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पंच_भाषी_संस्कृत_लेखिका_तरुणा_शर्मा_तरु
शीर्षक अपने संग विधा स्वरचित कविता दिन है पिता दिवस का भाव दर्शाये हम कैसे करें मन भी आज बहुत व्यथित हैं, आज कलम भी हमारी डगमगा रही शब्द #Poetry #Trending #FathersDay #poetrycommunity #indianwriter #Emotional #nojotohindi #tarukikalam25
read moreSandhya Chaturvedi
.. सूखते हैं ताल पोखर ताप इतना बढ़ रहा, पेड़ के केशों में ना अवलेखनी करती हवा। दृगों की आद्रता कम हो रही, चातकों की आस भी कुम्हला रही, नाचते मोर के थक रहे पाँव हैं, छाँव भी अब माँगती छाँव है। कब तक श्यामल मेघों की यूँ प्रतीक्षा करें, आओ आषाढ़ को चिट्ठी लिखें.! ©Sandhya Chaturvedi आओ आषाढ़ को चिठ्ठी लिखें... Niaz (Harf) poonam atrey Nitish Tiwary Himanshu Gupta Ek Lamba safer with Adarsh upadhyay
आओ आषाढ़ को चिठ्ठी लिखें... Niaz (Harf) poonam atrey Nitish Tiwary Himanshu Gupta Ek Lamba safer with Adarsh upadhyay #Motivational
read morePoet Maddy
आखिर किस तरह लिखें हम, अब अपनी मोहब्बत की कहानी...... इंतज़ार में महबूब के अपने, बीत रही है यहां हमारी जवानी........ ©Poet Maddy आखिर किस तरह लिखें हम, अब अपनी मोहब्बत की कहानी...... #Write#LoveStory#Lover#Juvenility#Spend.........
आखिर किस तरह लिखें हम, अब अपनी मोहब्बत की कहानी...... #write#LoveStory#lover#Juvenility#spend.........
read more- @Hardik Mahajan
मेरे शब्दों से शब्दों का सार नहीं हो तुम , क्यूंकि मैं शब्द हूं शब्द का और तुम मेरे शब्दों का भार नहीं हो। ©hardik Mahajan 1) जीवन के एक-एक शब्द को सूत्रबद्ध करना और समझना बहुत कठिन है। हर पल शब्दों को खोजना जितना मुश्किल है, हमारे लिखें हुए हर शब्द को शुरू से अं
1) जीवन के एक-एक शब्द को सूत्रबद्ध करना और समझना बहुत कठिन है। हर पल शब्दों को खोजना जितना मुश्किल है, हमारे लिखें हुए हर शब्द को शुरू से अं #Motivational #shabd
read moreNeelam Modanwal ..
🙏 मेंरी छंद की अवधारणा 🙏 फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा.. गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा.. एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी. फूल से फल तक मधुर मकरंद की अवधारणा.. जीव ईश्वर का अनाविल नित्य चेतन अंश है. द्वन्द से होती प्रगट निर्द्वन्द की अवधारणा.. एक रचनाकार तो स्थितप्रज्ञ होता है उसे आँसुओं में भी मिली आनंद की अवधारणा.. प्यार से ही स्पष्ट होती है, अघोषित अनलिखे और अनहस्ताक्षरित अनुबंध की अवधारणा.. प्रेम में सात्विक समर्पण के सहज सुख से पृथक. अन्य कुछ होती न ब्रम्हानंद की अवधारणा.. मुक्तिका मेरी पढ़ी हो तो निवेदन है लिखें क्या बनी सामान्य पाठक वृन्द की अवधारणा.........✍️ प्लीज़....... 🙏🙏 ©Neelam Modanwal 🙏मेंरी छंद की अवधारणा🙏 फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा. गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा.. एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी.
