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Author Harsh Ranjan

कामकाज

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नर्सरी में दाखिले के वक़्त,
बताना चाहिए बाप को,
और फिर पिता बच्चे को बताए
जब बड़ा होकर वो बच्चा
कोई एक दिशा,
कोई एक रोजगार,
कोई एक विशेषता,
कोई एक विषय चुन रहा हो!
कौन सा काम है 
जहाँ पैसे ज्यादा हैं!
जहाँ काम कम है!
जहाँ प्रभाव ज्यादा है!
जहाँ रिस्क कम हैं!
जहाँ तसल्ली ज्यादा है!
जिसके लिए अहर्ता कम हैं!
जहाँ सम्मान ज्यादा है!
या जहाँ जाने का उसका इरादा है!
इसके अलावा एक आज़ादी हो उसे,
वो शुक्रवार दीवाली-अवकाश के साथ
शनिवार को छुट्टी लेकर उसे
रविवार को मिला सके बेहिचक! कामकाज

Author Harsh Ranjan

कामकाज

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नर्सरी में दाखिले के वक़्त,
बताना चाहिए बाप को,
और फिर पिता बच्चे को बताए
जब बड़ा होकर वो बच्चा
कोई एक दिशा,
कोई एक रोजगार,
कोई एक विशेषता,
कोई एक विषय चुन रहा हो!
कौन सा काम है 
जहाँ पैसे ज्यादा हैं!
जहाँ काम कम है!
जहाँ प्रभाव ज्यादा है!
जहाँ रिस्क कम हैं!
जहाँ तसल्ली ज्यादा है!
जिसके लिए अहर्ता कम हैं!
जहाँ सम्मान ज्यादा है!
या जहाँ जाने का उसका इरादा है!
इसके अलावा एक आज़ादी हो उसे,
वो शुक्रवार दीवाली-अवकाश के साथ
शनिवार को छुट्टी लेकर उसे
रविवार को मिला सके बेहिचक! कामकाज

Author Harsh Ranjan

कामकाज 3

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लोगों का बचपन छिन गया
डिग्रियां लेने में, काबिल होने में,
लोगों की जिंदगी छिन गयी
कल से डरकर जीने में!
आज न नौवीं क्लास की गणित का
साइन, कॉस याद है 
न बुढापे में ये 2021 अगस्त की
पेस्लिप में कटा टीडीएस याद होगा।
बस एक शरीर को
जिलाने में गुजर जाए
वो काबिलयत विश्वसनीय नहीं है!
और वो भी इस कीमत पर!
खुद को जिंदा रखना क्या एक काम है?
काम इसके बाद किया जाता है!
बकरियां घास चरकर जुगाली करती है
अगर देखो तो लगेगा कि
ये फिर भी एक लिहाज़ से काम है!
लोग रात ग्यारह बजे रोटी निगलकर
बिस्तर पर चकनाचूर मिलते हैं और
नींद में बौखते-बड़बड़ाते हैं कि सुबह
जल्दी उठना होगा, कल बड़ा काम है! कामकाज 3

Author Harsh Ranjan

कामकाज 3

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लोगों का बचपन छिन गया
डिग्रियां लेने में, काबिल होने में,
लोगों की जिंदगी छिन गयी
कल से डरकर जीने में!
आज न नौवीं क्लास की गणित का
साइन, कॉस याद है 
न बुढापे में ये 2021 अगस्त की
पेस्लिप में कटा टीडीएस याद होगा।
बस एक शरीर को
जिलाने में गुजर जाए
वो काबिलयत विश्वसनीय नहीं है!
और वो भी इस कीमत पर!
खुद को जिंदा रखना क्या एक काम है?
काम इसके बाद किया जाता है!
बकरियां घास चरकर जुगाली करती है
अगर देखो तो लगेगा कि
ये फिर भी एक लिहाज़ से काम है!
लोग रात ग्यारह बजे रोटी निगलकर
बिस्तर पर चकनाचूर मिलते हैं और
नींद में बौखते-बड़बड़ाते हैं कि सुबह
जल्दी उठना होगा, कल बड़ा काम है! कामकाज 3

