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Raj

#Thinking शब्दों की मर्यादा खोकर बोलने वाले अब कूल होने लगे हैं। #संस्कृति_का_सम्मान #शब्दों_की_मर्यादा #manners #moral #cool

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White शब्दों की मर्यादा खोकर 
बोलने वाले अब कूल...
 होने लगे हैं।
संस्कृति के दीप बुझाने चले हैं,
अंधेरे में कुछ लोग उजाला होने का भ्रम पालने लगे हैं।

#संस्कृति_का_सम्मान
#शब्दों_की_मर्यादा

©Raj #Thinking शब्दों की मर्यादा खोकर 
बोलने वाले अब कूल होने लगे हैं।

#संस्कृति_का_सम्मान
#शब्दों_की_मर्यादा
#manners #moral #Cool

Parasram Arora

आने वाले दिन

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White कितना खुश हूँ 
मै ये देख कर 
कि आज का दिन 
ख़ुशी और शालीनता
 से गुज़र गया 

पर मै ये नही जानता
 कि आने वाले दिनों 
मे भी मेरी खुशियाँ 
इसी तरह बरकरार 
रहेगी या नही?

©Parasram Arora  आने वाले दिन

‌Abdhesh prajapati

आदमी को आदमी होने में

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White एक पल नहीं लगता
 इस दुनिया से बिदा होने में फिर भी कितना गुरूर है
आदमी को आदमी होने में..?

©‌Abdhesh prajapati आदमी को आदमी होने में

Lallitt siingh

#Sad_Status तुम्हारे होने का

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White तुम्हारें होने ना होने का कोई विशेष प्रभाव नहीं है;
बिछड़े है हम किस दिन से ये हमें खुद याद नहीं हैं!

©Lallitt siingh #Sad_Status तुम्हारे होने का

बदनाम

अब में बूढ़ा होने लगा हु.....

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कल देखा था तुम्हे.
छत पे,
बाल सुखाती
खुद की धुन में बहती हुई शांत
खबर थी मोहल्ले को की तुम आई हो
मगर गलियों में शांति बहुत थी
एक दफा खिड़की से झांकती तुम नजर आई थी
पलक झपकते कही गायब भी हो गई थी
मेरी चाय  वही मेज में रखी ठंडी हो रही थी
और कलम सिर्फ तुम्हारा इंतजार कर रही थी
शायद अब अगली मुलाकात ना हो तुमसे
ये शहर तुम्हारे बिना अधूरे सा लगता है
और घर की दीवारें, तुम्हारी यादें  दिलाती है
तुम्हारे हिस्से की खिचड़ी रख आया हु
अगली दफा साथ में खाएंगे.......

©बदनाम अब में बूढ़ा होने लगा हु.....

Shailendra Anand

देशभक्ति और देश संविधान में न्याय में देश में अवाम में खुशहाली आती है भक्ति भाव से पुजा करने वाले अच्छे लगते देश भक्ति में संनिहित है वि