🙏मेंरी छंद की अवधारणा🙏 फूल में जैसे बसी है गंध की अवधारणा. गीत में वैसे रही लय छंद की अवधारणा.. एक तितली चुम्बनों ही चुम्बनों में ले गयी. #कविता
read moreAnkur tiwari
Black कुछ जज्ज़ लिखें जज्बात लिखें हमने कुछ अपने हालत लिखें जो लिखा नही वो बस यह था ना तुमको अपने साथ लिखें डर था कि डर ना जाओ तुम बिन बात के न कुछ कर जाओ तुम एक बात से ही तुम रूठ गए इस बात से मर ना जाओ तुम इसलिए तो हमने छोड़ दिया हर रिश्ता नाता तोड़ दिया जीवन की जो मंज़िल तुम थे उस मंज़िल को ही छोड़ दिया जाओ अब जी लो खुल के तुम कुछ नए स्वप्न भी लेना बुन पर अबकी जिससे भी जुड़ना हो केवल दिल से ही जुड़ना तुम ©Ankur tiwari #Morning कुछ जज्ज़ लिखें जज्बात लिखें हमने कुछ अपने हालत लिखें जो लिखा नही वो बस यह था ना तुमको अपने साथ लिखें डर था कि डर ना जाओ तुम बि
बेजुबान शायर shivkumar
Black मेरी कविता मेरे विचार, इसके सिवा नहीं कुछ यार । मैं जो कुछ भी देख रहा हूं, वही लिख रहा केवल यार ।। दुनिया क्या कहती है यार, मुझको नहीं कोई परवाह । वाह-वाह के लिए न लिखता, मैं सबकी करता हूं परवाह ।। सोए जन जागे सब यार, यही सोचता हूं मैं यार । आए दिन हम लिखते रहते, मेरी कविता का समझो सार ।। स्वयं में पहले करो सुधार, मैं यही बात समझाऊं यार । स्वयं को कमजोर न समझें, जो तुम हो वह कोई ना यार ।। पीछे मुड़कर नहीं देखना, आगे केवल निहारों यार । कवि होरीलाल विनीता लिखें, जरा ज्ञान बढ़ाओ थोड़ा यार ।। ©Shivkumar #Thinking #think #Nojoto #nojotohindi #दिलकीबातशायरी143 मेरी कविता मेरे #विचार इसके #सिवा नहीं कुछ यार मैं जो कुछ भी देख रहा हूं वही लि
Thinking think nojotohindi दिलकीबातशायरी143 मेरी कविता मेरे विचार इसके सिवा नहीं कुछ यार मैं जो कुछ भी देख रहा हूं वही लि
read moreRamji Mishra
बॉलीवुड स्टार जितेंद्र कपूर को जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई कोई फिल्म याद हो तो जरूर कमेंट बॉक्स में लिखें #jitendrakapoor #Motivational
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । प्रीति के जो हैं सतायें ईश को ही ढूढ़ते ।। लोग क्यों माने बुरा जो आपसे ही प्रेम है । आपके तो संग मेरी ज़िन्दगी ही क्षेम है ।। १ भूल जाये आपको ऐसा कभी होगा नहीं । दूर हूँगा आपसे ऐसा कभी सोचा नहीं ।। प्रीति तेरी है बसी वो रक्त के प्रावाह में । खोज पाता है नहीं संसार मेरी आह में ।। २ प्रीति का व्यापार तो होता नहीं था देख लो । प्रीति में कैसे हुआ है सोंच के ही देख लो ।। प्रेम में तो हारना है लोग ये हैं भूलते । जीत ले वो प्रेम को ये बाट ऐसी ढूढ़ते ।। ३ प्रेम कोई जीत ले देखो नही है वस्तु ये । प्रेम में तो हार के होता नही है अस्तु ये ।। प्रेम का तो आज भी होता वहीं से मेल है । प्रीत जो पाके कहे लागे नहीं वो जेल है ।। ०१/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते ।
सीता छन्द मापनी:- २१२२ २१२२ २१२२ २१२ वर्ण :- १५ राधिका को मानते है कृष्ण को ही पूजते । #कविता
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