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Shankar Kumar
मंजिल दूर नही है थक कर बैठ गये क्या भाई मंज़िल दूर नहीं है चिंगारी बन गयी लहू की बूंद गिरी जो पग से चमक रहे पीछे मुड़ देखो चरण-चिन्ह जगमग से शुरू हुई आराध्य भूमि यह क्लांत नहीं रे राही; और नहीं तो पांव लगे हैं क्यों पड़ने डगमग से बाकी होश तभी तक, जब तक जलता तूर नहीं है थक कर बैठ गये क्या भाई मंज़िल दूर नहीं है अपनी हड्डी की मशाल से हृदय चीरते तम का, सारी रात चले तुम दुख झेलते कुलिश निर्मम का। एक खेप है शेष, किसी विध पार उसे कर जाओ; वह देखो, उस पार चमकता है मन्दिर प्रियतम का। आकर इतना पास फिरे, वह सच्चा शूर नहीं है; थककर बैठ गये क्या भाई! मंज़िल दूर नहीं है। दिशा दीप्त हो उठी प्राप्त कर पुण्य-प्रकाश तुम्हारा, लिखा जा चुका अनल-अक्षरों में इतिहास तुम्हारा। जिस मिट्टी ने लहू पिया, वह फूल खिलाएगी ही, अम्बर पर घन बन छाएगा ही उच्छ्वास तुम्हारा। और अधिक ले जा्च, देवता इतना क्रूर नहीं है थककर बैठ गये क्या भाई! मंज़िल दूर नहीं है। ©Shankar Kumar #मंजिल दूर नहीं है।
Kumawat Gopal
कई बार थक कर बैठ जाता हूं मन कहता है अब मंजिल दूर नहीं है थोड़ा और चलते हैं "पंथ" मंजिल दूर नहीं है
RAVISHANKER RAMRAKSHA CHATURVEDI [RRS]
परिंदे ही लिखा करते हैं, मौसम की सौगातों को। जिद्दी ही सहा करते हैं, बेमौसम की बर्सातों को।। रामरक्षा शारदेय ६२६४५२७३७१ राही बढ़ता जा मंजिल दूर नहीं है
Secret Quotes
ऐसी राह पे चल पड़ा था जहा किनारा न था... ऐसे लगा की सब साथ हैं मेरे, पर इस गुमनाम राह पे मैं अकेला ही चल रहा था,, अच्छी सीख दी अब किसीने,, शायद मेरी जगह वो होती तो समझ आता कितने जखम लिए फिरते है इस नफरत भरी दुनिया में पर समझना तो दूर जाते जाते और एक जखम दे गया कभी न मिटने वाला,, अब नहीं बस कुछ ही दिन की बात है, खबर उसे भी लगेगी किसी के जनाजे उठने की...! मंजिल दूर नहीं है अब वक़्त है सही घड़ी का आखिर क्यू वो हमें इतना दूर लाइ...
Prabhav
#Motivation यह घने मेघ देखो, गरज कह रहे तुम राह पकड़ बस चलते रहो लाख बाधाएँ रोके तुम्हें मार्ग में तुम तपस्या की अग्नि में तपते रहो झेला आज जिन शाखों ने आषाढ़ी तूफाँ कल उसपे ही कलियाँ खिलेगी प्रिय बारिशों की यह बुँदे है कहती सुनो एक दिन तुमको मंजिल मिलेगी प्रिय लोग हैं, वो कहेंगे, छोड़ो तुम परवाह आगे बढ़ने की मन में बसा लो बस चाह यूँ ही चलते चलो, गिरो, गिर कर उठो हार से मत डरो, बस संभलते रहो, ये घने मेघ देखो गरज कह रहे तुम राह पकड़ बस चलते रहो।। -प्रभव मिश्र महाकवि दिनकर ने भी कहा था "और अधिक ले जांच, देवता इतना क्रूर नहीं है थक कर बैठ गए क्या भाई, मंजिल दूर नहीं है।" हमें बाधाओं से घबरा यूँ र
Ikka
मंजिल दूर है मेरी तो क्या हुआ अपने रास्ते खुद बनाऊंगा साथ दे ना दे कोई मेरा मैं करके दिखाऊंगा, जुनून है और होश भी है मेरे अंदर मुश्किलों से लड़ जिंदगी से जीत कर दिखाऊंगा! Ikka.🤫🤫 #मंजिल दूर है!
Pushpendra Pankaj
यदि ढूँढोगे,रस्ते भी मिल जाएंगे, फूल अधूरे भी तब तक खिल जाएंगे, फिर कोई ,कैसे रोकेगा मुस्काने से? जब बाधा बने बंध सारे खुल जाएंगे। पुष्पेन्द्र "पंकज" ©Pushpendra Pankaj मंजिल दूर नहीं यारो