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Prakash Vidyarthi
White "अभिलाषा मन की " ************************************************************* हैं यहीं अभिलाषा मेरे मन की ऐसा ताला बन जाऊं। सुरो के साज श्रृंगार तेरे गले का वर्णमाला हों जाऊं।। जो तू होती कोरा कागज़ मैं अक्षर काला बन जाऊं। मात्राओ से सवरकर स्वर व्यंजन का प्याला कहलाऊं।। संचार के सारे साधनों के युग में इतना शोभा बढ़ाऊं । मिटाने से भी न मिटे कभी ऐसी अमर पहचान बनाऊं।। डिजिटल नए जमाने में ऑफलाइन का याद दिलाऊं। ऑनलाइन के डायरी में भी अपना ही नाम छपवाऊं ।। घुल मिल अमिट स्याहि के संग मे मेंहदी सा रंग रचाऊं। रंग बिरंगी पतंग तितलियां पौधे आदि चित्रकला बनाऊं।। शुद्ध अशुद्ध वर्तनी पहचानें ,अपनी लिखावट दिखाऊं। वर्णों के सही मेल जोल कराकर नए नए शब्द गढ़ाऊं।। अक्षरों का सही क्रमिक समूह संजोकर सार्थक शब्द बन जाऊं। फिर शब्दों के उपरोक्त प्रक्रिया से वाक्य उपवाक्य बन इतराऊं।। मुहावरा कहावतों लोकोक्ति के रूप में हर भाषा में घुस जाऊं। व्याकरण नियम का पालन करू मैं कभी अपवाद कहलाऊँ।। कथा साहित्य और कहानियों में खुद को अक्सर मैं पाऊं। इतिहास भूगोल भाषा के पन्नों में भीं सर्वदा छपता जाऊं।। ग्रन्थ और पुस्तकों में छपकर छंद रस दोहा लेखन लिखवाऊं । अखबारों में प्रकाशित होकर मैं देश विदेश का ख़बर सुनाऊं।। गीत ग़ज़ल कविता चौपाई बनकर मधुर संगीतमय होता जाऊं। दादी नानी मां के स्वर में सजकर बच्चों को लोरिया सुनाऊं।। शायरों की शौक़ शायरी में रचकर आशिको का दिल बहलाऊ। अच्छे सुविचार मैगज़ीन संग्रह संस्करण में सबके मन को भाऊ।। #प्रकाश विद्यार्थी ©Prakash Vidyarthi #life_quotes #पोएट्रीलवर्स #कविताएं #गीत #स्टोरीऑनलाइन
Rajni Vijay singla
#गीत हमारे #अंदाज तुम्हारे #मोदी जी को वतन से# मोहब्बत #Narender से वतन को #जीत जश्न की# बधाई बार-बार जायेगी गाई ©Rajni Vijay singla #गीत हमारे #अंदाज तुम्हारे
Ghumnam Gautam
White मेरी साँसें चला करतीं हैं जिसको याद करने से उसी को भूल जाने के तरीक़े ढूँढ़ता हूँ मैं बशर जो गीत होने से किया परहेज़ करता है उसी को गुनगुनाने के तरीक़े ढूँढ़ता हूँ मैं ©Ghumnam Gautam #sad_shayari #भूल #गीत #ghumnamgautam #साँस
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read moreArora PR
White मै चाहता हु मेरे इस नए गीत के लिए नए छंद . असमान से ऊतरे लेकिन मेरा गीत मेरी इस बात से राज़ी नही.... क्योंकि उसे धरती के साथ. चिपके रहना ज्यादा पसंद हैँ ©Arora PR नया गीत
नया गीत #कविता
read moreGurudeen Verma
White शीर्षक - क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये ------------------------------------------------------------- क्यों आज हम याद तुम्हें आ गये। क्यों आज तुम मिलने हमें आ गये।। कल तो नहीं थी तुम्हें मिलने की फुर्सत। क्यों आज तुम मिलने हमें आ गये।। क्यों आज हम याद-----------------------।। देख रहा हूँ तुम्हारी कहाँ हैं निगाहें। मेरा महल देख क्यों भरते हैं आहे।। छूने से डरते थे तुम मुझको कल तो, क्यों आज मिलाने हाथ तुम आ गये।। क्यों आज हम याद------------------।। कल तक की थी तुमने बुराई हमारी। करते हो आज सबसे तारीफ हमारी।। नहीं पूछते थे तुम कल हाल हमारा। क्यों आज बिछाने फूल तुम आ गये।। क्यों आज हम याद------------------।। नहीं था कबूल कल क्यों साथ हमारा। गैरों की बाँहों में था कल हाथ तुम्हारा।। तोड़ा था क्यों तुमने कल ख्वाब हमारा। क्यों आज बनाने साथी तुम आ गये।। क्यों आज हम याद-------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #गीत