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Parasram Arora
चुम्भन की चुभन से जिस चुम्भक क निर्माण हुआ था वो सिर्फ एक रसायनिक रूपात्रण के अलावा कुछ भी नहीं हैँ ©Parasram Arora रूपान्तरण
Divyanshu Pathak
मन चंचल है। इन्द्रियों का राजा है। हर इन्द्रिय के अपने विषय होते हैं। भौतिक सुखों के लिए अर्थ प्रधान जीवन ने मनुष्य को धन से ही छोटा कर दिया। व्यक्ति शरीर जीवी बन गया। जैविक सन्तान बन गया। केवल मानव देह पा लेना काफी नहीं। भीतर भी मानव का होना जीवन की अनिवार्यता है। शान्ति उसी मानव की जरूरत है। उसके अभाव में सभी शरीर पशु-भाव का आश्रय बनने लग गए। वे ही जाते हैं शान्ति सम्मेलनों में। उनकी आवश्यकता होती ही नहीं है। तब शान्ति किसके लिए आएगी? :😊💕🍨👨 Good evening ji ☕☕☕💕🍨👨🍉🍫🍎🍀🌱🌱🌱🌱🌱🌱🌱 : शान्ति के प्रयासों में रूपान्तरण करने की आवश्यकता होती है। शरीर और बुद्धि मात्र से यह कार्य नहीं क
Divyanshu Pathak
जीवन का निर्माण होता है मन के स्पन्दनों से। रिश्ते बनते-बिगड़ते हैं स्पन्दनों से। रूपान्तरण होता है स्पन्दनों से। क्योंकि इस सृष्टि के निर्माण का आधार “नाद” है। नाद के स्पन्दन है। स्पन्दन का कारक है भाषा। भाषा के स्पन्दन दोनों ओर प्रभावशाली होते हैं- कहने वाले पर ग्रहणकर्ता पर। 💕🌷#good noon 🤓💕 : पवित्र तथा सद्भाव युक्त स्पन्दन दोनों के जीवन में सुगंध भर देते हैं। वातावरण में हवा के साथ साथ सौरभ फैलती है। भावों में ग
Divyanshu Pathak
आज व्यक्ति का धर्म नष्ट हो रहा है। उसे किसी प्रकार संस्कारों के क्षेत्र में शिक्षित ही नहीं किया जा रहा। सीधा उसको सम्प्रदाय से जोड़ दिया जाता है। एक संस्कारविहीन व्यक्ति अपने परिवार का भी हित नहीं करता। सम्प्रदाय अथवा देशहित के लिए कैसे सकारात्मक कार्य करेगा? हां,सम्प्रदाय के नाम पर किसी का भी अहित कर सकता है। बिना संस्कारों के उसके भीतर आसुरी भाव ही प्रबल होता जाता है। क्योंकि वह संगत का ही प्रभाव है। कोयले की दलाली में काले हाथ! :💕👨Good morning ji😊☕☕☕☕☕☕☕🍨🍨🍨🍨🍨🍨🍧🍧🍧🍧🍉🍉🍉🍉🍊🍊🍊🍎🍎🍎🍦🍦🍦🍦💕🐒 : व्यक्ति भिन्न-भिन्न कारणों से भिन्न-भिन्न लोगों की संगत करता है। वांछित के प्राप्त हो
Divyanshu Pathak
सारे पुराणों को,उनके कथानकों को विज्ञान के फार्मूलों की तरह खोलना होगा। तब पहली बात तो यह स्पष्ट होजाएगी कि ब्रह्म शक्तिमान तो है, किन्तु क्रिया भाव नहीं है। जिसका पौरूष भाव बढ़ता चला जाएगा, उसका क्रिया भाव घटता जाएगा। रावण की तरह उग्र और उष्ण होता चला जाएगा। उसका गतिमान तत्व घटता चला जाएगा। तब उपासना से श्रद्धा और समर्पण अर्जित करके स्त्रैण बनना ही पडेगा। सृष्टि ब्रह्म का विवर्त तो है, दिखाई माया देती है ब्रह्म को अपने भीतर बन्द रखती है। प्रकृति में नर-मादा नहीं होते। दोनों पर सभी सिद्धान्त समान रूप से लागू होते हैं स्वरूप भिन्नता का नाम ही सृष्टि है। उनमें समानता देखना ही दृष्टि है। 🌹💐#पंछी😊🌻#पाठक🏵🔯🕉🔯🕉🔯🌷#कन्या🤗🏵😃#संस्कृति🌻💠😊#संस्कार🌹#शब्द🌹🕉🔯🤗#शक्ति🔯🕉🔯🕉🔯 कन्या का एक नाम षोडशी है। इसका अर्थ यह नहीं है कि वह सोलह साल की है
Divyanshu Pathak
भौतिकवाद,भोगवाद और स्वच्छन्दता की मार से व्यक्ति आज बेचैन हो उठा है। लगता है उसका दम घुट जाएगा। चारों ओर आतंकवाद और साम्प्रदायिक कट्टरवाद की ऊंची उठती लपटें। Good morning ji 💕💕👨🍉🍉🍉🍉🍎🍎🍨🍧🍨🌱🍀☘☕☕☕☕☕☕☕😁😁 बुद्धि शान्ति का धरातल नहीं होती। वह तो टकराव का धरातल है। वहां मिठास नहीं होता। वाणी में रस होता ह