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New रणवीर और सुमन Quotes, Status, Photo, Video

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Ghumnam Gautam

New Year 2025 किसी की आँखों मे रहकर सँवरना सीख लेवेंगे
सपन टूटे सुमन होकर बिखरना सीख लेवेंगे
भले कुछ और सीखें या न सीखें हम मगर इस साल
दिल-ए-महबूब में गहरे  उतरना सीख लेवेंगे

©Ghumnam Gautam #Newyear2025 
#महबूब 
#सुमन 
#ghumnamgautam

Shailendra Anand

#Manmohan_Singh_Dies सुविचार इन हिंदी श्रद्धा सुमन अर्पित डाक्टर ्््श्रीमनमोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है ््

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Google दिनांक 27दिसम्बर2024
वार शुक्रवार
समय सुबह पांच बजे
्््शीर्षक ््
र््श्रद्धांजलि ्
्््भावपूर्ण श्रद्धांजलि ््
डाक्टर मनमोहन सिंह जी देश की आन बान शान थे उनके कदमों से सजाया गया देश का चहुंमुखी विकास में निहित निष्ठा योगदान सदैव भारतवासियों के लिए एक जीवंत पर्यन्त यादगार रहेगा,,
 सुमन अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है,, ,
अर्थतंत्र कादेवत्वपुरुष को क्या नमन करे क्या पूजन करें जो अन्नदाता किसान मजदूर प्रजा सेवक सेवादारी करना गुरुद्वारे चर्च मंदिर मज्जिद में अलख जगाई उम्मीद की ऐसा प्रतिबिम्ब था।।
 देश का गौरव डाक्टर मन मोहनसिंह जी का जीवन परिचय जो मानवता पर ख्यालात की परिधि में जीन्दगी में किसी का मोहताज नहीं रहा है ,,
उनकी कथनी करनी सेवा समर्पण कोरोनावायरस जैसी महामारी में भी इन्सानी मानस जगत में उनके अर्थ तंत्र का मौलिक डंका बजाया मजबुती से ,
जो आज की सरकार की नीव की ईट पत्थर साबित हुआ है।।
 सिर्फ त्वमेव त्वमेव इस देश के प्रमुख अच्छे यशस्वी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का जीवन सदैव स्मरणीय श्लोक मंत्र शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।।
््श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए ््
््कवि शैलेंद्र आनंद ्
27,, दिसंबर 2024,,

©Shailendra Anand #Manmohan_Singh_Dies  सुविचार इन हिंदी
श्रद्धा सुमन अर्पित डाक्टर ्््श्रीमनमोहन सिंह जी को श्रद्धांजलि अर्पित करें जनसेवा ही मानव सेवा है ््

Parasram Arora

तारीफ और तालिया

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Unsplash उसकी तारीफ़ भी  क़ी और कई बार उसकी  शान मे तालिया  भी बजाई 

इसके बावजूद किसी का दर्द तुमने कम होते हुए कभी देखा है क्या,=?

©Parasram Arora तारीफ  और तालिया

Parasram Arora

आदम और ईव

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Unsplash वो दिन याद करो 
ज़ब ये आदमी पहले  "आदम "  था 
और स्त्री "ईव " थीं 

तब न आखर था न शब्द न लिपि 
न कोई आपस मे संवाद था 
तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं
इसके बाद वो ध्वनि  कब  संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता
लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और  वो ईव स्त्री मे  रूपांतरित 
 हो  गए थे

©Parasram Arora  आदम और ईव

Parasram Arora

आदर्श और संवेदनाये

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White हमारे  आदर्शी को पस्तझनी देने मे समर्थ है हमानी विचलित  चेतनाये
 
तभी तों  रेत मे मुंह छुपा कर रहती है  हमारी अनसुलझी समस्याएं 

जबकि अंतकाल तक हम फेरते रहते है मुर्ख 
सपनो की  मालाये
शायद इसीलीये  डूब चुके है हमारे भाव  और ख़ो चुकी है  संवेदनाये

©Parasram Arora आदर्श और संवेदनाये

Ashok Verma "Hamdard"

#गांव और शहर

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White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी,
इमारतों में, इंतजाम बहुत है!!

गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं,
शहरों में, सामान बहुत है!!

खुली हवा में, जो चैन मिलता,
बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!!

न रिश्तों की अब, गर्मी बची है,
पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!!

दादी-नानी की बातें छूटीं,
 मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!!

सच्ची हंसी, कम दिखती अब,
लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!!

सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान,
पर दिलों में, अरमान बहुत है!!

दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को,
फिर भी जीने में, थकान बहुत है!!

सादगी की जो मिठास थी कभी,
अब दिखावे में, ईमान बहुत है!!

अकेले होते लोग भीड़ में,
फिर भी दिखते, महान बहुत है!!

*अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता)

©Ashok Verma "Hamdard" #गांव और शहर
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