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Lata Sharma सखी
सुन माँ! अब नारी के हाथों में भी हथियार होना चाहिए, हर बलात्कार करने वाला मौत का हकदार होना चाहिए। जब करेगी तब करेगी न्याय ये सरकार और पुलिस, कर सके खुद फैसला उसे इतना अधिकार होना चाहिए। क्यों देखे वो निर्बल होकर पत्थर से दिलों की तरफ, नारी की *अस्मिता* का उसे खुद पहरेदार होना चाहिए। लुट रही बरसों से अस्मत नोच रहा उसका माँस गीदड़, डरकर दुम दबाकर भागे उसे इतना खूंखार होना चाहिए। अब नहीं सहूँगी, न चुप रहूँगी, अब इंसाफ मैं करूँगी, इतना तो *सखी* दमखम तुझमें हर नार होना चाहिए। ©सखी लता शर्मा "सखी" #गजल #नारी #अस्मिता
Neeraj Misra
नारी अस्मिता इन्सान रूपी कुछ जानवर इंसानियत को शर्मसार करते हैं। नारी की अस्मिता से दुर्व्यवहार करते हैं। नारी की अस्मिता का तार-तार होना, समाज की दुर्बलता का दर्पण है। सभ्य सामाजिक व्यव्स्था पर प्रश्नचिन्ह है। पीड़िता की सिसकियों का समाज ऋणी है।। यह सभ्यता का परचम लिए इतराता समाज है। क्यों नहीं बचा पाता नारी की लाज है? कुछ इन्सान जानवर से फिरते हैं। नारी को देख शोषण करते हैं। आधी आबादी का प्रतीक बेचैन है। आधी आबादी मौन है।। हमारी पावन भूमि पर। हर रूप में नारी पूजित है। उसी समाज की नारी फिर क्यों अपमानित होती है? नीरज एम। ©Neeraj Misra #नीरज एम/नारी अस्मिता
Veena Choubey
वेद शास्त्रों में पढ़ लो मेरी अजर अमर गाथा। सुन्दर सृष्टि संसार की रचना यही नारी की परिभाषा । कोमल हृदय मन अविरल आँखों में अश्रु समाए हूँ । प्रेमवास हृदय में चंचल मुक्त कण्ठ आजमाये हूँ । मौन हुँ कमजोर नहीं मैं बस आँखों में सपने हैं और कुछ आशा। वेद शास्त्रों में पढ़ लो मेरी अजर अमर गाथा। नारी रूपअम्बिका दुर्गवासिनी वर्दायिनी शक्ति का कोई पार न पावें बन जाए चंडालनी प्रेम प्यार की मूरत है और ममता सी अभिलाषा । सुन्दर सृष्टि संसार की रचना नारी की परिभाषा माँ बेटी,बहन,पत्नी हर रूप में बसती नारी छवि निराली देख हृदय विशाल सा इसका देवों ने नारी की रचना कर डाली। तीन लोकों के नर नारायण ने चरणों में इनके टेका माथा। वेद शास्त्रों में पढ़ लो अजर अमर मेरी गाथा। नारी शक्ति पर कविता
Anita Najrubhai
घुंघट में रहने वाली नारी आस्मान में अपनी उडा न भर रही है इस कलयुग में सडकों पर चलने से डर लगता है अंधेरी रातों मे किसी माँ बाप आँगन की फूल जैसी बेटी को नोचां है रौंदा है कुचला है सडकों पर फैंका है चिखती चिल्ला ती रही पर किसी ने न सुनी न असर हुआ उन हैवानो पर जरा भी जब वो सिसकियाँ भर रहीं थीं मायुसी छायी थीं जो इंसान न बन पायें नारी की अस्मिता को लुटकर ©Anita Najrubhai #adishakti #नारी की अस्मिता को लुटकर
mau jha
दिल में उसके एक तमन्ना बाकी है अभी कहानी का एक पन्ना बाकी है वो लक्ष्मी है तुम भगवान तो बनो वो सीता है, तुम राम तो बनो, हर जुल्म पर जो बोल उठे ऐसी आवाम तो बनो,किसी की चीख किसी की कराह लिखूँ एक मुस्कुराते हुए चेहरे की सिसकती हुई आह लिखूँ क्योंकि ये सब कुछ उसके अंदर है वो औरत नहीं, समंदर है. ©mau jha नारी कविता
mau jha
पाई-पाई जोड़कर वो तुम्हारे घर को बनाती है हाथ उठाते उसपर तुमको शर्म नहीं आती है,भूख उसे भी है पर खाना उसने खाया नहीं पता लगाओ देखो शायद पति दफ्तर से आया नहीं ,हर दिन की देरी उसके लिए समस्या भारी है इसी समर्पण सहित तपस्या उसकी जारी है भाग्य मनाओ फिर भी तुमको छोड़ वो नहीं जाती है हाथ उठाते जिसपर तुमको शर्म नहीं आती हऐ ©mau jha नारी कविता