Ek villain

#शिक्षा संस्थाओं में ड्रेस कोड का मामला #promiseday #Society

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कॉलेज ड्रेस कोड से संबंधित एक मुद्दे ने कर्नाटक के बाकी हिस्सों में भी विवाद को जन्म दे दिया है तमाम अराजक तत्व धार्मिक परिंदे और विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा इस सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई और हिंसा में आग आदि की घटनाओं को अंजाम दिया गया संबंधित घटनाओं की बढ़ती गंभीरता और से जुड़े हिंसा को देखते हैं कर्नाटक सरकार द्वारा 3 दिन की आवश्यकता की घोषणा कर दी गई हम इस पर पूरी बहस के सामने आने वाली भटगांव से बचाते तीन महत्वपूर्ण पहलू पर ध्यान देना चाहिए पहला यह कि मामले तो धरने के बीच का नहीं है बल्कि धर्मनिरपेक्ष राज्य की अवधारणा और धार्मिक मान्यताओं के बीच का है जिसे वर्तमान परिस्थिति में संविधान की दृष्टि से देखा ना होगा दूसरा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का है तीसरा मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा पर प्रभाव धार्मिक व्यवस्था पर राजनीतिक तंत्र व्यवस्था स्थापित किया गया था आगे चलकर पॉप या खलीफा के नेता वाली में 2 योगिनी धार्मिक सप्ताह के तहत चलने वाली राज्य व्यवस्था की जगह पर आंशिक क्रांति के सिद्धांतों पर आधारित लोकतंत्र ने लिया तो इस बात पर बल दिया गया है कि किसी भी धर्म या संप्रदाय से जुड़े लोगों को दबाया नहीं जाना चाहिए अगर यूरोपीय इतिहास को ही देखे तो धर्म और राज्य को लेकर वह अलग अलग प्रयोग भी किए गए हैं जहां कई राज्यों में विवाद पहुंचे और धर्म को महत्व दिया गया है

©Ek villain #शिक्षा संस्थाओं में ड्रेस कोड का मामला

#promiseday

Ravindra Singh

आदमी। जिम्मेदारियां।घर। कामकाज #Poetry

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mute video

Ek villain

#संस्थाओं में सुधार समय की मांग Love #Society

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मलयालम फिल्म की एक निर्देशक हैं उर्दू गोपाल कृष्ण मलालायम की में नई तरह की फिल्म बनाने को लेकर उनके क्या आती रही है कई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं पदम श्री और पद्म विभूषण से सम्मानित देश-विदेश की फिल्म से जुड़ी संस्थाओं से किसी ना किसी रूप से जुड़े रहे इंटरनेट मीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार आपातकाल 1975 के दौर में पुणे में कैदी फिल्म टेलीविजन संस्थान के निदेशक रह चुके हैं फिल्म से जुड़ी संस्थाओं में भी रहे हैं यह सब बताने का आशय यह है कि अदूर गोपालकृष्णन की फिल्म से जुड़ी संस्थाओं का लंबा अनुभव है ऐसे में कई बार होता है कि अनुभव की था 30 को लेकर चल रही थी समय के साथ आने वाले बदलाव की आहट नहीं पाता अदूर गोपालकृष्णन के साथ भी यही होता प्रतीत हो रहा है इन दिनों में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अलग-अलग विभागों के पुनर्गठन के फैसले की आलोचना कर रहे हैं उन्हें लगता है कि केंद्र सरकार का यह फैसला अनुचित है उनका मानना है कि इन संस्थाओं को वर्तमान स्वरूप में ही काम करने दिया जाए जब वह इस तरह की बात करते हैं तो यह स्पष्ट हो जाता है कि बदलते हुए समय को पहचाना नहीं पा रहे हैं मनोरंजन की दुनिया यह उसके प्रशासन से जुड़े तौर-तरीके अब नहीं रहे उदाहरण पहले हुआ करते थे उदाहरण महामारी के बाद मनोरंजन की दुनिया बदल चुकी है सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत फिल्म से संबंधित कई भाग हैं जिनका गठन उदारीकरण के दौर में हुआ था फिल्म विभाग बाल चरित्र चिल्ड्रन फिल्म सोसायटी और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम के गठन के समय की मांग के अनुसार इन विभागों के दायित्व किए गए थे

©Ek villain #संस्थाओं में सुधार समय की मांग

#Love

Health Is Wealth DK

### पेपर की रोटी,नोट्स का आचार ,बुक्स की चटनी क्यूशन की बहार,टीचर की दुश्मनी दोस्तो का प्यार मुबारक हो आपको Exam का त्यौहार।###

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Ritesh Yadav

दिल तोड़ने वाली नहीं 💔UPSC नोट्स देने वाली चाहिए ❤ 📝 #pen

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दिल तोड़ने वाली नहीं 💔
UPSC की नोट्स देने वाली चाहिए ❤ 📝

©Ritesh Yadav दिल तोड़ने वाली नहीं 💔UPSC नोट्स देने वाली चाहिए ❤ 📝

#pen

indira

सरकार द्वारा चलाई गई योजनाए नोट्स बनाये ह आप सभी के साथ शेयर करती हूं #nojotophoto

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 सरकार द्वारा चलाई गई योजनाए 
नोट्स बनाये ह आप सभी के साथ शेयर करती हूं
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