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Yogita Harne
प्रिय सिद्धी् कल तक जो मेरी नन्ही कली थी..आज निखरता फूल है. साड़ी पकडकर माँ और काकी की घुमती थी बेटी मेरी अब अपनी दुनिया में गुल है.. अपने सपनो कि दुनियाँ में बिटिया तुमको रंग है भरना उंच आसमां को छूना पर पैर जमीन पर है रखना.. तुम हमारी जान हो तुम ही हमारा मान हो.. और कुछ भी नहीं पास हमारे तुम हमारी पहचान हो.. जीवन में मुश्किलो कि अपनी अलग सी शान है पर फिर भी जो हमेशा पर सजी रहे वो तुम्हारी मुस्कान है... Happy Birthday to my Angel. तुम्हारी काकी माँ ©Yogita Harne दिदि #Flower
दिदि #Flower
read morePalash Malakar
काजला दीदि चाँद बाँस के बगीचे के सिर पर चढ़ गया है, महोदया, काजला दीदी को शोलक कहा जाता है? तालाब के किनारे नींबू के नीचे, जुगनू गुच्छों में जलता है, मुझे फूलों की महक से नींद नहीं आती, मैं अकेला ही जागता हूँ, महोदया, काजला दीदी मेरी गोद के पास कहाँ है? तुम उस दिन से माँ-बहन को क्यों नहीं बुलाते; दीदी की बातों से चेहरे पर पट्टी बंधी? जब भोजन की बात आती है दीदी ने फोन किया, माँ-बहन घर से क्यों नहीं आते? मैं फोन करता हूँ, तुम चुप क्यों हो? बताओ माँ और बहन कहाँ चले गए हैं, तुम फिर कब आओगी? कल उस गुड़िया की शादी मेरे नए घर में होगी! बहन की तरह धोखा देकर भले ही मैं छुप जाऊं आप इसे घर में अकेले कैसे करते हैं? मैं भी नहीं-बहन भी नहीं-कितना मज़ा है! जमीन जलकुंभी से आच्छादित है, जब मैं मरास तालाब से पानी लाता हूँ अनार के पेड़ में बुलबुल छिप जाता है, इसे मत उड़ाओ, माँ। दीदी, जब आप इसे सुनें, तो आओ और मुझे बताओ, माँ चाँद बाँस के बगीचे के सिर पर चढ़ गया है, उस समय महोदया, मेरी काजला बहन कहाँ है? नींबू के नीचे तालाब के किनारे पर झाड़ियों में क्रिकेट बुलाते हैं, मुझे फूलों की महक से नींद नहीं आती, सो जागते रहो,--- नाईट होल मैडम, मेरी काजला बहन कहाँ है? ©Palash Malakar काजला दिदि
काजला दिदि #Poetry
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