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रचना दिनांक 25 जनवरी दोहजार पच्चीस
वार शनिवार
समय सुबह पांच बजे
््भावचित्र ्
््निज विचार ्
््शीर्षक ्
।््तेरी रुहानी रुह में अल्फाज़ नगीना लिखने वाले अच्छे ख्यालात की इबादत है,,
 संविधान में न्याय पाओ मर्यादा में रहो यही सही समय की मर्यादा और प्रतिष्ठा सौगात दी गई है।।
राजनीति और धर्मांन्धता और अर्थ व्यवस्था में सुधार समरसता बहुत जरूरी है ््
पच्चीस   जनवरी  दोहजार   पच्चीस
अंक शास्त्र में 25बराबर25तारीख और साल में एक समान है।
 श्रुति स्मृति चिन्ह प्रदान देश में,
 अवाम में खुशहाली में एक विधान संविधान का आलेख सुलेखा की पूर्व संध्या पर ,
हम दिलों से पूजा करें जनसेवा ही मानव सेवा है जिसे हम गणतंत्र दिवस कहते हैं,।।
माना कि तुम मेरे लिखे शब्दों से सहमति असहमति जताते हुए ,
जनस्वीकारोक्ति निस्वार्थ भाव को नहीं नकार सकते हो।।
यही उत्तेजना यन्त्र तंत्र को मजबूत करने वाले,
 संविधान विशेषज्ञ दल में शामिल समन्वय समिति द्वारा स्थापित विचार संगोष्ठी में,
 आन्तरिक रूप से एक अन्तिरम निम्नांकित विषय वस्तु धारा नियमावली पर
 आपसी सहमति बहस में 
विचारों का आदान प्रदान करने वाली अग्नि परीक्षा स्वलेखक और सहयोगीयो में,
 एक सम निदान हेतु सेतुबंध में कुछ मन का अन्तर्द्वंद से सजाया गया जिसे हम 
अनुसरण करें अंनत आख्यान संहिता दर्शन शास्त्र ज्ञान दर्शन है।।
। तथ्यों पर विचार प्रवाह में बह निकले ध्वनि तरंगों में एक गाढे खून पसीने की पीड़ा हो,
 किसी धनवान का आयना नज़रिया जो भी व्यक्ति पहले इन्सान नागरिक हैं ।।
तदपश्यात प्रृथ्वीतले परिभ़मणं लोककल्याणं नरलीला में,
 जाति, धर्म, भाषा, सम्बन्धी कहावतें से पूजा करने वाले हो सकते है।।
जो इन्सान आज अपने विचार व्यक्त आस्था प्रकट कर रहा है,
 वह उस समय की मर्यादा काल्पनिक दशा का आख्यान व्याख्यान कर रहा हूं।
यह जग मग माया मोह ््मद से जलरंहा रहा है,,
और यह सुखद अहसास दिया गया जिसे हम देश का संविधान कहते हैं।।
यह आज का दर्शन मैं शैलेंद्र आनंद जो देख सकता हूं ,,
वह अदभुत झलकियां हकीकत में रचती बसती है ।
दीप्ति नवल किशोर मेरे दिल में दीपक कलश स्वस्तिक कुंभ राशि में 
पच्चीस जनवरी दोहजार पच्चीस की सुबह स्वागत में ,,
सुंदरता को परखना तन मन को निखारना स्वयं को पढ़कर अभ्यास से 
मन को लिखने वाले आत्ममंथन को आनंद कहते हैं।।
््कवि शैलेंद्र आनंद ्
25 जनवरी। 2025

©Shailendra Anand देशभक्ति और देश संविधान में न्याय में देश में अवाम में खुशहाली आती है  भक्ति  भाव से पुजा करने वाले अच्छे लगते 
 देश भक्ति में संनिहित है वि

सूरज

#भारतीय होने पर गर्व

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White आपको अपने धर्म और अपनी जाति पर गर्व होने की बजाय , सर्वप्रथम अपने भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए क्योंकि सबसे बड़ा धर्म मानवता और सबसे बड़ी जाति मानव जाति हैं।

©सूरज #भारतीय होने पर गर्व

DR. LAVKESH GANDHI

दिल # # दिल का रोग #

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दिल किसका

 एक प्रेमिका के कहने पर जब प्रेमी ने
 अपनी जन्म देने वाली माता का दिल 
कलेजे से बेध कर निकाला 
और अपनी प्रेमिका के पास जा पहुंँचा 
तो प्रेमिका ने अपने प्रेमी को धिक्कारते हुए कहा जा जा...
 जो पुरुष जन्म देने वाली मांँ का नहीं हुआ 
वह अनजान प्रेमिका का क्या होगा...

©DR. LAVKESH GANDHI #दिल #
# दिल का रोग #

s गोल्डी

हम वफा में बने दवा तेरी तुम इश्क में हानिकारक हो हमें मोहब्बत में रुलाने वाले तुझे नया साल मुबारक हो l 🩶💔

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हम वफा में बने दवा तेरी,
 तुम इश्क में हानिकारक हो

हमें मोहब्बत में रुलाने वाले तुझे भी नया साल मुबारक हो l 
🩶💔

©s गोल्डी हम वफा में बने दवा तेरी तुम इश्क में हानिकारक हो

हमें मोहब्बत में रुलाने वाले तुझे नया साल मुबारक हो l 🩶💔

चाँदनी

#रोग

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White जाने कौन सा रोग मेरे कविताओं को लगा है
शब्दों का एक कतरा जिस्म पर गिरते ही
कविताएँ अपने एक अंग को खा जाती है

मै एक कोने मे बैठ कर खूब रोती हूँ
और मेरे कविता के बहते नासूर से 
फिर एक जिस्म तैयार होता है 

हर बार हृदय काग़ज के आर पार
बैठा राहगीरो से दूर अपने जख्म
की तूरपाई मे कागज के सिलवटों
को नोच देता है

दर्द नासूर का नही, जिस्म का
 नही काग़ज का होता

मौत तीनों को कैद करता है
रूह अकेला चित्कारता है

कविताएँ जहर या औषधि ही नही बनती
बाकी तीन खण्डों का मूलभूत अधिकार
जीवन - मरण तक स्थापित कर चुकी होती है

©चाँदनी #रोग
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