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BROKENBOY

एक तरफ़ा प्यार सच्चा होता है जो बस किसी दिल माई होता है और वो बस उसी में रहता है रोज हर रोज एक नई उम्मीद से जागता है एक तरफ़ा प्यार सच्चा ह #Poetry

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एक तरफ़ा प्यार सच्चा होता है

जो बस किसी दिल माई होता है
और वो बस उसी में रहता है
रोज हर रोज एक नई उम्मीद से जागता है
एक तरफ़ा प्यार सच्चा होता है

अपने प्यार के करीब जाने का बस बहाना धुनता है
उसे अपने सपनों की परवाह नहीं होती
हर वक्त प्यार के ख्यालो मैं होता है
एक तरफ़ा प्यार सच्चा होता है

उसे प्यार का अंजाम पता होता है
फिर भी ना जाने वो किस वजह से जलता है
वो बस.. उसकी मोहब्बत से खुश होता है
एक तरफ़ा प्यार सच्चा होता है

खुद ही एक रिश्ते में खुदको बंदता है
खुद ही खुद को समझाता है
वो अपने आप पर ही गुस्सा करता है
एक तरफ़ा प्यार सच्चा होता है

©BROKENBOY एक तरफ़ा प्यार सच्चा होता है

जो बस किसी दिल माई होता है
और वो बस उसी में रहता है
रोज हर रोज एक नई उम्मीद से जागता है
एक तरफ़ा प्यार सच्चा ह

रजनीश "स्वच्छंद"

सच दुनिया का। किसके सर सजता मोर पंख, किन रुधिरों में बहता बिछु डंक। विष पीए बने जो नीलकंठ, गिनती के बचे हैं ऐसे चंद। करुणा अभिनय का हिस्सा #Poetry #Truth #kavita

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सच दुनिया का।

किसके सर सजता मोर पंख,
किन रुधिरों में बहता बिछु डंक।
विष पीए बने जो नीलकंठ,
गिनती के बचे हैं ऐसे चंद।
करुणा अभिनय का हिस्सा है,
विनय तो बस एक किस्सा है।
आंखों से आंसू कब बहते,
बस अपनी ताक में सब रहते।
मंदिर मस्जिद का ढोंग हुआ,
भगवन भी बहरा गोंग हुआ।
तलवारों की धार अनोखी,
लोर है इसने कितनी सोखी।
वीरान पड़ी थी अपनी बस्ती,
बिन पतवार चली थी कश्ती।
खेवट रस्ता जोह रहा था,
आगे जो उसके मोह रहा था।
पथभ्रष्टा राह से विचलित था,
जो स्वार्थ लहु में विचरित था।
चालक भी रस्ता छोड़ चले थे,
पथ भी अपना मोड़ चले थे।
घनघोर घटाएं तब थीं छायीं,
मेरे आगे चलतीं परछायीं।
मैं रौशन कब हो पाया,
समय के पीछे दौड़ लगाया।
आज मैं गुमसुम होता हूँ,
बिन आंसू के रोता हूँ।
क्या सुनोगे, क्या लिख जाऊं,
बन कविता मैं अब बिक जाऊं।
सच से ही किनारा करना है,
बिना मौत ही मरना है।
मन मे छाई है कातरता,
शब्द डूब स्याही है मरता।
हर रात मैं सपने बुनता हूँ,
जाग सुबह सर धुनता हूँ।
वो सुबह कभी तो आएगी,
रंग कलम ये लाएगी।
सच लिख मैं शर्माता हूँ,
शब्दों में ही भरमाता हूँ।
कहाँ शुरू हो कहाँ हो अंत,
सच के रूप हुए जो अनन्त।
दिकभ्रमिय हुआ लिख जाता हूँ,
सिरहाने दबा कलम टिक जाता हूँ।

©रजनीश "स्वछंद" सच दुनिया का।

किसके सर सजता मोर पंख,
किन रुधिरों में बहता बिछु डंक।
विष पीए बने जो नीलकंठ,
गिनती के बचे हैं ऐसे चंद।
करुणा अभिनय का हिस्सा

Pranav Shandilya

चौपाई:- हे जिनपिंग! चीन के स्वामी। तुम तो निकले बड़े हरामी।।1।। कोरोना के पालन कर्ता। मिल जाओ तो बना दें भरता।।2।। कोई मुल्क नहीं है बाकी।

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COVID-19 Frustration

हे जिनपिंग! चीन के स्वामी।
तुम तो निकले बड़े हरामी।।
कोरोना के पालन कर्ता।
मिल जाओ तो बना दें भरता।।
Must read the Caption!

_Tiwari_ चौपाई:-

हे जिनपिंग! चीन के स्वामी।
तुम तो निकले बड़े हरामी।।1।।
कोरोना के पालन कर्ता।
मिल जाओ तो बना दें भरता।।2।।

कोई मुल्क नहीं है बाकी।
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