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theunnamedpoet99

तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना। #विचार

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तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना
अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना।

©theunnamedpoet99 तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना
अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना।

DM

Nilgiri hills नीलगिरि (तमिल: நீலகிரி, Badaga: நீலகி:ரி या 'नीले पहाड़') भारत के दक्षिणी भाग में स्थित एक पर्वतमाला है। यह पर्वतमाला पश्चिमी #instagood #naturephotography #Ooty #Videos #Tamilnadu #nilgiri #nilgiris #ootytourism #ootytrip #nilgirishills

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले #कविता

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Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी:-
भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा ,
पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं ।
छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया ,
भज ले तू प्रभु नाम , थामे तेरा हाथ हैं ।
पग-पग देख तेरे , चलते है नाथ मेरे ,
कहीं भी अकेला नहीं, वही तेरे साथ हैं ।
वही कण-कण में हैं , वही तेरे प्रण में हैं,
जान ले तू आज उन्हें , वही प्राण नाथ हैं ।।-१

वही राधा कृष्ण अब , वही सिया राम अब ,
वही सबके कष्टों का , करते उतार हैं ।
कहीं नहीं आप जाओ , मन में उन्हें बिठाओ,
मन के ही मंदिर से , करते उद्धार हैं ।
भजो आप आठों याम , राम-सिया राधेश्याम,
सुनकर पुकार वो , आते नित द्वार हैं,
असुवन की धार वे , है रोये बार-बार वे ,
देख-देख भक्त पीर , आये वे संसार हैं ।।२
१४/०३/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:-
भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा ,
पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं ।
छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया ,
भज ले

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

प्रदीप छन्द दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में । वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।। घर में बैठे मातु-पिता ही , सु #कविता

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प्रदीप छन्द

दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में ।
वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।।
घर में बैठे मातु-पिता ही , सुन रघुवर के रूप हैं ।
शरण चला जा उनके प्यारे , वह भी तेरे भूप हैं ।।

मन को अपने आज सँभालो , उलझ गया है बाट में ।
सारे तीरथ मन के होते , जो है गंगा घाट में ।।
तन के वस्त्र नहीं मिलते तो, लिपटा रह तू टाट में ।
आ जायेगी नींद तुझे भी , सुन ले टूटी खाट में ।।

जितनी मन्नत माँग रहे हो , जाकर तुम दरगाह में ।
उतनी सेवा दीन दुखी की , जाकर कर दो राह में ।।
सुनो दौड़ आयेंगी खुशियाँ , बस इतनी परवाह में ।
मत ले उनकी आज परीक्षा , वो हैं कितनी थाह में ।।

जीवन में खुशियों का मेला , आता मन को मार के ।
दूजा कर्म हमेशा देता , सुन खुशियां उपहार के ।।
जीवन की भागा दौड़ी में , बैठो मत तुम हार के ।
यही सीढ़ियां ऊपर जाएं ,  देखो नित संसार के ।।

२८/०२/२०२४       -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR प्रदीप छन्द

दर-दर भटक रहा है प्राणी , जिस रघुवर की चाह में ।
वो तो तेरे मन में बैठे , खोज रहा क्या राह में ।।
घर में बैठे मातु-पिता ही , सु

@..kajal..@

तुम्हारे साथ इस बनारस की घाट का जो सुकून है ना वह कहीं नहीं है...💕 #me #my #Dil Love #viral #you #loveshayari

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

सरसी छन्द :-  विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी मेरा प्यारा  उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम । कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।। प #कविता

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सरसी छन्द :-  
विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी

मेरा प्यारा  उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम ।
कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।।
पारिजात का पेड़ यहीं पर , बाराबंकी ओर ।
जो कहीं नहीं देख धरा पर ,  भटको मत हर छोर ।।

नीमसार की पावन धरती ,  सुन लो इसी प्रदेश ।
जन-जन का कल्याण करो तुम , आता है संदेश ।।
संगम विंध्याचल काशी है , कितने पावन धाम ।
मथुरा अपने कान्हा जन्में , अवध बसे श्री राम ।।

लक्ष्मण नगरी आज बनी है , सुन प्रदेश की शान ।
है प्रसिद्ध यहाँ की रेवड़ी , दिलवाती सम्मान ।।
काशी भोले की है नगरी , चौरासी है घाट ।
सबकी अपनी अलग महत्ता , सबके अपने ठाट ।।

वीरों की ऐसी धरती का , करते कवि गुणगान ।
जो सत्य अहिंसा की खातिर , किए निछावर प्रान ।।
फल के राजा का भी होता , सुनो बहुत ही नाम ।
मलहियाबाद भंडार भरा , खट्टे मीठे आम ।।

२४/०१/२०२४   /   महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सरसी छन्द :-  विषय - उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस २४जनवरी


मेरा प्यारा  उत्तर प्रदेश , बोली भाषा आम ।

कोई जपता राधे-राधे , कोई कहता राम ।।

प

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Ravendra

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