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Nainsi Gupta
White इश्क एक ऐसा गुलाब है, यह जिसके हिस्से जाता है, वह उतना ही बौखलता है। फिर शीशे की तरह चूर2 हो जाता है और वह मुसाफिरों की तरह इर्द- गिर्द मारा फिरता है, यह जिसके हिस्से जाता है वह , मानुज गम में उतना ही मारा फिरता है। ©Nainsi Gupta #इश्क❤ की दास्तां
इश्क❤ की दास्तां
read moreParasram Arora
White मेरे वो ख्वाब जो पहले हरे भरे थे आज वे पतझड़ क़ी चपेट मे आकर अपना वजूद ख़ो रहे है मेरे वो ख्वाब जो पहले दरिया क़ी लहरो पऱ बैठ कर झूला झूलते थे. आज वही ख्वाब समुन्द्र का खारा पानी पी कर उल्टिया कर रहै है ©Parasram Arora मेरे वो ख्वाब
मेरे वो ख्वाब
read moreAnand Kumar ' Shaad '.
White बादल छा गए हैं तो शायद बरसात भी हो जाए, वो याद आ रहे हैं तो शायद मुलाक़ात भी हो जाए। ©Anand Kumar ' Shaad '. बादल और वो
बादल और वो
read moreसुभाष मेघवाल सुभाष मेघवाल
White किसी क्या खूब कहा है कि पैसा है तो सब कुछ है प्यार और रिश्तेदार सब पैसा का कमाल है ©सुभाष मेघवाल सुभाष मेघवाल #Thinking #😘वो
#Thinking #😘वो
read moreF M POETRY
White इक कलम से हज़ार ग़म लिखें.. और वो सारे ग़म तुम्हारे थे.. यूसुफ़ आर खान... ©F M POETRY #और वो सारे ग़म...
#और वो सारे ग़म...
read moreMr.silent....
White चलो अब जाने भी दो , क्या ही करोगे मेरी दास्तां सुनकर, खामोशियां तुम समझोगे नहीं , और बयां हमसे होगा नहीं । ©Mr.silent.... दास्तां। #Sad_Status
दास्तां। #Sad_Status
read morePoet Kuldeep Singh Ruhela
Unsplash बड़ी दास्तां लिखने बैठे थे अपने इश्क की आज किताब खोली तो तेरी याद आ गई लिखा करते थे जिनको हम ख्वाबों में आज वो पुरानी किताब हमे नजर आ गई ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Book बड़ी दास्तां लिखने बैठे थे अपने इश्क की आज किताब खोली तो तेरी याद आ गई लिखा करते थे जिनको हम ख्वाबों में आज वो पुरानी किताब हमे नजर
#Book बड़ी दास्तां लिखने बैठे थे अपने इश्क की आज किताब खोली तो तेरी याद आ गई लिखा करते थे जिनको हम ख्वाबों में आज वो पुरानी किताब हमे नजर
read moreहिमांशु Kulshreshtha
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वो आया था मेरी जिन्दगी में एक बहार की तरह गुज़रा मेरा वक़्त खूबसूरत ख्वाब की तरह एक दिन.. दिल में मेरे इंतिज़ार की लौ जलायी और फ़िर चला गया लौट के भी न आएगा ये भी बता गया। दिल मेरा दर्द-ओ-ग़म से हो गया बेहाल तो लगा जैसे दरिया में समंदर ही समा गया बेशक वक़्त-ए-रुख्सत वो ख़ामोश था मगर होंठों का काँपना पूरा क़िस्सा जता गया ख़बर है मुझे उसकी बेबसी की उसने ख़ुद को तो दी ही थी सज़ा मेरी जिन्दगी को भी दुश्वार कर गया जिसके साथ सजाई थी मैंने मुख्तसर सी दुनियाँ डर के फ़िर दुनियाँ की ख़ुद गर्जी से जिन्दगी मेरी बियाबान बनाई और चला गया एक ख़ामोश शिकायत लिए आज भी इंतजार करता हूँ उसी शिद्दत से जो बचे हैं चंद पल इस जिंदगी के तेरी यादों के साए में बसर करता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha वो...
वो...
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