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Jai sawaliya seth
Vs. Gaming
Shivkumar
White ये पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी ऊँचे बन जाओ । ये सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो गहराई सा उसको लाओ । तुम समझ रहे हो न वो क्या कहती है , तु उठ-उठ कर और गिर-गिर कर तटल तरंग सा । तु भर ले अपने इस मन में , तेरी मीठी-मीठी बोल और ये मृदुल उमंग सा ॥ पृथ्वी कहती के ये धैर्य को न छोड़ो , इस सर पर भार कितना ही हो । नभ कहता फैलो इतना कि , तुम ढक लो ये सारा संसार को ॥ ©Shivkumar #mountain #Mountains #Nojoto #कविता ये #पर्वत कहता तुम शीश उठाकर , तुम भी #ऊँचे बन जाओ । ये #सागर कहता तुम लहराकर , तेरे मन में जो
Devesh Dixit
आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दंड इंद्र ने है दिया, हन पर मारी चोट। देवों ने तब वर दिया, ले कर उनको ओट। हैं भक्त प्रभू राम के, महाबली हनुमान। लाँघ सिंधु भी वो गये, ह्रदय राम को जान। संकट भक्तों के हरें, करें दुष्ट संहार। जो भजते प्रभु राम को, लेते हनुमत भार। भय की कभी न जीत हो, सुख की हो भरमार। हनुमत कृपा करें तभी, और बनें आधार। ................................................................. देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #आंजनेय #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry आंजनेय (दोहे) आंजनेय भी नाम है, कहलाते हनुमान। निगल लिए श्री सूर्य को, बचपन में फल जान। दं
Rakesh Kumar Sah
Anjali Singhal
Bharat Bhushan pathak
छंद- विजात छंद विधान-यह १४ मात्रिक मानव जाति का छंद है। इसकी १,८ वीं मात्रा का लघु होना अनिवार्य है। इसके अंत में २२२ वाचिक भार होता है।यह चार चरणों वाला छंद है।क्रमागत दो-दो चरण या चारों चरण समतुकान्त होता है। मापनी- लगागागा लगागागा १२२२ १२२२ चमकती जब,यहाँ चपला। करे हे यह,बहुत घपला। सदा यह प्राण लेती है। कभी ना त्राण देती है।।१ रहम भी खूब ये करती। इसी से है, हरी धरती।। चमकना शान्त हो ऐसे। चमकता चाँद हो जैसे।।२ ©Bharat Bhushan pathak #Reindeer छंद- विजात छंद विधान-यह १४ मात्रिक मानव जाति का छंद है। इसकी १,८ वीं मात्रा का लघु होना अनिवार्य है। इसके अंत में २२२ वाचिक भार
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :- कोयल गाती मीठे गीत । संग चलो मेरे मनमीत । तुम बिन सूना यह संसार- प्रीति बिना सब बाते तीत ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- मात्रा भार १५ कोयल गाती मीठे गीत । संग चलो मेरे मनमीत । तुम बिन सूना यह संसार-
सुशांत राजभर
खुशी vs गम इक तराज़ू लेकर आओ इक पलड़े में रखो गम को खुशी को रखो दूज़े पलड़े में फिर देखो क्या होता है जादू खुशी की वज़न होगी कम गम का होगा ज्यादा भार खुशी के पीछे हम जाते हैं क्यों गम मिलती है बारम्बार गम मिलता है हमको जितना खुशी मिलती है गम से आधा ©सुशांत राजभर #Preying #ख़ुशी खुशी vs गम इक तराज़ू लेकर आओ इक पलड़े में रखो गम को खुशी को रखो दूज़े पलड़े में फिर देखो क्या होता है जादू खुशी की वज़न होगी क
Krishna Deo Prasad. ( Advocate ).
Sea water " पृथ्वी " कहती हैं कि कभी धैर्य न छोड़े चाहें सिर पर कितना ही भार हो, " आकाश " कहता है कि फैलो इतना की ढक लो सारा संसार आप !!🙏🏾!! ©Krishna Deo Prasad. ( Advocate ). #Seawater " पृथ्वी " कहती हैं कि कभी धैर्य न छोड़े चाहें सिर पर कितना ही भार हो, " आकाश " कहता है कि फैलो इतना की ढक लो सारा संसार