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Stories related to पंकज उदास के ग़ज़ल

F M POETRY

#अब उदास फिरते हो....

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Unsplash अब उदास फिरते हो सर्दियों क़ी शामों में..

इस तरह तो होता है इस तरह के कामों में..

©F M POETRY #अब उदास फिरते हो....

Keshav Kashyap

#love_shayari आज फ्र दिल उदास है

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White आज फ्र दिल उदास है

©Keshav Kashyap #love_shayari आज फ्र दिल उदास है

F M POETRY

#दिल ये होगा न फिर उदास कभी....

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Unsplash आप आ जाओ मेरे पास अभी..

दिल ये होगा न फिर उदास कभी..


यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #दिल ये होगा न फिर उदास कभी....

Ghumnam Gautam

Unsplash न कर सके हैं कभी वक़्त का यक़ीं लम्हे
उदास आँखों से झरते हैं बस हसीं लम्हे
झगड़ पड़ा था तेरे वास्ते जो वक़्त से मैं
इसीलिए तो अभी मुझमें हैं मक़ीं लम्हे

©Ghumnam Gautam #library #लम्हे #उदास 
#झगड़ा 
#ghumnamgautam

Lalit Saxena

ग़ज़ल

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हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है 
रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है 

सांस-सांस पीर कसमसाती रहती 
मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है 

उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन
उदास शाम को भी उतरते देखा है 

ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है
उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है 

दरवाजे पर नहीं कोई  दस्तक हुई
हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है 

दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे
बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है

©Lalit Saxena ग़ज़ल

SumitGaurav2005

"हालात ए बयां, दर्द ए ग़ज़ल -2 " ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'💔 #BreakUp #Bewafa fa #Bewafai #sumitkikalamse #sumitmandhana #sumitgaurav Life_expe

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SumitGaurav2005

"हालात ए बयां, दर्द ए ग़ज़ल -1 " ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'💔 #BreakUp #Bewafa #Bewafai #sumitkikalamse #sumitmandhana #sumitgaurav Life_experie

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नवीन बहुगुणा(शून्य)

तेरे गुमसुम होने की वजह हूं क्या तेरे उदास चेहरे की सजा हूं क्या #emotional_sad_shayari love

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Ravendra

बाबा जय गुरुदेव उत्तराधिकारी पंकज जी महाराज का संदेश

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dharmendra kumar yadav

ग़ज़ल

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White मज़ाक था या सच जाने क्या सोचकर आया था 
मेरा  अज़ीज़  मुझको गिफ्ट में आईना लाया था

वो आसूं  सिर्फ  आसूं नहीं बाग़ी  भी हो  सकते थे
पर क्या शख्स रहा था वो जो फिर भी निभाया था

जिससे  ज्यादातर  नाराज़  ही  रहता  रहा ये दिल
उसको ही  अपने  बुरे दिनों में अपने साथ पाया था

वो  मेरी  जान  से  जिक्र  की  है कि  वो मेरी होती
जो मुझे  उन  दिनों  बर्बाद ओ  बेकार  बताया था

©dharmendra kumar yadav ग़ज़ल
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