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HintsOfHeart.
"दोनों ओर प्रेम पलता है सखि, पतंग भी जलता है हाँ! दीपक भी जलता है! बचकर हाय! पतंग मरे क्या? प्रणय छोड़ कर प्राण धरे क्या? जले नहीं तो मरा करे क्या? क्या यह असफ़लता है? दोनों ओर प्रेम पलता है।"¹ ©HintsOfHeart. #Good_Night 💖 #मैथिलीशरण_गुप्त 1.मैथिलीशरण गुप्त- 'दोनों ओर प्रेम पलता है' कविता का अंश।
राहुल राज मौर्या
जन्मदिन विशेष चारुचंद्र की चंचल किरणें खेल रहीं हैं जल थल में स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में ~ मैथिलीशरण गुप्त #मैथिलीशरण_गुप्त #nojoto
Deepak kumar Jha
पान मखान मछ्ली तिलकोर तरु आ गामक हमर पहचान एईछ। हम छी मिथिलांचल के वासी प्रसिद्ध कमला कोसी विद्यापति के दलान अईछ। जतअ बराती के होयत सेवा सत्कार अईछ । ओहे मिथिला लाल पाग हमर धर्म और अभिमान अईछ। ओहे मिथिला गाम हमर जतअ उच्चैठ भगवती के वाश अईछ। महादेव के उगना रूप विद्यापति के गाम अईछ। चर्चित हमर मिथिला के गुणगान दुनिया मे एक त मान अईछ। बिहारक भूमि में एक त चर्चित मिथिलांचल हमर गाम अईछ। जातअ मर्यादा पुरषोत्तम राम जानकी माता के अस्तित्व मान अईछ। येह हमर सभक मिथिला धाम अईछ। जय मैथिलि जय मिथिला ©Deepak kumar #मैथिली #मिथिलांचल #मैथिलीशरण_गुप्त
AbhiJaunpur
मृषा मृत्यु का भय है, जीवन की ही जय है, जीव की जब जमा रहा है, नित नव वैभव कमा रहा है, यह आत्मा अक्षय है, जीवन की ही जय है, नया जन्म ही जग पाता है। ©AbhiJaunpur #मैथिलीशरण_गुप्त #मैथिली #जन्मदिवस
Thanos
चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में, स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में। पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से, मानों झीम[1] रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥ 👉मैथिलीशरण गुप्त मैथिलीशरण गुप्त