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New प्यार है बचपन का Quotes, Status, Photo, Video

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Matangi Upadhyay( चिंका )

प्यार में झगड़े लड़ाई का होना अच्छा है🥰 #matangiupadhyay Love #thought

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हम दोनों हमेशा पागलों की तरह लड़ते है
 कभी छोटी बातों पर तो कभी बिना वजह, 
फिर भी, हमारे बीच एक ऐसा गहरा जुड़ाव है
 कि एक-दूसरे से दूर रहना नामुमकिन है, 
झगड़े के बाद भी हम एक-दूसरे की परवाह करते है,
 मानो हमारी लड़ाई सिर्फ दिखावा हो, 
चाहे जितनी भी मुश्किलें आएँ, 
हमारे बीच की इस अटूट समझ और प्यार
 हमें हमेशा एक साथ बनाए रखता है,
 जैसे हम एक-दूसरे के लिए ही बने हैं।...

©Matangi Upadhyay( चिंका ) प्यार में झगड़े लड़ाई का होना अच्छा है🥰
#matangiupadhyay #Nojoto #Love #thought

F M POETRY

#आर का प्यार ही मिल जाए....

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Unsplash या खुदा आर ही मिल जाए मुझे..
आर का प्यार ही मिल जाए मुझे..

और क्या चाहिए दिसंबर में..
उसका दीदार ही मिल जाये मुझे..


यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #आर का प्यार ही मिल जाए....

Dumu Goud

जिंदगी हसीं है इससे प्यार करो, अभी है रात तो सुबह का इंतजार करो, #

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जिंदगी हसीं है 
इससे प्यार करो,
अभी है रात तो
 सुबह का इंतजार करो,
वो पल भी आएगा 
जिसकी
 ख्वाहिश है आपको,
रब पर रखो 
भरोसा वक्त पर एतबार करो।

©Dumu Goud जिंदगी हसीं है इससे प्यार करो,
अभी है रात तो
 सुबह का इंतजार करो,
#

F M POETRY

#प्यार तुमसे है.

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White इश्क़ तुमसे है प्यार तुमसे है..

दिल का रिश्ता भी यार तुमसे है..



यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY #प्यार तुमसे है.

Krishna G

बचपन का प्यार😂😅 #Sortvideo #VAIRAL

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samrath babu

प्यार का सौदा

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Monu Saini

बचपन# समझदार

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न समझदार हूं  और न ही बनना चाहता हूं 
टेंशन से लबालब जिंदगी छोड़ ऐ मेरे मालिक में तो बचपन में ही जीना चाहता हूं।

©Monu Saini बचपन#  समझदार

Dr.Meet (मीत)

wo बचपन

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White वो बचपन कितना अच्छा था 
प्यार हमारा सच्चा था 
धोखा दगाकुछ ना जाने 
क्यों कि तब में बच्चा था

©डॉ.वाय.एस.राठौड़ (.मीत.) wo बचपन

Rakesh Songara

#बचपन

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बचपन की यादें  किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,
वो खेल-खिलौने कागज़ के,मिट्टी के बर्तन,
बेवजह क्यूँ याद आ गए,,,
वो बेपरवाह बदमाशियां,अठखेलियां, शरारतें सारी,,
‌टूटी फूटी,रंगबिरंगी चूड़ियां प्यारी,,
‌माटी के घरौंदे में घर-घर का खेला,,
‌वो तीज़ त्योहार, गणगौर का मैला,,,
‌वो कुल्फ़ी की चुस्कियों से जुबां की लाली,,
‌मदारी के डमरू पे बजती वो ताली,,
‌अनोखे वो दिन वो बातें पुरानी पता नहीं
‌ क्यों याद आ गए,,,
‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,
‌सावन के झूलों में घण्टों लटकना,,
‌वो बारिश की बूंदों में छम-छम रपटना,,,
‌फ़टे कपड़ों में भी खुशियां समेटे,
‌वो रेहड़ी से केलों के गुच्छे झपटना,,
‌था जिंदादिल अब से वो बचपन का मौसम,
‌अब तो  हर सांस पे लगता है राशन,,
‌चोट खाके भी हँसने के किस्से पता नही क्यों याद आ गए,,,
‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,,,,,
             राकेश सोनगरा, सरदारशहर

©Rakesh Songara #बचपन

Bheem Bheemshankar

#poetryunplugged सायर मेरे प्यार का

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