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धाकड़ है हरियाणा

#जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें डॉ सतेंदर सिवाच #जन्मदिन पर काटा केक #वीडियो

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PФФJД ЦDΞSHI

Ayush Kumar

PФФJД ЦDΞSHI

Nandini Rastogi

Ghumnam Gautam

धनी क़िस्मत के हैं वो लोग जिनके पास है बिटिया
बहुत प्यारे हैं बेटे भी मगर कुछ खास है बिटिया
कोई माने-न-माने पर मेरा बस इतना कहना है
कि जीवन शुष्क पतझड़ है तरल मधुमास है बिटिया
(हैपी बड्डे मिष्टी)

©Ghumnam Gautam #मधुमास
#बिटिया 
#जन्मदिन
#ghumnamgautam

@_सुहाना सफर_@꧁ঔৣMukeshঔৣ꧂RJ09

जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं #वीडियो

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Ganesh Kumar Verma

मेरे ऑफिस की वो लड़की
उसकी हँसती आँखों में, सारी  खुशियाँ दिख जाती है,
मेरे ऑफिस की वो लड़की, याद बहुत अब आती है।
अपने मैडम की इज्जत वो हद से ज्यादा करती है,
पर सच्ची बातों की खातिर, मैडम से भी लड़ती है।
कल क्या होगा जाने कौन, अच्छा समय है सबको भाता ,
जिस दिन वो ऑफिस आ जाये, मेरा दिन अच्छा हो जाता।
ऑफिस का काम हमेशा वो,  घर से भीं कर जाती है,
अच्छी सुन्दर बातें करती, मन को वो हर्षाती है,
मेरे ऑफिस की वो लड़की, याद बहुत अब आती है।
तन रम्भा, मन सरस्वती है, मनमोहक नवयौवन है,
पहाड़ी नदी सी वो चलती, गजगामीनी चंचल मन है।
सबके मन की भाषा समझे, अपनी  बात छिपाती है।
मेरे ऑफिस की वो लड़की याद बहुत अब आती है, 
पुष्प, धुप और दीप  सजी,  वो पूजा की एक थाली है,
इससे ज्यादा क्या और बताऊं, नाम उसका दीपाली है।
नहीं किसी को ऊँचा बोले सदा हँसती-खिलखिलाती है।
मन की बात न बोले हमसे, जाने क्यों शर्माती है,
मेरे ऑफिस की वो लड़की याद बहुत अब आती है।।
          मन की कलम से....................
जन्म दिन की अशेष शुभकामनाओं के साथ 💐💐

©Ganesh Kumar Verma #जन्मदिन

Dr Wasim Raja

सम्राट अशोक के जन्मदिन पर समर्पित #कविता

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Gurudeen Verma

शीर्षक- और तो क्या ?
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खास तुम भी होते साथ में,
या फिर मैं होता तुम्हारे साथ में,
और तो क्या ?
 यह खुशी दुगनी नहीं होती।

ये दिन सुकून से गुजर जाते,
मगर इस शक की दीवार को तो, 
तोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी,
और अपने अहम को भी,
छोड़ना ही नहीं चाहता कोई भी।
और तो क्या ?

लोगों नहीं मिल जाता अवसर,
कहानियां नई गढ़ने का,
वहम को और बढ़ाने को,
लेकिन इसमें हार तो,
हम दोनों की ही होती,
लेकिन मुझको बिल्कुल भी नहीं है,
मेरे हारने का कोई गम।

मुझको रहती है हमेशा यही चिन्ता,
मैं तुमको खोना नहीं चाहता हूँ ,
भगवान को तो मैं मानता नहीं हूँ ,
फिर भी मिल जाये कुछ खुशी,
आत्मा को निश्चिंत रखने के लिए,
जला रहा हूँ मैं अकेले ही दीपक,
और मना रहा हूँ मैं अकेले ही दीपावली,
और तो क्या ?
हंस लेता मैं भी--------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma #लेखक
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