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Riyanshu Thakur
बचपन एक बचपन का जमाना था जिसमे खुशियों का खजाना था... चाहत चांद को पाने की थी पर, दिल तितली का दीवाना था... खबर ना थी कुछ सुबह की ना शाम का ठिकाना था... थक कर आना स्कूल से पर, खेलने भी जाना था... मां की कहानी थी परियों का फसाना था... बारिश की कागज की नाव थी, हर मौसम सुहाना था... रोने की वजह ना थी ना, हसने का बहाना था... क्यूं हो गए हम इतने बड़े इससे अच्छा तो वो बचपन का जमाना था...वो बचपन का जमाना था।.. ©Riyanshu Thakur #ChildrensDay Dhanraj Gamare srk Writers बचपन पर कविता
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
Ravi Kant
एक चांद ढेर सारे तारे कभी जगमग किया करते थे रातें वो बचपन की जब रात में हम डरते थे। शाम को हम भी कभी हुडदंग मचाया करते थे बच्चे थे मोहल्ले के मोहल्ले को सर पे उठाया करते थे। नदी नहर तालाब में हम नहाया करते थे घर में आके फिर बड़ों से डांट खाया करते थे उम्मीद नाउमीद का खेल कोई था नहीं बस पकड़न पकड़ाई में यूं ही कभी हम भी शामों सहर बिताया करते थे। ©Ravi Kant बचपन #बचपन #Childhood #कविता
राजीव भारती
बचपन होता है कितना मासूम, छल - प्रपंच से एकदम अंजान। जाति- पाति का भेद नहीं जाने, मुखमंडल पर प्रतिपल मुस्कान।। कभी रूठना और कभी मनाना, झगड़ों का ख़ुद करते समाधान। मिल जुलकर रहते हैं आपस में, नहीं बघारते हैं कभी झूठी शान।। मस्त मलंग सदृश उनका जीवन, कटुता का अल्प मात्र नहीं भान। फ़िक्र नहीं करते धूप बारिश की, नहीं तनिक मन में हो अभिमान।। जीवन हो कतिपय ही आनंदित, सुख - दुःख का नहीं कोई ज्ञान।। हर्षित रहता सर्वदा ही तन-मन, मोह-माया भी नहीं करें परेशान। नहीं घमंड अथवा लोभ मन में, एक दूजे के प्रति मान -सम्मान।। रहें विरक्त संसार के उलझन से, ऊंच नीच न कर पायें व्यवधान।। राजीव भारती ©Rajiv Ranjan Verma # कविता/बचपन
S K Sachin उर्फ sachit
बचपन कितना सुंदर था बचपन जिसका अतीत.. आज भी वही.... मुस्कुराहट देता है ! कशिश भी है अजीब जाने को जि चाहता है करीब जैसे बचपन फिर से.. आने को आहट देता है ! बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🙏🌹 ©S K Sachin उर्फ sachit #ChildrensDay #बचपन.. #कविता
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
बचपन के दिनों पर शायरी/कोट/कविता लिखें #NojotoHindi #NojotoWODHindiquotestatic
Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
बचपन की यादों पर शायरी/कोट/कविता लिखें #NojotoHindi #NojotoHindiWodQuoteStatic
Aanart Jha
आज बहुत बारिश हुई मन फिर मचला है जमीन का सीना चीर कर एक अंकुरित फिर फूटा है वो बचपन की नादानी वो घर के सामने से बहता पानी सब याद आया है वो तंग गलियां वो कच्चे मकान वो घरों में बनते बारिश के पकवान घरों की छतों से बहता पानी वो दादी वो नानी की कहानी #बारिश #वक्त #बचपन #कविता
Maroof alam
बचपन और बारिश कविता देखो चमकी दामिनी चम -चम परिंदों के पंख भी चमके चमकीले पवन ले आयी झोंका आंधी का झूम रहे सरसों के फूल पीले धीमे धीमे गिरीं जो बूंदें मन बर्षा संग लहराया देखो हरियाली का नजारा बच्चों के मन को भाया बाग बगीचे पवन संग देखो कैसे झूम रहे हैं एक गुट बनाकर बच्चे देखो कैसे बर्षा मे भीग रहे हैं बच्चों अपने वस्त्र तो देखो हो गये सारे गीले सारे गलियारों मे बस्ती के बर्षा का पानी भरा हुआ है बच्चे छम छम करते दौड़ रहे हैं कागज की नाव बनाकर देखो पानी में छोड़ रहे हैं बच्चों के ये दिन भी हैं,कितने रंगीले मारुफ आलम बचपन और बारिश/कविता