमने मुझमे रह कर गुज़ारा हैँ और जिन रास्तो पर मै चलता आया हूँ अक्सर वो हर दिन कहते हैँ मुझे कि मेरा अनुसारन्न करते रहो क्योंकि मै ही तुम्हारा भविष्य हूँ ©Parasram Arora घर और रास्ता vs अतित और भविष्य
घर और रास्ता vs अतित और भविष्य
read moreShivkumar barman
मैं जब जब तुम्हे सोचता हूँ ©Shivkumar barman मैं जब जब तुम्हे #सोचता हूँ हर लम्हे से मै ये #पूछता हूँ की क्यूँ मैं तुम्हे इतना सोचता हूँ लम्हे मुस्कराते हैं और #खामोसी बन जाते हैं फ
मैं जब जब तुम्हे सोचता हूँ हर लम्हे से मै ये पूछता हूँ की क्यूँ मैं तुम्हे इतना सोचता हूँ लम्हे मुस्कराते हैं और खामोसी बन जाते हैं फ
read moreMayuri Bhosale
समुद्र.... (रहस्यमय न उलगडलेले एक गुपित) उधळती समुद्राच्या वाऱ्याबरोबर लाटा, आतमध्ये दडलेल्या प्रश्नांना मिळतात मनासारख्या वाटा. किनारी ओथंबून वाहे शांत निर्मळ हवा, मेघ बरसती आठवती सुखद क्षणांचा तो गारवा. आकाशाचा रंग तू पांघरलास सभोवती, खळखळाट आवाज पाण्याचा गाणे मंजुळ गाती. आयुष्य हे तुझ्यासारखे खोल रुंद पातळी, स्वतः जळत राहूनही प्रकाश देई मेणबत्ती मधील सुतळी. तुझ्यातील भरती ओहोटीचे कौतुक असे, समुद्राचे ते वेगळेच रूप मग दिसे. भरतीचा नाही कुठला गर्व त्यास, ओहोटीची ही नाही कुठली खंत त्याच्या मनास. रोज नव्याने तू जगुनी घेतो, असला उन्हाळा ही पाटीवर तू झेलतो. रात्री सोबतीस असे चांदण्याचा शिंपलेला सडा, खूप काही शिकण्यासारखे मिळतो जीवनास नवीन धडा. तुझी किती आहे ती अबोल वेगळी भाषा, उमटवतोस जगण्याची नवीन एक आशा. असे तुझे रहस्यमय दडलेले एक गुपित, कधीच न उलगडलेले कोडे सामावून घेऊ आयुष्याच्या मुठीत ©Mayuri Bhosale #समुद्र
Parasram Arora
Unsplash उसकी तारीफ़ भी क़ी और कई बार उसकी शान मे तालिया भी बजाई इसके बावजूद किसी का दर्द तुमने कम होते हुए कभी देखा है क्या,=? ©Parasram Arora तारीफ और तालिया
तारीफ और तालिया
read moreParasram Arora
Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora आदम और ईव
आदम और ईव
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