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dev aseer
मुल्क के नए हुक्मरानों से कहो कि तलवार रखकर बात करें, कि जम्हूरियत में जुबां और कलम ही हथियार होती हैं। .....असीर # मुल्क के सत्ताधीश
Akshit Ojha
अंधेरे बन रहा है साहिबे मसनद ,आखि़र कब तक रहेगा सवेरा लौटा लूँ न जब तक , ये जंग तब तक रहेगा साहिबे मसनद - सत्ताधीश #aksh
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी धुपो में तपे,लहरों में डग मंगाये है तुफानो के कहरो ने सताये है हिम्मतों की खेकर नाव जिंदगी यहाँ तक ला पाये है मोहरे बन, अभागे बन, हम सब फुटबॉल की तरह उछाले गये है कई बार किनारों पर आकर खेल हमारे बिगाड़े गये है सुधारो का नाम लेकर जबान,किसान सब के बजूद उजाड़े गये है मझधार में फंसे है जीवन सब के साहिल पर पहुँचने से पहले सत्ताधीश देश पूरा डुबाये जा रहे है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" सत्ताधीश देश पूरा डुबाये जा रहे है
Komal Ttipathi
Thoughts जीवन समर में धैर्य का होना अति आवश्यक हैं ©Komal Ttipathi संतोष सुख का कारक है।####
Vibha Katare
ज़रूरत से ज़्यादा अपेक्षा भी उपेक्षा का कारक होती है.. #yqdidi #oneliner #अपेक्षा #उपेक्षा #कारक
Saurabh Pandey
ख़ुशी और ग़म जब आप कुछ सोचते हो और पुरा हो जाता है तब आप बहुत ही खुश होते हो और जब सोची हुई बात पुरी ना हो तो बहुत दुख होता है। यहाँ ग़लती आपकी है, क्योंकि आप ने कुछ आशा किया जो पुर्ण ना होने के कारण आपको दुःख दिया। आशा निराशा का कारक है।
Ajay Gurjar
एक कुलाडी से जंगल मे पेड काटे जा रहे थे सभी पेड काट दिए तभी एक पेड कुलाडी से बोला कुलाडी बहन मेरी तुझ से क्या दुश्मनी है मेने तुम्हारा क्या बुरा किया है तब कुलाडी ने उतर देते हुए कहा पेड भाई इस मेरा नही तुम्हारे अपनो के सहयोग है अर्थात यदि तुम्हारे अपने मुझ से ना जुडता तो मे तुम्हारा कुछ नही करती क्योंकि कुलाडी को लकडी के डंडे का सहारा रहता हे अपनों काम ही कष्ट कारक सहयोग #Forest
sûmìt upãdhyåy(løvë flūtê)
Shailendra Anand
रचना दिनांक ५,,,११,,,२०२३ वार रविवार समय ््सुबह आठ बजे ्््् शीर्षक ्् शीर्षक छाया चित्र में दिखाया गया भावचित्र प्रेम शब्द से बिन्दु से सजाया गया छाया चित्र वीथिका शीर्षक है।। ्््््् बिन्दु में एक अनोखा अंतर्मन दंव्दं चलता है,, जो अपनो से उपर अलग होकर भी एक होता है।। लेकिन अंहकार बोलता है हम सुनते है,, जो हमारी विवशता दर्शाता है।। जो अपनो की वजह से वो हम खामोशी से देखते है ,, लेकिन सब कुछ भाग्य की किरणों में प्रकाश बिन्दु,, की कल्पना में एक जीवंत प्रयास कर रहे आशा की किरणें उत्पन्न होती है जिसे अपने मकसद का नाम है।। जो कहते है ,, वो लफ्जो से भावना से मन की तरंगों से एकाग्रता से ध्यान की वंदना योग साधना का आज्ञा चक्र बन रेचक से आज्ञा चक्र में स्थित योगिस्थ होकर।। कूण्डलिनी जागृत कर समाधिस्थ मनोतेज होकर आत्मवायु को प्राणवायु में केन्दीत कर ,, मस्तिष्क में समाधिस्थ अभ्यास ही योगिराज परब्रह्म परमात्मा प्रभु में समविलीन आत्मबिन्दू में सदैव के लिए सम्पूर्ण लोक में भ़मण करती मेरी आत्मा का पूनर्रजन्म नहीं होता है ।। यह क़िया क़ियात्मक वेदोक्त पूराणोक्त ,, शाश्वत सत्य रोग पीडा नाशक कल्याण दायनी।। शक्ति प्रदायिनी जीवन चक्र बिन्दु से लेकर जीवन में,, कर्मयोग कुंडलिनी जागरण अभियान संवाद सम्बोधन से मजबूत हो।। यही ईश्वरीय परिदृष्य से मानवता का पाठ दर्शन ,, सनातन विचार का सैद्धांतिक रूप मूल दस्तावेज उदगम स्थल आयना नजरिया है।। ्््््् कवि शैलेंद्र आनंद ५,,, नवम्बर २०२३ ©Shailendra Anand #MoonShayari छाया चित्र बिन्दु पर योग साधना मोक्ष कारक ज्ञान यज्ञ शुभकारकं देवारपणं करिष्यामि।।