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एक इबादत
हो इजाजत तो दिल के राज बताऊं क्या तू मेरी संविधान मैं तेरा अनुच्छेद बन जाऊं क्या , संशोधन फेरो के बाद करते रहेंगे तब तक के लिए तुम मेरी मूल अधिकार बन जाओगी क्या,जो मैं कभी गलत राह पे चलूं तो तुम मेरी habeas corpus (बन्दी-प्रत्यक्षीकरण) बन जाओगी क्या ,गर जो मैं तेरा हाथ छोड़ने लगूं तो कोई नया प्रावधान लाओगी क्या , तीसरा कोई जिंदगी में अगर नागरिकता मांगे तो basic instructer ( आधारभूत ढांचा) की तरह अडीग रह पाओगी क्या, दुनिया में भ्रमित करने वाले बहुत मिलेंगे पर अफवाहों को छोड़कर क्या तुम मेरी नीति निदेशक तत्व बन पाओगी क्या,जब सारी दुनिया खिलाफ हो तो पांचों रिट की तरह स्तंभ बन के खड़ी रह पाओगी क्या, मेरी बुराई होता देख क्या तुम अनुच्छेद 19 बन पाओगी क्या, जब कभी हम दोनो के बीच में मनमुटाव आ जाए तो संसद के गठन की तरह अनुच्छेद 79 बन पाओगी क्या , कहने का विषय यह है की क्या तुम इस संविधान की आत्मा बन पाओगी क्या... !! #ladli_miss_you_ #kavi_ki_mohabbat #kavi_ke_alfaaz_nir_k_jazbat_smjho_tum #kavi_ka_pyar_ho_tum_ladli #kavi_ki_jindgi_ho_tum #kavi_ke_ja
ANSARI ANSARI
आज बुराई करने वाला अच्छाईयों का सरदार बनता है। निच कर्म करके लोगों के बीच भगवान बनता है। बाद में बुराई देख लोग बौखला जाते हैं। लाठी-डंडे, लात घुसा खिलाते हैं। फिर भी न माने तो बंदी बनाते है। ©ANSARI ANSARI #Mountains बन्दी
sppatel patidar
शहर सब बन्द है हर चोहराहे पर नाका बंदी है फिर भी ना जाने लोग कहा से मेरे दिल में आजाते है sppatel #नाका बन्दी
Rajput Badal Thakur
मंदी अपनी बंदी है अपनी तो किस्मत ही बहुत गंदी है न साला बड़ा घर है ओर पेसो में भी तंगी है किसको चॉकलेट किसको खिलाऊंगा में बर्गर अब तो साली मंदी ही अपनी बंदी है मंदी अपनी बन्दी है
Purbayan Chowdhury
बन्दी लिपि १ भय में जीना भी सीख लिया, अपने आपको जाना, असीमित स्वतंत्रता की मोल बड़ी, दूरी में आंतरिकता बड़ी, वास्तविक मित्र बने, प्यार और भी खीर बने, हँसी रोना व्यर्थ लागे, गीतों की पंक्तियों में, कविताओ के लय में, गाथाओं के अक्षरों में, ज्ञान के महासागर में, खोते रहे हर बार। बन्दी लिपि का पहेला कविता #lockdowndiary #yqdidi #bandilipi
Krish Vj
देश "स्वतंत्रत" हुआ पर मैं नहीं, मैं नारी बंधन में बंधी हूँ, "स्वतंत्र" बंधनी, मैं नारी समेटे "दुःख" मन में, मैं दुखियारी, मैं नारी सूरज "सुख" का आता चला जाता, मैं नारी लाज का "घूँघट" ओढ़ चुप रहती हूँ, मैं नारी पुरुष की तरह सोच नहीं सकती हूँ? मैं नारी अधिकार नहीं, कुछ कहने का कि, मैं नारी छीन ली "स्वतन्त्रता" कैद घर में, कि मैं नारी विचार की ना कर्म की 'स्वतंत्रता', कि मैं नारी सीमित दायरा घर तक, कैद पिंजरे में, मैं नारी मुक्त हूँ, फ़िर भी कैद में, सोच गलत, मैं नारी दर्प में पुरुष, घोट गला स्वतन्त्रता का, मैं नारी स्वतंत्र बन्दी #restzone #rztask36 #rzलेखकसमूह #नारी #अल्फाज_ए_कृष्णा #women #freedom