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Anant Nag Chandan
वफ़ा तुम से करेंगे, दुख सहेंगे, नाज़ उठाएँगे, जिसे आता है दिल देना, उसे हर काम आता है। ©Anant Nag Chandan वफ़ा तुम से करेंगे, दुख सहेंगे, नाज़ उठाएँगे, जिसे आता है दिल देना, उसे हर काम आता है। #Love
सुशांत राजभर
उफ्फ़! उफ्फ़! उफ्फ़! उफ्फ! ये M-अक्षर(मच्छर), लगता है कि आज ये मच्छर मेरे प्राणरूपी आत्मा को शरीर से अलग करके ही मानेंगे! लगता है कि आज ये मच्छर मेरे प्राणरूपी आत्मा को शरीर से अलग करके ही मानेंगे! उफ्फ़! उफ्फ़! उफ्फ़! उफ्फ! ये M-अक्षर(मच्छर) आज मुझे मार ही डालेंगे !! चार(4)-चार मच्छर मिलकर मेरी अर्थी उठाएँगे, चार(4)-चार मच्छर मिलकर मेरी अर्थी उठाएँगे, बाकी ज़मात मिलकर 13वीं में खूब गदर मचाएँगे!! बाकी ज़मात मिलकर 13वीं में खूब गदर मचाएँगे!! ✒ सुशांत राजभर सत्या ©सुशांत राजभर #मच्छर उफ्फ़! उफ्फ़! उफ्फ़! उफ्फ! ये M-अक्षर(मच्छर), लगता है कि आज ये मच्छर मेरे प्राणरूपी आत्मा को शरीर से अलग करके ही मानेंगे! लगता है क
Manjeet Singh Thakral
न लाठी है, न गोली है, न राज हमारा है; न जेल है, न जाल है, न ताज हमारा है; फिर भी नारों से, गीतों से, हम आवाज उठाएँगे; चाहे कुछ भी कर लो, हम
अभिलाष सोनी
विषय :- मौसम का लुत्फ़ (07-10-2021) *********************************** मौसम का लुत्फ़ उठाएँगे, हम दोनों जब मिल जाएँगे। चाहत के गीत गाएँगे, जब प्रेम की धुन गुनगुनाएँगे। चलो एक वादा करते है हम-तुम हर वादे निभाएँगे। कितनी भी मुश्किल आए, हम दूर कभी ना जाएँगे। होंठों पे मुस्कान होगी और आँखों में ढ़ेर सारा प्यार। मोहब्बत में घुल जाएँगे, जब एक दूजे के पास आएँगे। सपनों का एक घर होगा, उसमें हमारा बसर होगा। होगी ख़ुशियों की बारिश और हरपल मुस्कुराएँगे। विषय :- मौसम का लुत्फ़ (07-10-2021) मौसम का लुत्फ़ उठाएँगे, हम दोनों जब मिल जाएँगे। चाहत के गीत गाएँगे, जब प्रेम की धुन गुनगुनाएँगे। चलो एक
Narendera Kumar
बुझ जाती है यूँ ही वो लौ, रौशन जो सबको करती है, अंधकार के पथ पर जो, हमें सुरक्षित रखती है, पुलवामा हमले ने सबको, तार तार कर डाला है, कुछ क
अंदाज़ ए बयाँ...
शबरी ने राम को खिलाए थे, शबरी को कौन खिलाएँगे, जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे। जहाँ एकलव्य की निष्ठा को, मिलबाँट के राजा खाएँगे, जहाँ धनवानों के लालच से, लाचार दबाए जाएँगे, जहाँ मासूमों की अस्मत पर हैवान नज़र उठाएँगे, जहाँ छोटे छोटे देश के बच्चे माँग के रोटी खाएँगे, जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे। जहाँ राजनीत के खेतों में, बनवारे बोए जाएँगे, जहाँ अलग अलग रँगों के परचम, शान से लहराएंगे, जहाँ धर्मग्रंथ भी इंसां को आतंक का पाठ पढ़ाएँगे, जहाँ छुरी बगल में रखकर बंदे राम राम गुन गाएँगें, जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे। रविकुमार... शबरी ने राम को खिलाए थे, शबरी को कौन खिलाएँगे, जिस देश में धर्म का राज हो, वहाँ अच्छे दिन नहीं आएँगे। जहाँ एकलव्य की निष्ठा को, मिलबाँट के